धारा 67 के अनुसार यदि जॉइंट कमिश्नर के पास ऐसा कोई कारण है, जिससे ऐसा लगता है कि बिक्री का कोई ट्रांजेक्शन छुपाया है या कोई स्टॉक छुपाया है या फिर इनपुट टैक्स क्रेडिट का गलत फायदा लिया है। ऐसा लगता है कि GST लॉ का उल्लंघन करने में व्यापारी शामिल है, जिसमे ऐसा लगता है कि टैक्स चोरी हुई है तो वह किसी अधिकारी को आपके व्यापारिक संस्थान में निरीक्षण और जांच के लिए भेज सकते हैं। वेयरहाउस, गोडाउन या ट्रांसपोर्टर आदि को निरीक्षण के दौरान संबंधित अधिकारी को सभी जानकारी उपलब्ध कराना होगी।
निरीक्षण के दौरान यदि अधिकारी को लगता है कि माल, बुक्स, दस्तावेज या फिर अन्य चीज जब्ती योग्य है तो निरीक्षण की कार्रवाई छापे में बदल सकती है। स्टॉक व अन्य दस्तावेज जब्त किए जा सकते हैं। यदि संबंधित अधिकारी को लगता है कि जब्त दस्तावेजों की फोटोकॉपी देने से जांच में कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा तो संबंधित व्यापारी को फोटोकॉपी दी जा सकती है।
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विशेष परिस्थिति में टैक्स वगैरह भरवाने के बाद या बांड भरवाकर या सिक्योरिटी रखवाकर अस्थायी रूप से गुड्स को रिलीज किया जा सकता है।
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यदि गुड्स जल्दी खराब होने जैसा है तो संबंधित इसे बेच सकता है।
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यदि सामान अपनी जगह से हटा नहीं सकते हैं तो अधिकारी मालिक को कस्टडी दे सकता है या पीओ लगा सकता है।
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सर्च सीजर के केस में कोड ऑफ़ क्रिमिनल प्रोसिजर, 1973 लागू होगा जिसमें कमिश्नर को मजिस्ट्रेट माना जाएगा।
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किसी अधिकारी को लगता है कोई व्यकित टैक्स चोरी कर रहा है या टेक्स चोरी की कोशिश कर सकता है तो वह इसका रीजन रिकॉर्ड करके अपने पास सारी बुक्स और दस्तावेज रखकर उसकी रसीद आपको दे सकता है ताकि आगे की कार्रवाई में इन चीजों का उपयोग किया जा सके।
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यदि कमिश्नर आपके यहां किसी अधिकारी जांच के उद्देश्य से आपके संस्थान में भेजता है और यह जांचने के लिए खरीदी भी करवाता हैकि आप सही बिल दे रहे हैं या नहीं, ऐसी स्थिति में दुकान मालिक को सामान वापस लेकर बिल निरस्त कर पैसा लौटाना होगा।
इन मामलों में हो सकती है गिरफ्तारी...
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टैक्स चोरी के उद्देश्य से यदि बगैर बिल के माल बेच दिया या फिर गलत बिल दिया हो।
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यदि इनपुट क्रेडिट के उपयोग या रिफंड लेने के उद्देश्य से बगैर माल बेचे बिल दे दिया हो।
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यदि उपरोक्त 2 पॉइंट के बिल में से इनपुट टैक्स क्रेडिट का उपयोग कर लिया हो।
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टैक्स कलेक्ट करके रख लिया हो और और देय तारीख के बाद 3 माह तक नहीं भरा हो।
यदि उसमें टैक्स चोरी राशि 2 करोड़ से ऊपर है, लेकिन 5 करोड़ से कम है तो जमानत मिल जाएगी लेकिन यह राशि 5 करोड़ के ऊपर है तो जमानत भी नहीं मिल पाएगी। यदि टैक्स एवेसन एक करोड़ से कम है तो गिरफ्तारी का प्रावधान नहीं है। यदि टैक्स एवेसन 5 करोड़ से ज्यादा है तो संबंधित अधिकारी गिरफ्तारी के वक्त गिरफ्तारी का कारण बताएगा और उसे 24 घंटे में मजिस्ट्रेट के सामने प्रस्तुत करेगा। गिरफ्तारी जीएसटी कानून के तहत होगी। असिस्टेंट कमिश्नर को जमानत देने का भी अधिकार है।