नई दिल्ली। केंद्र सरकार राजकोषीय घाटा (Fiscal deficit) के लक्ष्य को पाने के लिए इस वित्त वर्ष के अंत तक भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) से करीब 30 हजार करोड़ रुपए के अंतरिम लाभांश की मांग कर सकती है। सूत्रों ने इसकी जानकारी दी। राजस्व संग्रह में कमी तथा कॉर्पोरेट करों में कटौती के कारण सरकार के वित्त संसाधनों पर दबाव है।
एक अधिकारी ने कहा कि यदि आवश्यकता हुई तो केंद्र सरकार चालू वित्त वर्ष में रिजर्व बैंक से 25-30 हजार करोड़ रुपए के अंतरिम लाभांश की मांग कर सकती है। उन्होंने कहा कि इस बारे में जनवरी की शुरुआत में आकलन किया जाएगा।
सूत्रों के अनुसार रिजर्व बैंक के लाभांश के अतिरिक्त विनिवेश को बढ़ाने तथा राष्ट्रीय लघु बचत कोष का अधिक इस्तेमाल करने समेत कुछ अन्य साधन भी हैं। सरकार पहले भी राजकोषीय घाटा कम करने के लिए रिजर्व बैंक से अंतरिम लाभांश ले चुकी है।
पिछले वर्ष सरकार ने रिजर्व बैंक से 28 हजार करोड़ रुपए का अंतरिम लाभांश लिया था। इससे पहले 2017-18 में इस तरह से 10 हजार करोड़ रुपए लिए गए थे।
अगस्त में खबरें थीं कि रिजर्व बैंक अपने सरप्लस रिजर्व में से 1.76 लाख करोड़ रुपए केंद्र सरकार को देगा। आरबीआई के 84 साल के इतिहास में ऐसा पहली बार होने जा रहा है। इस फैसले से सरकार को सुस्त पड़ी अर्थव्यवस्था में तेजी लाने में मदद मिलेगी।
आरबीआई 2013-14 के बाद से अपनी डिस्पोजेबल इंकम (खर्च करने लायक फंड) का 99 प्रतिशत सरकार को देता आ रहा है। जहां तक डिविडेंड का सवाल है तो 2018-19 के लिए 1,23,414 करोड़ रुपए में से 28,000 करोड़ रुपए मार्च में ही अंतरिम डिविडेंड के तौर पर सरकार को दिए जा चुके हैं। मौजूदा वित्त वर्ष के दौरान सरकार को 95,414 करोड़ रुपए लाभांश मिलना तय है। यह 1.76 लाख करोड़ के सरप्लस फंड के अलावा होगा।