नई दिल्ली। विपक्ष के पेट्रोल-डीजल एवं एलपीजी की बढ़ती कीमतों को लेकर सरकार को घेरने के बीच वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को लोकसभा में कहा कि अगर जीएसटी परिषद की अगली बैठक के एजेंडे में पेट्रोल एवं डीजल को माल एवं सेवा कर (GST) के दायरे में लाया जाता है तो वह उस पर चर्चा करने के लिए तैयार हैं।
वित्तमंत्री ने निचले सदन में वित्त विधेयक 2021 पर चर्चा का जवाब देते हुए यह बात कही। मंत्री के जवाब के बाद लोकसभा ने कुछ सदस्यों के कटौती प्रस्तावों को अस्वीकार करते हुए एवं कुछ सरकारी संशोधनों को स्वीकार करते हुए ध्वनिमत से विधेयक को मंजूरी दे दी।
इससे पहले लोकसभा ने अगले वित्त वर्ष के बजट में विभिन्न मंत्रालयों एवं विभागों के लिए प्रस्तावित अनुदानों की मांगों एवं उनसे संबंधित विनियोग विधेयक को बुधवार को गिलोटिन के माध्यम से मंजूरी प्रदान कर दी थी। इसके बाद बजटीय प्रक्रिया के तहत वित्त विधेयक को लोकसभा की मंजूरी के लिए पेश किया गया और वित्त विधेयक को मंजूरी प्रदान करने के साथ संसद में आम बजट को मंजूरी देने की प्रक्रिया पूरी हुई। सीतारमण ने कहा कि कुछ सदस्यों ने पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने की बात कही है। इस बारे में यह समझना जरूरी है कि ईधन पर राज्य भी कर लगाते हैं, केवल केंद्र सरकार ही कर नहीं लगाती।
उन्होंने कहा कि जब केंद्र सरकार ईधन पर कर लगाती है, तब इसका एक हिस्सा राज्यों को भी मिलता है। वित्त मंत्री ने कहा कि चर्चा के दौरान सांसदों ने इस विषय पर चिंता व्यक्त की है और इसे जीएसटी के दायरे में लाने की बात कही है। अगर राज्य (सरकार) इस चर्चा को देख रहे हों तो वे जीएसटी परिषद की अगली बैठक में इस विषय को एजेंडे में लाएं।
उन्होंने कहा कि अगर जीएसटी परिषद की अगली बैठक के एजेंडे में पेट्रोल एवं डीजल को माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के दायरे में लाया जाता है तब सरकार उस पर चर्चा करने के लिए तैयार है। सीतारमण ने कहा कि जीएसटी से जुड़े मामले वित्त मंत्रालय से जुड़े मामले नहीं हैं, यह जीएसटी परिषद का विषय है जिसमें राज्यों के वित्तमंत्री सदस्य हैं। उन्होंने कहा कि कर व्यवस्था में कुछ बदलाव किए गए हैं जिनका मकसद कारोबार करने की सुगमता को बढ़ाना है। उन्होंने कहा कि विपक्ष के सदस्यों की ओर से सरकार के कुछ कामों की सराहना किया जाना, प्रशंसनीय हैं।
कृषि उपकर के बारे में कुछ सदस्यों के सवालों का जवाब देते हुए वित्तमंत्री ने कहा कि यह कृषि आधारभूत ढांचा संबंधी उपकर है और इससे प्राप्त धन राज्यों को जाएगा क्योंकि यह कृषि संबंधी आधारभूत ढांचे के विकास के लिए है।
उन्होंने बताया कि बुनियादी ढांचा विकास की परियोजनाओं के लिए दीर्घकालिक कर्ज देने वाले वित्तीय संस्थान की कमी दूर करने के लिए 'राष्ट्रीय बैंक (एनएबीएफआईडी) विधेयक-2021 पेश किया गया है। सीतारमण ने कहा कि बीमा संशोधन विधेयक का एलआईसी से कोई लेना-देना नहीं है। यह विधेयक बीमा क्षेत्र से जुड़ा हुआ है। (भाषा)