मुंबई। कोरोनावायरस (Coronavirus) महामारी से जुड़े व्यवधानों तथा ऊंची कीमतों के कारण सितंबर तिमाही में भारत में सोने की मांग सालभर पहले की तुलना में 30 प्रतिशत कम होकर 86.6 टन पर आ गई। विश्व स्वर्ण परिषद (डब्ल्यूजीसी) ने एक रिपोर्ट में यह कहा है।
विश्व स्वर्ण परिषद की तीसरी तिमाही सोना मांग ट्रेंड रिपोर्ट के अनुसार, पिछले साल की सितंबर तिमाही में सोने की कुल मांग 123.9 टन रही थी। मूल्य के आधार पर इस दौरान सोने की मांग पिछले साल के 41,300 करोड़ रुपए की तुलना में चार प्रतिशत कम होकर 39,510 करोड़ रुपए पर आ गई।
विश्व स्वर्ण परिषद के प्रबंध निदेशक (भारत) सोमसुंदरम पीआर ने कहा कि कोविड-19 से जुड़े व्यवधानों, कमजोर उपभोक्ता धारणा, ऊंची कीमतें और उथल-पुथल के कारण 2020 की तीसरी तिमाही में सोने की मांग 30 प्रतिशत घटकर 86.6 टन रह गई। हालांकि यह दूसरी तिमाही से अधिक है। दूसरी तिमाही में सोने की मांग सालभर पहले की तुलना में 70 प्रतिशत कम होकर 64 टन पर आ गई थी।
तिमाही आधार पर मांग में सुधार के कारण लॉकडाउन की पाबंदियों में ढील मिलना तथा अगस्त में कुछ समय के लिए कीमतों का कम होना है। उन्होंने कहा कि अगस्त में कुछ समय कीमतें कम होने से कुछ दिलचस्प लोगों को खरीदारी करने का मौका मिला।
इस दौरान भारत की कुल आभूषण मांग सालभर पहले के 101.6 टन से 48 प्रतिशत कम होकर 52.8 टन पर आ गई। मूल्य के संदर्भ में आभूषणों की मांग सालभर पहले के 33,850 करोड़ रुपए से 29 प्रतिशत गिरकर 24,100 करोड़ रुपए पर आ गई। इस दौरान कुल निवेश मांग सालभर पहले के 22.3 टन से 52 प्रतिशत बढ़कर 33.8 टन पर पहुंच गई।
सोमसुंदरम ने कहा, तीसरी तिमाही में मांग आमतौर पर मानसून जैसे मौसमी कारकों और पितृपक्ष और अधिक मास जैसी अशुभ अवधियों के कारण कम होती है। आभूषणों की मांग में 48 प्रतिशत की गिरावट आई है, क्योंकि आभूषणों की खरीदारी में त्योहारों या शादियों का कोई समर्थन नहीं था।
इसके अलावा उन्होंने बताया कि देश में आभूषण खरीदना एक अनुभव है और सामाजिक सुरक्षित दूरी तथा मास्क पहनने जैसी पाबंदियों ने खुदरा स्टोरों में उपभोक्ता स्तर को कम रखा है। उन्होंने कहा कि तीसरी तिमाही में भारत में 41.5 टन सोने का पुनर्चक्रण हुआ। यह सालभर पहले की समान तिमाही के 36.5 टन से 14 प्रतिशत अधिक है।
सोमसुंदरम ने कहा, ऊंची कीमतों के कारण पुनर्चक्रण 14 प्रतिशत बढ़कर 41.5 टन पर पहुंच गया। उन्होंने कहा कि त्योहारी मांग की उम्मीद तथा आपूर्ति श्रृंखला संबंधी बाधाओं के दूर होने से आयात में सुधार हुआ है। यह पिछली तिमाही में महज नौ टन था, जो अब बढ़कर 90.5 टन हो गया है।(भाषा)