गुवाहाटी। असम में बाढ़ की स्थिति शुक्रवार को भी गंभीर बनी रही और पिछले 24 घंटे में 8 और लोगों की मौत हो गई। 29 लाख से अधिक लोग अब भी बाढ़ से प्रभावित हैं। राज्यभर में 75 राजस्व मंडलों के तहत 2,608 गांव बाढ़ से प्रभावित हुए हैं, जबकि 3,05,565 लोगों ने 551 राहत शिविरों में शरण ली है। इस साल बाढ़ और भूस्खलन के कारण मरने वालों की संख्या बढ़कर 159 हो गई।
अधिकारियों ने यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि कछार जिला मुख्यालय, सिलचर के अधिकांश हिस्से अब भी जलमग्न हैं। असम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एएसडीएमए) द्वारा जारी एक बुलेटिन के अनुसार, इस साल बाढ़ और भूस्खलन के कारण मरने वालों की संख्या बढ़कर 159 हो गई, जबकि एक व्यक्ति के लापता होने की सूचना मिली है, जिससे लापता लोगों की कुल संख्या 36 हो गई।
केंद्रीय गृह मंत्रालय की एक अंतर-मंत्रालयी केंद्रीय टीम (आईएमसीटी) राज्य में है तथा दिन के दौरान और शनिवार को भी उसके बाढ़ प्रभावित कुछ क्षेत्रों का दौरा करने की योजना है। टीम को दो समूहों में विभाजित किया गया है, जिसमें से एक समूह कछार, हैलाकांडी और करीमगंज और दूसरा समूह नलबाड़ी, बजली, कामरूप और मोरीगांव में बाढ़ से हुए नुकसान का आकलन करने वाला है।
मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने पिछले दस दिनों में बराक घाटी का तीसरी बार दौरा किया और वहां की स्थिति की समीक्षा करने के लिए करीमगंज पहुंचे। उन्होंने जिले के सुभाष हाईस्कूल कालीबाड़ी और गोपिकानगर में राहत शिविर का दौरा किया।
मुख्यमंत्री ने इससे पहले दो बार सिलचर का दौरा किया और जलमग्न शहर का हवाई सर्वेक्षण किया। मेहरपुर, विवेकानंद रोड, दास कॉलोनी, अंबिकापट्टी, चर्च रोड, चांदीचरण रोड, बिलपर, पब्लिक स्कूल रोड, सुभाष नगर और एनएस एवेन्यू सहित सिलचर के कई हिस्से बाढ़ के पानी में डूबे हुए हैं।
उपायुक्त कीर्ति जल्ली ने कहा कि बेथुकुंडी में टूटे बांध के क्षतिग्रस्त हिस्से की मरम्मत का काम जारी है। बांध टूटने की वजह से शहर में जलभराव हो गया। उन्होंने कहा कि कछार जिले के कटिगोरा राजस्व मंडल के बड़जुरी में क्षतिग्रस्त बांध की मरम्मत का भी काम चल रहा है।
उन्होंने कहा कि प्रभावित लोगों तक पेयजल और भोजन पहुंचाने को प्राथमिकता दी जा रही है, जबकि स्वास्थ्य विभाग द्वारा नगर निगम के सभी 28 वार्डों में जल जनित बीमारियों की रोकथाम सुनिश्चित करने के लिए चिकित्सा शिविर लगाए जा रहे हैं।
इस बीच, राज्यभर में 75 राजस्व मंडलों के तहत 2,608 गांव बाढ़ से प्रभावित हुए हैं, जबकि बुलेटिन के अनुसार, 3,05,565 लोगों ने 551 राहत शिविरों में शरण ली है। अस्थाई केंद्रों में आश्रय नहीं लेने वाले बाढ़ प्रभावित लोगों के बीच 355 आपूर्ति केंद्रों से राहत सामग्री वितरित की गई।
सबसे बुरी तरह प्रभावित जिलों में कछार जिले में 14,31,652 लोग प्रभावित हैं, इसके बाद नागांव में 5,19,463 लोग और बारपेटा में 4,00,502 लोग प्रभावित हैं। बिश्वनाथ और उदलगुरी में दो तटबंध भी टूट गए हैं जबकि 221 सड़कें, पांच पुल और 557 मकान बाढ़ के कारण क्षतिग्रस्त हो गए हैं। 76,115 हेक्टेयर कृषि क्षेत्र जलमग्न है, जबकि 51 जानवर बह गए हैं।
बुलेटिन में कहा गया है कि बिश्वनाथ, बोंगाईगांव, चिरांग, धेमाजी, धुबरी, डिब्रूगढ़, कामरूप, कोकराझार, लखीमपुर, मोरीगांव, सोनितपुर, तामुलपुर और तिनसुकिया से भी बड़े पैमाने पर कटाव की खबरें हैं।(भाषा)