मुंबई। विवादास्पद कृषि कानूनों को वापस लेने के केंद्र सरकार के फैसले का अभिनेता सोनू सूद, अभिनेत्री उर्मिला मातोंडकर, तापसी पन्नू और ऋचा चड्ढा सहित कई फिल्मी हस्तियों ने शुक्रवार को स्वागत किया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को गुरु नानक जयंती के अवसर पर राष्ट्र के नाम संबोधन में तीन कृषि कानूनों को वापस लिए जाने की घोषणा की और कहा कि इसके लिए संसद के आगामी सत्र में विधेयक लाया जाएगा। प्रधानमंत्री ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से जुड़े मुद्दों पर एक समिति बनाने की भी घोषणा की।
मोदी ने कहा कि आज, मैं हर किसी को बताना चाहता हूं कि हमनें तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का फैसला किया। उनकी इस घोषणा के बाद कई फिल्मी हस्तियों ने सरकार के फैसले का स्वागत किया।
अभिनेता सोनू सूद ने इसे एक अच्छी खबर बताया और ना केवल प्रधानमंत्री का, बल्कि शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने के लिए किसानों का भी शुक्रिया अदा किया। उन्होंने ट्वीट किया कि यह एक बेहतरीन खबर है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी, कृषि कानून वापस लेने के लिए आपका धन्यवाद। शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन के दौरान अपनी उचित मांगें करने के लिए किसानों का भी शुक्रिया। उम्मीद है कि आप सभी आज गुरु नानक देव जी की जयंती पर मनाए जाने वाले प्रकाश पर्व पर खुशी से अपने परिवारों के पास लौट जाएंगे।
किसानों की तस्वीर साझा करते हुए अभिनेत्री एवं नेता उर्मिला मातोंडकर ने ट्वीट किया- जीत की ख़ातिर जुनून चाहिए, जिसमें उबाल हो ऐसा खून चाहिए, ये आसमान भी आएगा जमीन पर, बस इरादों मे जीत की गूंज चाहिए। किसान आंदोलन जिंदाबाद, किसान बहन-भाइयों को मुबारक, शहीद किसानों को नमन। जयकिसान।
रिचा चड्ढा ने भी किसान समर्थक टी-शर्ट पहने एक तस्वीर साझा की और लिखा, सरबत दा भला (सबका भला हो)। तापसी पन्नू ने एक न्यूज क्लिप साझा की, जिसमें प्रधानमंत्री तीन कानून वापस लिए जाने की घोषणा करते नजर आ रहे हैं। साथ ही उन्होंने लिखा, इसके साथ ही गुरु पर्व की भी सभी को बधाई।
अभिनेत्री गुल पनाग ने कहा कि यह भविष्य की सरकारों के लिए एक सबक है कि कोई भी सुधार लाते समय सभी हितधारकों की राय लें। उन्होंने ट्वीट किया- काश, हमने गतिरोध को इतना लंबा नहीं चलने दिया होता, इसमें कई लोगों की जान गई...किसान आंदोलन तथा प्रदर्शनकारियों को नीचा दिखाया गया, उनका अपमान किया गया। यह भविष्य की सरकारों के लिए एक सबक है कि सुधार लाते समय सभी हितधारकों की राय भी लें। साथ ही, कानून बनाने वालों के लिए भी सबक है कि बिना बहस एवं चर्चा के कुछ ही मिनट में कानून पारित ना करें... विधायी प्रक्रिया को दरकिनार नहीं किया जा सकता।
उन्होंने किसानों को कथित तौर पर गुंडा, देशद्रोही, आतंकवादी कहे जाने पर भी नाराजगी व्यक्त की और कहा कि इसे ना भुलाया जा सकता है और ना माफ किया जाएगा। अभिनेत्री दिया मिर्जा ने ट्वीट किया, जय किसान। गुरु पर्व।
फिल्म निर्माता हंसल मेहता ने कहा कि यह किसानों के दृढ़ निश्चय और दृढ़ता का उत्सव मनाने का समय है। अभिनेता रणबीर शौरी ने कहा, अंत में राजनीति और नेता ही विजेता हैं। भारत में, वे सदा हैं।
किसानों को बधाई देते हुए अभिनेता मोहम्मद जिशान अयूब ने सोशल मीडिया पर अपनी खुशी जाहिर करते हुए लिखा, किसान मित्रों और समर्थकों को बहुत-बहुत बधाई। हम लड़े कॉमरेड, हम जीते कॉमरेड। यदि आप कोशिश करते हैं तब आप कभी ना कभी जीत सकते हैं।
फिल्म निर्माता ओनीर ने सरकार के फैसला का स्वागत किया लेकिन यह भी कहा कि प्रदर्शन के दौरान जान गंवाने वालों को भी किसी को भूलना नहीं चाहिए।
अभिनेता रणदीप हुड्डा ने कहा कि एक असली लोकतंत्र का संकेत तब दिखता है जब विरोधी समूह देश के व्यापक सौहार्द्र के लिए एकजुट होते हैं।
हालांकि, अभिनेत्री कंगना रनौत के अलग विचार हैं। उन्होंने इंस्टाग्राम पर तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने के सरकार के फैसले पर नाखुशी प्रकट की। उन्होंने कहा, दुखद, शर्मनाक, बिल्कुल ही अनुचित। उन्होंने सरकार के इस कदम की सराहना करने वाले एक सोशल मीडिया उपयोगकर्ता को जवाब देते हुए लिखा, यदि सड़क पर लोगों ने कानून बनाना शुरू कर दिया है और निर्वाचित सरकार संसद में यह कार्य नहीं करे तब फिर यह एक जिहादी राष्ट्र है...उन सभी को बधाई जो इसे पसंद करते हैं।
आंदोलन के दौरान, पन्नू, चड्ढा, प्रियंका चोपड़ा जोनास, सोनम कपूर आहूजा, प्रीति जिंटा, स्वरा भास्कर, दिलजीत दोसांझ, रितेश देशमुख, हंसल मेहता, हरभजन मान, जसबीर जस्सी जैसी कई फिल्मी हस्तियों ने सोशल मीडिया पर किसानों के साथ एकजुटता प्रदर्शित की थी।
मान, कंवर ग्रेवाल, हर्फ चीमा, बब्बू मान, जस बाजवा, हिम्मत संदू, आर नायत, अनमोल गगन सहित कई पंजाबी गायकों तथा अभिनेता ने किसानों के आंदोलन के प्रति एकजुटता प्रदर्शित करते हुए गीत भी लिखे।
उल्लेखनीय है कि केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ हजारों किसान पिछले करीब एक साल से दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं। साथ ही, वे अपनी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी की मांग भी कर रहे हैं। सरकार और किसानों के बीच इन मुद्दों पर कई दौर की बातचीत बेनतीजा रही थी।