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‘इंदु सरकार’ की रिलीज के खिलाफ याचिका खारिज

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, गुरुवार, 27 जुलाई 2017 (16:23 IST)
नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने 1975-77 के आपातकाल पर आधारित बॉलीवुड फिल्म ‘इंदु सरकार’ को सेंसर बोर्ड से मिली मंजूरी पर रोक लगाने की मांग करने वाली याचिका को गुरुवार को खारिज कर दिया। अदालत ने कहा कि यह बात किसी को फिल्म की रिलीज पर रोक लगाने की मांग करने का अधिकार नहीं देती कि वे गांधी परिवार में काफी विश्वास रखते हैं।
 
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और न्यायमूर्ति सी. हरिशंकर की एक पीठ ने यह भी कहा कि बंबई उच्च न्यायालय भी ऐसी ही एक याचिका को खारिज कर चुका है इसलिए अदालत के फैसले से असहमति जताने की कोई वजह नहीं है। अदालत ने कहा कि याचिका खारिज की जाती है।
 
वकील उज्ज्वल आनंद शर्मा द्वारा दायर याचिका में दावा किया गया है कि मधुर भंडारकर के निर्देशन वाली इस फिल्म में दिवंगत इंदिरा गांधी और उनके दिवंगत बेटे संजय की छवि को खराब दिखाया गया है और यह एक 'प्रोपेगैंडा फिल्म' है।
 
याचिका में दावा किया गया है कि फिल्म निर्माताओं ने फिल्म बनाने से पहले गांधी परिवार से अनापत्ति प्रमाण पत्र नहीं लिया, जो सच्ची घटनाओं तथा लोगों पर आधारित फिल्म बनाने के लिए फिल्म प्रमाणन कानून के तहत अनिवार्य होता है। इसमें दावा किया गया है कि केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) ने इस आधार पर एनओसी पर जोर नहीं दिया कि फिल्म में इंदिरा गांधी या संजय गांधी के नामों का जिक्र नहीं है।
 
वर्ष 1975 में इंदिरा गांधी द्वारा लगाए गए आपातकाल पर बनी यह हिन्दी फिल्म शुक्रवार को रिलीज होनी है। अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता को सुने जाने का कोई मतलब नहीं है और वह इस मुद्दे पर तभी विचार करेगी, जब मृतकों के परिजन फिल्म के खिलाफ नाराजगी जताएंगे। 
 
पीठ ने कहा कि सीबीएफसी की स्क्रीनिंग समिति ने फिल्म को बारीकी से देखा है। वह समिति की अनुशंसा पर आवश्यक बदलाव किए जाने के बाद ही सर्टिफिकेट देता है। सेंसर बोर्ड ने 12 दृश्यों पर कैंची चलाने का निर्देश देने के बाद फिल्म को यू/ए सर्टिफिकेट दे दिया। याचिका में कहा गया है कि सामान्य बुद्धि के एक विवेकशील व्यक्ति को इस निष्कर्ष पर पहुंचने में देर नहीं लगेगी कि फिल्म में चित्रित किरदार वाकई काल्पनिक नहीं हैं।
 
याचिकाकर्ता ने मांग की कि पूरी फिल्म को देखने के लिए एक समिति गठित की जाए तथा आपत्तिजनक या अपमानजनक पाए जाने वाले दृश्यों पर अदालत में एक रिपोर्ट सौंपी जाए तथा यह भी बताया जाए कि क्या फिल्म निर्माताओं को 'गांधी परिवार के संबंधित व्यक्तियों' से एनओसी लेने की जरूरत थी। (भाषा)

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