नई दिल्ली। कोरोना संकट और किसानों आंदोलन के बीच मोदी सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। केंद्र सरकार ने बुधवार को डीएपी खाद के लिए सब्सिडी 500 रुपए से बढ़ाकर 1200 प्रति बैग (कट्टा) करने का फैसला किया। इस फैसले के बाद डीएपी की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में वृद्धि के बावजूद किसानों को 1200 रुपए ही खाद के प्रति बैग के लिए चुकाने होंगे।
यह फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई एक उच्च स्तरीय बैठक में लिया गया। प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि डीएपी खाद के लिए सब्सिडी 500 रुपये प्रति बैग से 140 प्रतिशत बढ़ाकर 1200 रुपए प्रति बैग करने का ऐतिहासिक निर्णय लिया गया।
बयान में कहा गया कि इस प्रकार डीएपी की अंतरराष्ट्रीय बाजार कीमतों में वृद्धि के बावजूद, इसे 1200 रुपए के पुराने मूल्य पर ही बेचे जाने का निर्णय लिया गया है। पीएमओ ने कहा कि मूल्य वृद्धि का सारा अतिभार केंद्र सरकार ने उठाने का फैसला किया है।
प्रति बोरी सब्सिडी की राशि कभी भी एक बार में इतनी नहीं बढ़ाई गई है। पिछले साल डीएपी की वास्तविक कीमत 1,700 रुपए प्रति बोरी थी, जिसमें केंद्र सरकार 500 रुपए प्रति बैग की सब्सिडी दे रही थी, इसलिए कंपनियां किसानों को 1200 रुपये प्रति बोरी के हिसाब से खाद बेच रही थीं।
किसानों के प्रति संवेदनशील है सरकार : भाजपा ने केंद्र सरकार के फैसले को ऐतिहासिक करार दिया और कहा कि यह किसानों के प्रति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार की वेदनशीलता को दर्शाता है। भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा ने ट्वीट कर कहा कि खाद सब्सिडी बढ़ाने का किसान-हितैषी ऐतिहासिक निर्णय लेने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का धन्यवाद। डीएपी खाद पर सब्सिडी 140 प्रतिशत बढ़ाई गयी है।
अब किसानों को डाइ अमोनिया फास्फेट पर 700 रुपये प्रति बोरी अधिक सब्सिडी मिलेगी। अब खाद की एक बोरी 2400 की जगह सिर्फ 1200 रुपए में मिलेगी। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार किसानों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए प्रतिबद्ध है इसलिए अंतरराष्ट्रीय मूल्यों में बढ़ोतरी के बावजूद उन्हें पुरानी दरों पर ही खाद मुहैया कराने का निर्णय लिया है।
मोदी सरकार अपने कार्यकाल के प्रथम दिन से किसानों की आय बढ़ाने और उनके कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है। खाद सब्सिडी बढ़ाने पर सरकार 15,000 करोड़ रुपए का अतिरिक्त खर्च वहन करेगी।
भाजपा महासचिव भूपेंद्र यादव ने बातचीत में कहा कि बुआई के पहले मोदी सरकार ने किसानों को बहुत बड़ी राहत दी है। उन्होंने कहा कि किसानों की तरफ से भाजपा सरकार के प्रति आभार प्रकट करती है।
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के माध्यम से पिछले दिनों किसानों के खातों में हस्तांतरित की गई राशि और पंजाब तथा किसानों से अनाज की खरीद कर सीधे उनके खातों में राशि भेजे जाने का उल्लेख करते हुए यादव ने कहा कि सरकार कृषि क्षेत्र को मजबूत करने के लिए अप्रत्याशित फैसले ले रही है।
कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन जारी : दिल्ली में हो रही बारिश के कारण बढ़ती मुश्किलों के बीच दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे किसानों के संगठन संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने बुधवार को केंद्र सरकार से कहा कि हमारे धैर्य की परीक्षा नहीं लें, वार्ता की शुरुआत करें और हमारी मांगों को मान लें। पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश सहित देश के विभिन्न हिस्से से हजारों की संख्या में किसान दिल्ली के तीन सीमा बिंदुओं- सिंघू, टीकरी और गाजीपुर में करीब 6 महीने से धरना दे रहे हैं। वे तीन कृषि कानूनों को वापस लेने और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी की मांग कर रहे हैं।
एसकेएम ने बयान जारी कर कहा कि किसान आंदोलन में 470 से अधिक किसानों की मौत हो चुकी है। कई आंदोलनकारियों को अपनी नौकरियां, पढ़ाई एवं दूसरे काम छोड़ने पड़े और सरकार अपने नागरिकों, अन्नदाताओं के प्रति ही कितना अमानवीय एवं लापरवाह रुख दिखा रही है। सरकार अगर अपने किसानों की चिंता करती और उनका कल्याण चाहती तो उसे किसानों से वार्ता शुरू करनी चाहिए और उनकी मांगें माननी चाहिए। इसने सरकार को चेतावनी दी कि किसानों के धैर्य की परीक्षा नहीं लें। प्रदर्शनकारी किसानों और सरकार के बीच अभी तक 11 दौर की वार्ता हो चुकी है लेकिन गतिरोध बना हुआ है क्योंकि दोनों पक्ष अपने रूख पर अड़े हुए हैं।
आंदोलनरत किसान संगठनों के समूह एसकेएम ने कहा कि यह सरकार किसानों की हितैषी होने का बहाना करती है और जब किसी राज्य में फसल के उत्पादन या निर्यात में बढ़ोतरी का पूरा श्रेय लेती है तो इसे प्रत्येक नागरिक की क्षति और दूसरे नुकसानोंकी जिम्मेदारी भी लेनी चाहिए जो दिल्ली की सीमाओं पर हो रही है। किसानों ने कहा कि बारिश के कारण भोजन एवं आवास की स्थिति खराब हो रही है। सड़कें एवं प्रदर्शन स्थल के कई हिस्से बारिश के पानी से भर गए हैं।(इनपुट भाषा)