भोपाल/ मंदसौर/ चंडीगढ़। कई राज्यों में प्रदर्शनरत किसानों ने शुक्रवार को सब्जियों, दूध और अन्य कृषि उत्पादों को सड़कों पर फेंक दिया और शहरों में इन पदार्थों की आपूर्ति रोक दी। किसानों ने ऋणमाफी और फसलों के उचित मूल्य की मांग को लेकर दबाव डालने के लिए शुरू किए गए 10 दिन के अपने आंदोलन के तहत ऐसा किया। किसान संगठनों ने पंजाब, हरियाणा, उत्तरप्रदेश और मध्यप्रदेश में मंडियों और थोक बाजारों का बहिष्कार करने का आह्वान किया है जिससे सामानों की किल्लत और मूल्यवृद्धि की आशंका पैदा हो गई है।
राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ (आरकेएमएम) के संयोजक शिवकुमार शर्मा ने भोपाल में बताया कि 22 राज्यों में 'गांव बंद' आंदोलन का आयोजन किया जा रहा है। पुलिस मध्यप्रदेश के मंदसौर में कड़ी सतर्कता बरत रही है। पिछले साल 6 जून को किसानों के प्रदर्शन के दौरान यहां पुलिस गोलीबारी में 6 कृषकों की मौत हो गई थी।
किसानों से दूध सहित उनके कृषि उत्पादों को बेचने के लिए शहर नहीं आने को कहा गया है तथा इस आंदोलन के आखिरी दिन यानी 10 जून को 'भारत बंद' का आयोजन किया जाएगा। पड़ोसी नीमच जिले में भी बाजार बंद रहे।
मंदसौर एसपी ने कहा कि जिले में अब तक किसी भी तरह की अप्रिय घटना की सूचना नहीं मिली है। मध्यप्रदेश पुलिस के विशेष सशस्त्र बल (एसएएफ) की 5 कंपनियां जिले में नजर रख रही हैं। किसान एकता मंच और राष्ट्रीय किसान महासंघ के बैनर तले 1 से 10 जून तक आपूर्ति रोकने का फैसला किया गया है।
भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष बलबीर सिंह राजेवाल ने दावा किया कि पंजाब और अन्य राज्यों में किसानों की ओर से अच्छी प्रतिक्रिया मिली है। उन्होंने दावा किया कि पंजाब के अलावा हरियाणा, उत्तरप्रदेश, राजस्थान, मध्यप्रदेश और कुछ अन्य राज्यों में भी किसान अपने उत्पादों की बिक्री शहरों में नहीं कर रहे हैं। पंजाब में कुछ स्थानों पर किसानों ने विरोधस्वरूप सब्जियों और दूध को सड़कों पर फेंक दिया।
राजेवाल ने कहा कि 10 दिन के प्रदर्शन के दौरान किसान अपने गांवों में रहेंगे और अपने उत्पादों की बिक्री के लिए शहर नहीं जाएंगे, हालांकि वे गांवों में अपने उत्पाद बेच सकेंगे, साथ ही कहा कि प्रदर्शन अब तक शांतिपूर्ण रहे हैं।
किसान संगठनों ने आरोप लगाया है कि केंद्र सरकार कम आय, किसानों की खुदकुशी और ऋण जैसे उनके मुद्दों के समाधान में नाकाम रही है। हम न्यूनतम आय गारंटी योजना, स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट को लागू करने और किसानों के ऋण को माफ करने की भी मांग करते रहे हैं। (भाषा)