Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

विदेशी चीते भारत लाना 'ऐतिहासिक' गलती है? विशेषज्ञों ने 5 सवालों के जवाब देकर जताई चिंता

हमें फॉलो करें विदेशी चीते भारत लाना 'ऐतिहासिक' गलती है? विशेषज्ञों ने 5 सवालों के जवाब देकर जताई चिंता
, रविवार, 18 सितम्बर 2022 (20:19 IST)
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शनिवार को अफ्रीकी देश नामीबिया से लाए गए 8 चीतों को मध्य प्रदेश के कुनो नेशनल पार्क में छोड़े जाने की हर तरफ चर्चा है। देश में 70 साल बाद बिल्ली परिवार के इस सदस्य के आने के साथ ही सवाल उठ रहे हैं कि भारतीय परिस्थितियों के हिसाब से ये विदेशी चीते कितना सामंजस्य बिठा पाएंगे और उनका भविष्य क्या होगा।
 
इन्हीं सब मुद्दों पर भारत के प्रसिद्ध वन्यजीव विशेषज्ञों और संरक्षणवादियों में से एक वाल्मीक थापर से 5 सवाल और उनके जवाब :
 
सवाल : नामीबिया से लाए गए चीतों को भारत में बसाने के प्रयास को ‘‘ऐतिहासिक’’ बताया जा रहा है। आप इसे कैसे देखते हैं?
 
जवाब : भारत में कभी अफ्रीकी चीते नहीं थे। यहां मारे गए आखिरी चीते संभवत: एक स्थानीय रियासत के पालतू जानवर थे, जो भाग गए थे। चीतों की आखिरी स्वस्थ आबादी कब अस्तित्व में थी, यह निश्चित रूप से कोई नहीं जानता। मेरा मानना है कि विदेशी चीतों को भारत में लाकर कुनो राष्ट्रीय उद्यान में छोड़ा जाना सभी गलत वजहों से ‘‘ऐतिहासिक’’ है।
webdunia
सवाल : इन चीतों के अस्तित्व को लेकर तमाम प्रकार की चिंताए व आशंकाएं भी प्रकट की जा रही हैं। आपकी राय?
जवाब : उनके अस्तित्व को लेकर बड़ी समस्याएं होंगी क्योंकि जिस वन क्षेत्र में उन्हें बसाया जा रहा है वहां अधिकांश जंगल है और चीतों को शिकार के लिए वनों में हिरणों की तलाश करनी होगी। चीते घास के मैदान की बड़ी बिल्लियां हैं। कुनो राष्ट्रीय उद्यान में उन्हें तेंदुओं के साथ वनक्षेत्र साझा करना पड़ेगा जो कि धारीदार लकड़बग्घे के साथ ही उसका नंबर एक दुश्मन हैं। कुल मिलाकर इनका अस्तित्व चुनौतीपूर्ण होने वाला है।
 
सवाल : क्या इन चीतों की वजह से आप मनुष्य-पशु संघर्ष की संभावना भी देखते हैं?
जवाब : चीता कुछ ही दिनों में 100 किलोमीटर तक विचरण कर सकते हैं। वे बकरियों को मार सकते हैं या गांव के कुत्ते उन्हें (चीतों को) मार सकते हैं क्योंकि चीते, बाघ या तेंदुए की तरह खूंखार नहीं होते हैं। इनके मुकाबले वह कम खूंखार परभक्षी जीव होता है। इसलिए मेरा मानना है कि इससे मनुष्य-पशु संघर्ष तेज होगा।
 
सवाल : क्या इस कदम से जंगल से जुड़ी चिंताओं का समाधान होगा?
जवाब : यह पहल चीता से जुड़ी चिंताओं का समाधान नहीं करती है क्योंकि जहां उन्हें बसाया जा रहा है, उस जगह को मुख्य रूप से शेरों को बसाने के लिए चुना गया था। वनक्षेत्र के हिसाब से कुनो का चयन एक गलत पसंद है। स्थानीय वन अधिकारियों के लिए भी बड़ी चुनौतियां आने वाली हैं, जिनसे पार पाना उनके लिए आसान नहीं होगा।
 
सवाल : क्या इससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी, जैसा कि दावा किया जा रहा है?
जवाब : स्थानीय अर्थव्यवस्था की मुझे जानकारी नहीं है लेकिन यह इन चीतों के अस्तित्व पर निर्भर करेगा। कम से कम एक साल तक तो इसके बारे में कोई पूर्वानुमान नहीं लगाया जा सकता। यदि चीतों के लिए कठिनाइयां बढ़ती हैं तो स्थानीय अर्थव्यवस्था को नुकसान ही होगा। (भाषा)

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

ताइवान में शक्तिशाली भूकंप : कई लोग मलबे में दबे, रेलगाड़ी पटरी से उतरी