सूबे के 17वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने के साथ ही चरणजीत सिंह चन्नी पंजाब के पहले दलित मुख्यमंत्री बन गए है। रविदासिया समुदाय से आने वाले चन्नी के सहारे कांग्रेस पंजाब में विधानसभा चुनाव में किंगमेकर की भूमिका निभाने वाले करीब 32 फीसद दलित वोटों को लुभाने की कोशिश में है। पंजाब कांग्रेस में पिछले लंबे समय से जारी सियासी उठापटक का पटाक्षेप चरणजीत सिंह चन्नी के मुख्यमंत्री बनने के साथ हो गया है ऐसा लगता नहीं है।
दरअसल चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बनाए जाने के फैसले को लेकर पंजाब कांग्रेस दो भागों में बंटती हुई दिखाई दे रही है। जहां पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष नवजोत सिद्धू ने इसे संविधान और कांग्रेस की भावना का सम्मान बताते हुए इतिहास में सुनहरे अक्षरों में लिखा जाने वाला फैसला बताया है। वहीं आज शपथ ग्रहण समारोह से पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और पंजाब कांग्रेस के दिग्गज नेता सुनील जाखड़ ने दूरी बनाना बड़ी नाराजगी के तौर पर देखा जा रहा है।
पंजाब में विधानसभा चुनाव से पांच महीने पहले कांग्रेस के मुख्यमंत्री बदलने और अब पार्टी के सीनियर नेताओं की नाराजगी को लेकर सियासी गलियारों में हलचल तेज हो गई है। कांग्रेस की सियासत को करीब से देखने वाले वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक रशीद किदवई कहते हैं कि चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बनाना वैसे तो कांग्रेस का एक अच्छा निर्णय है लेकिन समस्या केवल नवजोत सिंह सिद्धू को लेकर है।
विधानसभा चुनाव के नजरिए से देखें तो दलित चेहरे को मुख्यमंत्री बनाकर कांग्रेस को एक टेका तो लग गया है और जाति के कार्ड से कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी और अकाली-बसपा गठबंधन और भाजपा को राजनीतिक रुप से मूर्छित कर दिया है लेकिन असली समस्या अब आगे की है।
रशीद किदवई कहते हैं कि एक दलित समुदाय से आने वाले व्यक्ति को मुख्यमंत्री बनाने से पंजाब के साथ पूरे देश में एक अच्छा मैसेज गया है लेकिन समस्या यह है कि सिद्धू को कैसे मनाएंगे। दरअसल नवजोत सिंह सिद्धू की पंजाब के मुख्यमंत्री बनने की राजनीतिक महत्वाकांक्षा किसी से छिपी नहीं है और इसलिए उन्होंने कैप्टन के खिलाफ मोर्चा खोल इतनी सारी कवायद की और आखिरकार कांग्रेस को अमरिंदर सिंह को हटाना ही पड़ा।
रशीद किदवई महत्वपूर्ण बात की ओर इशारा करते हुए कहते हैं कि अगर पंजाब विधानसभा चुनाव में कांग्रेस जीत जाती हैं तो आप मुख्यमंत्री को उसके क्रेडिट से कैसे वंचित रखेंगे और अगर आप चुनाव के बाद दलित मुख्यमंत्री को हटाओगे तो पूरे देश में एक गलत संदेश जाएगा जैसे अभी राजस्थान और छत्तीसगढ़ में पिछडी वर्ग से आने वाले मुख्यमंत्रियों को नहीं हटा पा रहे है।
पंजाब में अपने दम पर कांग्रेस को दो बार सत्ता दिलाने वाले अमरिंदर सिंह की इस तरह विदाई पर वरिष्ठ पत्रकार रशीद किदवई कहते हैं कि राजनीति में उगते हुए सूरज को सलाम किया जाता है और पंजाब में विधायकों के आकलन में अमरिंदर सिंह डूबता हुआ सूरज थे इसलिए विधायक दल की बैठक में 78 विधायक उनके खिलाफ गए। मुख्यमंत्री रहते हुए 78 विधायक उनके खिलाफ हो जाते है यहीं अमरिंदर सिंह का सबसे बड़ा फेल्यिर है।