maharashtra political crisis : इन दिनों महाराष्ट्र के राजनीतिक गलियारों में चहलकदमी एकदम बढ़ गई है। नेता एकनाथ शिंदे अपने साथ करीब 37 शिवसैनिकों को लेकर पहले सूरत और फिर असम की तरफ निकल गए। ऐसे में वर्षा बंगला में रहने वाले मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने अपना अगला कदम मातोश्री की तरफ भी बढ़ा लिया है। वेबदुनिया ने उत्तर मुंबई से बीजेपी के सांसद गोपाल शेट्टी से बात की और उनसे इस पूरी बात पर उनका मत जानने की कोशिश की।
इस समय जो महाराष्ट्र की राजनीति में उठापटक हुई है उसके बारे में आपका क्या कहना है?
यह जो हुआ है वह शिवसेना और शिवसैनिकों का रोल है। इसमें भारतीय जनता पार्टी का कोई अपना रोल नहीं है। शिवसेना के नेता एकनाथ शिंदे ने जो बात कही है वह हिन्दुत्व के बारे में कही है। वैसे भी पिछले 25 सालों से भाजपा और शिवसेना ने बालासाहेब ठाकरे के विचारों को ध्यान में रखते हुए एलायंस किया आगे बढ़े, हम भी आगे बढ़े, शिवसेना आगे बढ़ी और देश भी आगे बढ़ा। शिवसैनिकों को लग रहा है कि हिन्दुत्व का जो प्रभाव मोदी जी के नेतृत्व में बढ़ा है। सिर्फ देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी बड़ा है। इस बात का आनंद शिवसैनिक नहीं ले पा रहे हैं और यह उनकी वेदना है। बस इस बार की वेदना बाहर आई है। अब बस इस बार यह वेदना बाहर आए हैं। वैसे भी महाविकास आघाड़ी में राष्ट्रवादी कांग्रेस और कांग्रेस के साथ मिलकर शिवसैनिकों ने
देखा कि हिन्दुत्व के मुद्दे को कैसे कुचला जा रहा है। इस बात की पीड़ा उन्हें महसूस हो रही थी। उन्होंने बस अपनी पीड़ा को व्यक्त किया है। और निश्चित इसमें से कुछ अच्छा बाहर आएगा। हम लोग सब वेट एंड वॉच कर रहे हैं।
जब भी महाराष्ट्र की बात होती है तो भाजपा और शिवसेना युति की बात होती है। इलेक्शन में पिछली बार जब शिवसेना दूसरी पार्टी के पास चली गई थी तो इस बात का कहीं कोई रंज या ग़म या दुख है आपको?
निश्चित ही अगर आप मुझसे यानी गोपाल शेट्टी से पूछेंगे तो मैं तो यही कहूंगा कि बहुत बुरा लगता है। 30 साल का मेरा पोलिटिकल करियर है और 25 साल हमने शिवसेना के साथ मिलकर काम किया है। 25 साल का समय कोई छोटा-मोटा समय नहीं है। 25 साल लंबा चला रिश्ता है।
यहां हमारे मुद्दा सिर्फ चुनाव जीतना नहीं था बल्कि हिन्दुत्व को आगे लेकर आना था और देश को भी आगे लेकर जाना था। ढाई सालों में देवेंद्र फडणवीस ने कई काम किए किसी एक काम का उल्लेख करूं तो मेट्रो की बात बताता हूं। आज भी 3000 से ज्यादा लोग ट्रेन से गिरकर मर जाते हैं।
इतना बड़ा आंकड़ा तो किसी युद्ध में भी नहीं होता है। इतने लोग तो युद्ध में भी नहीं मरते हैं। उसी का सुधार करने के लिए मोदी जी ने 1 लाख 40 करोड़ रुपए की राशि मुंबई को दी थी। देवेंद्र फडणवीस ने उस पर काम करना शुरू किया और बहुत तेजी से काम होगी रहा था। लेकिन जब से यह सरकार आई है तब से काम एकदम ठप पड़ गया है। मुझे लगता है कि यह लोकशाही का मजाक बनाना ही हुआ अच्छे काम को आपसी मतभेद की वजह से नहीं होने देना यह मजाक नहीं है तो और क्या है?
क्या आपको लगता है कि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और शिवसेना दो अलग-अलग हिस्से होते जा रहे हैं, लेकिन भारतीय जनता पार्टी ने तो हमेशा ही समझाने की कोशिश की है। इसके पहले जब राज ठाकरे भी शिवसेना से अलग हुए थे तब उन्हें हमने अलग से जाकर समझाया था। जब नारायण राणे निकले थे शिवसेना से हमने तब भी जाकर समझाया था और हमारा तो यह भी मत था कि शिव सैनिकों और उद्धव ठाकरेजी के बीच में जो हुआ वह न हो और शिवसेना जैसी है वैसी की वैसी ही बनी रहे तो यह जो उस सब हो रहा है, इसमें भाजपा का कहीं से कहीं तक कोई हस्तक्षेप नहीं है। बस अब यही है कि इस पूरी घटना के बाद कुछ अच्छा बाहर निकलकर आए। महाराष्ट्र के लिए कुछ अच्छा हो यह हम चाहते हैं।
क्या? जो विधायक हैं वह सभी पहले सूरत की तरफ निकले और फिर असम के तरफ चले गए। इन दोनों ही राज्यों में भाजपा की सरकार है। क्या इन लोगों से आपका कोई स्टाफ कॉर्नर भी है
सॉफ्ट कॉर्नर तो हमारा सबसे है। सॉफ्ट कॉर्नर तो हमारा पूरे देशवासियों से भी है मोदीजी तो देश की 130 करोड़ जनता की ही बात करते हैं। और अगर बात को और बताऊं तो हमारा सॉफ्ट कॉर्नर आसपास के उन 5 देशों से भी है जहां से लोग हमारे पास आना चाहते हैं। हमें तो हर एक लिए सॉफ्ट कॉर्नर ही दिखाया है। चाहे वह देश के अंदर हो या पड़ोस के 5 देशों से आए हुए लोग हैं हो।
यानी आगे आने वाले दिनों में मैं शिव सैनिकों की या फिर बीजेपी शिवसेना की युति वाली सरकार बनते हुए देख सकती हूं।
जो हिन्दुत्व के मुद्दे पर हमारे साथ आएगा हम स्वीकार लेंगे। हम तो मुसलमानों से भी कहते हैं। कि तुम्हारे पूर्वज हिन्दू ही थे। हम तो उनको भी अपने साथ लेकर चलना चाहते हैं तो फिर यह लोग तो 25 सालों से हमारे साथ रहे हैं। यह लोग हमारे भाई ही हैं। पिछली बार इलेक्शन में लोगों ने। चुनाव में वोट बीजेपी और शिवसेना युती को दिया है। आप बिलकुल सही कह रही हैं इस बात का गुस्सा है लोगों के अंदर। लोगों ने सोचा देवेंद्र फडणवीस जी ने जो काम किए हैं उसे देखते हुए एक बार और मौका दिया जाना चाहिए ताकि विकास और आगे हो। इसीलिए 160 जगह पर भाजपा को जीत भी हासिल। लेकिन चुनाव जीतते ही आपने भारतीय जनता पार्टी का साथ छोड़ दिया। यह तो ब्रीच ऑफ कमिटमेंट हुआ। इस बात का गुस्सा है लोगों के दिलों में। लेकिन अब मुझे लगता है कि उन लोगों को तसल्ली हुई होगी और मुझे ऐसा लगता है कि इस बात की मिठास बहुत ही जल्द लोगों के जुबान पर घुल जाने वाली है।
इस पूरे मुद्दे पर केंद्र सरकार की तरफ से कोई विचार सामने आया है?
नहीं मोदीजी अमित शाह की तरफ से नहीं ऐसा कोई भी विचार अभी तक तो सामने नहीं आया है। यह जो भी हो रहा है। शिवसेना और शिवसैनिकों के बीच में हो रहा है। आगे आने वाले समय में अगर कुछ फेरबदल होता है। तब जो भी सही होगा पार्टी उसी अनुसार अपना रुख तय करेगी। वैसे भी मैं कर्म पर विश्वास रखता हूं।