नई दिल्ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मंगलवार को नौ सदस्यीय लोकपाल नियुक्त किया। उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश पीसी घोष को इसका अध्यक्ष नियुक्त किया गया।
राष्ट्रपति भवन से जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया कि भारत के राष्ट्रपति ने न्यायमूर्ति पिनाकी चंद्र घोष को लोकपाल का अध्यक्ष नियुक्त करने पर खुशी जताई है।
कोविंद ने न्यायमूर्ति दिलीप बी. भोसले, न्यायमूर्ति प्रदीप कुमार मोहंती, न्यायमूर्ति अभिलाषा कुमारी और न्यायमूर्ति अजय कुमार त्रिपाठी को लोकपाल का न्यायिक सदस्य नियुक्त किया है।
राष्ट्रपति ने दिनेश कुमार जैन, अर्चना रामसुंदरम, महेन्द्र सिंह और डॉ. इन्द्रजीत गौतम को लोकपाल का गैर न्यायिक सदस्य नियुक्त किया है। ये नियुक्तियां संबंधितों के पदभार ग्रहण करने की तिथि से प्रभावी होंगी। न्यायमूर्ति पी सी घोष भारत के पहले लोकपाल होंगे।
न्यायमूर्ति घोष को देश का पहला लोकपाल नियुक्त किए जाने की अनुशंसा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन और प्रख्यात कानूनविद् मुकुल रोहतगी की सदस्यता वाली चयन समिति ने की थी।
लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे को समिति में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया था, लेकिन वे बैठक में नहीं आए।
न्यायमूर्ति घोष की यह नियुक्ति उच्चतम न्यायालय की ओर से इसके लिए समय-सीमा निर्धारित कर दिए जाने के बाद की गई।
न्यायमूर्ति घोष ने तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जे. जयललिता की निकट सहयोगी शशिकला को भ्रष्टाचार के मामले में सजा सुनाई थी।
न्यायमूर्ति घोष 27 मई 2017 को उच्चतम न्यायालय से सेवानिवृत्त हुए थे। वे जून 2017 से राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सदस्य हैं। उन्होंने 8 मार्च 2013 को उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीश के रूप में अपनी सेवाएं शुरू की थी। लोकपाल चयन के लिए समिति की ओर से सूचीबद्ध किए गए 10 नामों में न्यायमूर्ति घोष का नाम शामिल था। (वार्ता)