नई दिल्ली। ईडी ने मंगलवार को कहा कि वह दो अरब डॉलर के पीएनबी घोटाले में मुख्य आरोपी नीरव मोदी के ब्रिटेन से प्रत्यर्पण से जुड़े सभी मुद्दों पर ‘अति सक्रियता’से विचार कर रहा है। उसने मीडिया में आई उन खबरों को खारिज कर दिया कि जब ब्रिटिश जांचकर्ताओं ने मदद का हाथ बढ़ाया तो भारतीय एजेंसियों ने समय से ‘जवाब नहीं दिया।’
मनी लॉन्ड्रिंग निरोधक कानून की आपराधिक धाराओं के तहत मोदी की जांच कर रही केंद्रीय एजेंसी ने दो पृष्ठों का स्पष्टीकरण जारी करते हुए कहा कि इस संदर्भ में मीडिया खबरों से ‘कल्पनाओं और गलत निष्कर्षों के साथ छेड़छाड़’की गई है।
ब्रिटेन के एक दैनिक समाचार- पत्र ने हाल ही में एक रिपोर्ट और वीडियो जारी की जिसमें मोदी लंदन की सड़कों पर घूमता दिखाई दे रहा है और बताया गया कि भगोड़ा हीरा व्यापारी शहर के वेस्ट एंड में 80 लाख पाउंड के एक अपार्टमेंट में रह रहा है तथा वह हीरे का नया कारोबार भी चला रहा है।
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कहा कि खबरों में यह गलत बताया गया है कि ब्रिटेन एसएफओ ने मार्च 2018 तक भारतीय अधिकारियों को पुष्टि की थी कि नीरव मोदी ब्रिटेन में है।
उसने कहा कि इस संबंध में यह सूचित किया जाता है कि मार्च 2018 तक या उसके बाद ब्रिटिश अधिकारियों से ईडी का ऐसा कोई औपचारिक या अनौपचारिक संवाद नहीं हुआ जिसमें यह जानकारी दी गई कि नीरव मोदी ब्रिटेन में है।
ईडी ने कहा कि इंटरपोल नोटिसों और अन्य देशों के साथ सहयोग से निपटने के लिए ब्रिटेन की नोडल एजेंसी नेशनल सेंट्रल ब्यूरो ऑफ मैनचेस्टर ने इसके बजाय भारतीय एजेंसियों से वह खुफिया सूचनाएं ‘उपलब्ध’कराने के लिए कहा जिससे पता चलता हो कि मोदी ब्रिटेन में है।
उसने कहा कि ब्रिटेन सरकार का लगातार यह रुख रहा है कि किसी आरोपी के खिलाफ गैर जमानती वारंट ‘प्रत्यर्पण के अनुरोध’के जरिए ही दिया जा सकता है न कि पत्र अनुरोध या परस्पर कानूनी सहयोग संधि के जरिए।
उसने कहा कि इसलिए मोदी के लिए प्रत्यर्पण का अनुरोध उसके खिलाफ आरोप-पत्र दायर करने के बाद ही भेजा जा सकता है जैसा कि एजेंसी ने पिछले साल मई में किया था।
एजेंसी ने कहा कि ईडी ने आरोप-पत्र दायर करने के बाद मुंबई की एक अदालत से मोदी के खिलाफ ताजा गैर जमानती वारंट हासिल किया था और उसे इंटरपोल को भेजा था जिसने गत वर्ष 29 जून को भगोड़े हीरा व्यापारी के खिलाफ गिरफ्तारी के लिए ‘रेड वारंट’ दिया और इसके बाद प्रत्यर्पण के लिए ताजा अनुरोध ब्रिटेन सरकार को भेजा गया।
उसने कहा कि हालिया मीडिया खबरें दिखाती है कि ‘कानूनी मुद्दों से जुड़ी समझ तथ्यों और स्थापित अंतरराष्ट्रीय प्रोटोकॉल तथा प्रक्रियाओं के विपरीत है।’
ईडी ने कहा कि इस तरह की गलत खबरें और कल्पनात्मक खबरें जनता पर बड़े पैमाने पर गलत असर पैदा कर सकती है।