नई दिल्ली। 24 घंटे बिजली देने का वादा करने के बाद मोदी सरकार जल्द ही बिजली उपभोक्ताओं को एक और नया तोहफा दे सकती है। केंद्र की मोदी सरकार हर राज्य में 4 से 5 कंपनियों को बिजली वितरण लाइसेंस देने की योजना बना रही है।
उपभोक्ताओं को इससे यह लाभ मिलेगा कि वे जिस भी बिजली कंपनी से बिजली लेना चाहते हैं, ले सकते हैं यानी कि वे अपनी बिजली वितरण कंपनी को बदल भी सकते हैं। केंद्र सरकार ने सभी राज्य सरकारों को कहा है कि वे 1 साल अंदर कृषि क्षेत्र के फीडर को अलग कर लें।
हिन्दुस्तान में जो समाचार प्रकाशित हुआ है उसके अनुसार राज्यों के विद्युत एवं अक्षय ऊर्जा मंत्रियों के सम्मेलन में केंद्रीय बिजली मंत्री आरके सिंह ने शुक्रवार को केवड़िया शहर में बोलते हुए कहा कि रिटेल बिजनेस सरकार का काम नहीं है तथा केंद्र सरकार का सभी राज्यों में 3 से 4 छोटी निजी कंपनियां तय करने का विचार है तथा ये कंपनियां उस क्षेत्र में बिजली की सप्लाई करेंगी। इससे सरकार के नुकसान की भरपाई भी हो सकेगी, वहीं बिजली उपभोक्ताओं को बिजली कंपनी बदलने का विकल्प भी मिल सकेगा।
एक समान विद्युत दर करने का सुझाव : बिजली की अधिक कीमतों पर भी नाराजगी जताते हुए मंत्री ने कहा कि कुछ राज्यों में बिजली की दर 8 रुपए प्रति यूनिट है, जबकि इसके उलट बिजली वितरण कंपनियां काफी कम दामों में उपभोक्ताओं को बिजली दे रही हैं। उन्होंने पूरे देश में एक समान विद्युत दर करने का सुझाव भी दिया है तथा इस संबंध में जल्द ही कोई निर्णय भी लिया जा सकता है।
शासकीय विभागों में प्रीपेड मीटर : केंद्रीय मंत्री के अनुसार बिजली कंपनियों को राज्यों के सरकारी विभागों पर 47 हजार करोड़ रुपए लेना है। अगर ये सरकारी विभाग अपना बिजली बिल चुका दें तो बिजली कंपनियों की माली हालत में सुधार हो सकता है। इसमें सुधार के उपाय के तहत उन्होंने कहा कि सरकारी विभागों के दफ्तरों में शीघ्र ही प्रीपेड मीटर लगाया जाए तथा जो भी विभाग जितने रुपए का टेरिफ डालेगा, उसे उतनी ही बिजली मिल सकेगी।