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इलेक्टोरल बॉन्ड से पैसा जुटाने में भाजपा नंबर 1, किस दल को मिला कितना चंदा?

कांग्रेस ने उठाए लिस्ट पर सवाल

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वेबदुनिया न्यूज डेस्क

, शुक्रवार, 15 मार्च 2024 (09:33 IST)
  • चुनावी बॉन्ड से भाजपा ने जुटाए 6,060 करोड़ रुपए
  • कांग्रेस को पछाड़कर तृणमूल कांग्रेस नंबर 2 
electoral bonds :  चुनाव आयोग ने गुरुवार इलेक्टोरल बॉन्ड का डेटा अपनी वेबसाइट पर जारी किया। इसके मुताबिक भाजपा इस बॉन्ड के जरिए सबसे ज्यादा चंदा लेने वाली पार्टी है। उसे 12 अप्रैल 2019 से 11 जनवरी 2024 तक सबसे ज्यादा 6,060 करोड़ रुपए मिले हैं। लिस्ट में दूसरे नंबर पर कांग्रेस नहीं बल्कि तृणमूल कांग्रेस है। 
चुनाव आयोग ने वेबसाइट पर 763 पेजों की दो लिस्ट अपलोड की गई हैं। एक लिस्ट में बॉन्ड खरीदने वालों की जानकारी है। दूसरी में राजनीतिक दलों को मिले बॉन्ड की डिटेल है।
 
तृणमूल कांग्रेस को 1,609 करोड़ रुपए का चंदा मिला है। कांग्रेस को 1,421 करोड़ रुपए का चंदा मिला है। बीआरएस को भी 1214 करोड़ रुपए चंदे के रूप में मिले। इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए बीजद ने 775 करोड़, डीएमके ने 639 करोड़, वायआरएस कांग्रेस ने 337 करोड़ और तेलगुदेशम पार्टी ने 218 करोड़ रुपए जुटाए।
 
चुनाव आयोग द्वारा दी गई जानकारी में इस बात का जिक्र नहीं है कि किस कंपनी ने किस पार्टी को कितना चंदा दिया है। राजनीतिक पार्टियों को सबसे ज्यादा चंदा देने वाली कंपनी फ्यूचर गेमिंग एंड होटल सर्विसेज पीआर है। इसने 1,368 करोड़ के बॉन्ड खरीदे। कंपनी के खिलाफ लॉटरी रेगुलेशन एक्ट 1998 के तहत और आईपीसी के तहत कई मामले दर्ज हैं।
 
स्टील कारोबारी लक्ष्मी मित्तल से लेकर अरबपति सुनील भारती मित्तल की एयरटेल, अनिल अग्रवाल की वेदांता, आईटीसी, महिंद्रा एंड महिंद्रा से लेकर कम प्रसिद्ध फ्यूचर गेमिंग और होटल सर्विसेज अब रद्द किए जा चुके चुनावी बॉण्ड के प्रमुख खरीदारों में शामिल थे।
 
क्या बोली कांग्रेस : कांग्रेस ने निर्वाचन आयोग द्वारा चुनावी बॉण्ड का विवरण जारी करने के बाद दावा किया कि दाता और प्राप्तकर्ता फाइल में प्रविष्टियों की संख्या में विसंगति है।
 
विपक्षी दल कांग्रेस ने यह भी सवाल किया कि साझा किया गया विवरण अप्रैल 2019 की अवधि से संबंधित क्यों है, जबकि यह योजना 2017 में शुरू की गई थी।
 
कांग्रेस के संचार विभाग में अनुसंधान और निगरानी के प्रभारी अमिताभ दुबे ने कहा कि चुनावी बॉण्ड योजना 2017 में शुरू की गई, लेकिन प्रस्तुत आंकड़े अप्रैल 2019 से हैं। उन्होंने कहा कि दाताओं की फाइल में 18,871 प्रविष्टियां हैं, प्राप्तकर्ताओं की फाइल में 20,421 प्रविष्टियां हैं। यह विसंगति क्यों है?
Edited by : Nrapendra Gupta 

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