निर्वाचन आयोग ने हालिया विधानसभा चुनावों के दौरान इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) से किसी प्रकार की छेड़छाड़ की संभावना को खारिज करते हुए घोषणा की कि भविष्य में होने वाले सभी चुनावों में वोटर-वेरिफाएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपैट) मशीनों का इस्तेमाल किया जाएगा। निर्वाचन आयोग के प्रस्ताव के मुताबिक, 16,15,000 वीवीपैट मशीनों की खरीद में 3,173.47 करोड़ की लागत आएगी।
दिनभर चली सर्वदलीय बैठक के अंत में मुख्य निर्वाचन आयुक्त नसीम जैदी ने राजनीतिक पार्टियों को ईवीएम को हैक करने की चुनौती भी दी। जैदी ने कहा, "आयोग ने राजनीतिक दलों के समक्ष कहा है कि भविष्य में जितने भी चुनाव होंगे, उनमें वीवीपैट मशीनों का इस्तेमाल करना अनिवार्य होगा।" उन्होंने कहा, "निर्वाचन आयोग चुनौती देगा और राजनीतिक पार्टियों को यह साबित करने का मौका देगा कि हाल में संपन्न विधानसभा चुनावों में ईवीएम से छेड़छाड़ की गई।"
सात घंटे तक चली बैठक में सात राष्ट्रीय पार्टियों तथा 35 क्षेत्रीय पार्टियों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने कहा कि आयोग ने सभी पार्टियों के विचारों को ध्यान से सुना है और आश्वस्त करता है कि उनकी शंकाओं पर विचार किया जाएगा और चुनौती के माध्यम से इसका निराकरण किया जाएगा।
बैठक के दौरान दिल्ली में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (आप) ने आयोग से मांग की कि उसे पांच राज्यों में हालिया विधानसभा चुनाव में इस्तेमाल में लाए गए ईवीएम दिए जाएं, ताकि वह अपनी बात साबित कर सके। दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने हैकथॉन की मांग करते हुए कहा, "हमें ईवीएम मुहैया कराइए, हम दिखा देंगे कि उसे कैसे हैक किया जा सकता है। हम यह विधानसभा में दिखा चुके हैं।"
कांग्रेस ने ईवीएम की विश्वसनीयता के लिए और कदम उठाए जाने की मांग की, जबकि मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने कहा कि सभी ईवीएम के साथ पेपर ट्रेल होना चाहिए। वहीं भाजपा ने कहा कि मशीन विश्वसनीय हैं। (एजेंसी)