नई दिल्ली। अब अगर अगर बच्चे अपने माता-पिता की सेवा नहीं करते हैं और उनकी अनदेखी करते हैं तो उनकी कड़ी सजा मिलेगी। मोदी सरकार बुजुर्ग माता-पिता को छोड़ देने वाले बच्चों के लिए जुर्माना और जेल की सजा के वर्तमान प्रावधान में बदलाव करने जा रही है।
खबरों के अनुसार सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के पहले 100 दिनों के कामकाज में बुजुर्गों की सुरक्षा और कल्याण संबंधी कानून को मजबूत बनाने को अपनी शीर्ष प्राथमिकताओं में रखा है।
खबरों के मुताबिक माता-पिता और वरिष्ठ नागरिक भरण-पोषण एवं कल्याण अधिनियम, 2007' के तहत मंत्रालय ने अपने बुजुर्ग माता-पिता का परित्याग करने वाले या उनके साथ दुर्व्यवहार करने वालों के लिए मौजूदा 3 महीने जेल की सजा को बढ़ाकर 6 महीने करने का प्रस्ताव किया है। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय जल्द ही इसमें सुधार का प्रस्ताव पेश करेगा।
दत्तक, सौतेले बेटी, दामाद भी माने जाएंगे बच्चे : मंत्रालय ने प्रस्तावित मसौदे में बच्चों की परिभाषा का दायरा बढ़ाकर इसमें दत्तक पुत्र/पुत्री या सौतेले बच्चे, दामाद और बहू, नाती-पोतों और अपने कानूनी अभिभावक द्वारा पालन पोषण किए गए नाबालिग बच्चों को शामिल करने का सुझाव दिया है।
वर्तमान में बच्चों की परिभाषा में माता-पिता की सिर्फ अपनी संतान और नाती-पोते ही आते हैं। भरण-पोषण राशि की सीमा खत्म करने का प्रस्ताव प्रस्तावित मसौदे में माता-पिता के भरण-पोषण के लिए 10,000 रुपए प्रतिमाह की राशि की सीमा को खत्म करने का प्रस्ताव है। मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक 'अच्छी नौकरी और अच्छी कमाई करने वाले बच्चों को अपने माता-पिता की देखभाल के लिए अधिक पैसे देने चाहिए।
वृद्धाश्रमों को मिलेगी रेटिंग : मंत्रालय मंत्रालय 'क्वालिटी कंट्रोल ऑफ इंडिया' जैसी एजेंसियों के माध्यम से वृद्धाश्रमों को स्टार रेटिंग देगा। इससे बुजुर्ग अपने उम्मीद के अनुरूप उस वृद्धाश्रम का मानक जान सकेंगे।