लंबी उठापटक के बाद महाराष्ट्र की राजनीति ने करवट लेते हुए सत्ता बदल दी है। ढाई साल के कार्यकाल के बाद उद्धव सरकार गिर गई और बागी एकनाथ शिंदे ने अपने विधायकों की मदद से भाजपा के साथ मिलकर सरकार बना ली। भाजपा ने भी इस घटनाक्रम में एकनाथ शिंदे को सीएम बनाकर मास्टर स्ट्रोक मारा है। जबकि कभी सीएम रहे देवेंद्र फडणवीस अब डिप्टी सीएम होंगे।
सरकार बदल गई है, महाराष्ट्र की सत्ता के चेहरे बदल गए हैं। लेकिन अभी हालात वही है। नई सरकार के सामने कई चुनौतियां हैं। इन चुनौतियों का सामना एकनाथ शिंदे और भाजपा दोनों को करना होगा।
सरकार तो बन गई, लेकिन अभी एकनाथ शिंदे को सदन में अपना बहुमत साबित करना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने फ्लोर टेस्ट को एक दिन के लिए बढा दिया है। हालांकि जिस तरह से शिंदे को अब तक अपने विधायकों का समर्थन मिला और वे उनके साथ सूरत से गुवाहाटी और फिर गोवा गए, उससे लगता है कि वे आसानी से अपना बहुमत साबित कर देंगे। दूसरी तरफ उद्धव ठाकरे के पास बहुमत होता तो वे फ्लोर टेस्ट से बचने के लिए इस्तीफा नहीं देते। हालांकि ये राजनीति है और ये कई संभावनाओं और आशंकाओं से भरी है, ऐसे में कुछ नहीं कहा जा सकता कि क्या होगा।
लेकिन भाजपा और एकनाथ शिंदे के लिए सबसे बड़ी चुनौती सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर टिकी हुई है। सत्ता का यह मामला सुप्रीम कोर्ट में है। ऐसे में अगर सुप्रीम कोर्ट का फैसला एकनाथ शिंदे के खिलाफ आया तो वे किस पार्टी की हैसियत से सत्ता में रहेंगे यह सबसे बड़ा सवाल उनके सामने होगा।
एकनाथ शिंदे के बयानों को देखें तो पता चलता है कि वे बार बार हिन्दुत्व और बाला साहेब की विरासत को सहेजने की बात कर रहे हैं, ऐसे में जाहिर है सत्ता में आने के बाद अब वे शिवसेना पार्टी को भी अपनी और असल पार्टी बनाने की कवायद करेंगे। लेकिन अगर ऐसा नहीं होता है तो तकनीकी रूप से क्या हालात बनेंगे। क्या वे और उनके विधायक भाजपा के साथ मर्ज होंगे या कोई नई पार्टी बनाई जाएगी। इस तरह के बहुत से सवाल हैं जो चुनौती के तौर पर एकनाथ शिंदे के सामने खड़े हैं।