नई दिल्ली। संयुक्त किसान मोर्चा ने केन्द्र द्वारा सितंबर, 2020 में पारित तीन कृषि कानूनों के विरोध में सोमवार को भारत बंद का आह्वान किया। संयुक्त किसान मोर्चा विवादित कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों के 40 संघों का मुख्य संगठन है। भारत बंद का देश पर प्रभाव कुछ इस प्रकार रहा....
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भारत बंद के कारण देश में करीब 25 ट्रेनों की सेवा प्रभावित हुई।
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दिल्ली में बाजार खुले रहे और व्यावसायिक गतिविधियों पर कुछ खास प्रभाव नहीं पड़ा, लेकिन प्रदर्शनकारियों द्वारा सड़क जाम किए जाने और पुलिस द्वारा लगाए गए नाकों के कारण राष्ट्रीय राजधानी के सीमावर्ती क्षेत्रों में यातायात प्रभावित हुआ।
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दिल्ली से लगी गाजियाबाद और नोएडा की सीमाओं पर सुरक्षा कड़ी की गई थी, वहीं बंद के कारण सुबह-सुबह कुछ महत्वपूर्ण मार्गों पर यातायात बाधित हुआ।
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बंद से पंजाब और हरियाणा में जन-जीवन प्रभावित हुआ क्योंकि दोनों राज्यों में प्रदर्शनकारियों ने राजमार्ग और रेलवे ट्रैक दोनों जाम कर दिए थे।
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भारत बंद के समर्थन में जम्मू जिले में प्रदर्शन और रैलियों का आयोजन किया गया।
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राजस्थान के कृषि प्रधान गंगानगर और हनुमानगढ़ जिलों सहित कई अन्य जिलों में बंद का प्रभाव दिखा, वहां ज्यादातर मुख्य मंडियां और बाजार बंद रहे, किसानों ने मुख्य मार्गों पर रैलियां निकालीं और बैठकें कीं।
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अरुणाचल प्रदेश में बंद का कोई प्रभाव नहीं हुआ, सीमावर्ती राज्य में सार्वजनिक परिवहन, बैंक, व्यावसायिक प्रतिष्ठान सहित सभी सेवाएं निर्बाध रूप से जारी रहीं।
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असम भी बंद का असर नहीं दिखा। वहां सार्वजनिक परिवहन सामान्य रूप से चला, बाजार खुले रहे और दफ्तरों में सामान्य उपस्थिति रही। विपक्षी दल कांग्रेस ने बंद का समर्थन किया था लेकिन राज्य में उसने कोई प्रदर्शन नहीं किया।
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झारखंड में भारत बंद का समर्थन कर रहे लोगों ने कई सड़कों और राजमार्गों पर जाम लगा दिया जिससे यातायात प्रभावित हुआ, प्रदेश की राजधानी रांची में दुकानें बंद रहीं। हालांकि सरकारी दफ्तरों और बैंकों में कामकाज सामान्य रूप से हुआ।
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बिहार में बंद का मिश्रित प्रभाव रहा, कई जगहों पर राजमार्ग, सड़कें और रेलवे ट्रैक अवरुद्ध किए गए।
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पश्चिम बंगाल में वामपंथी कार्यकर्ताओं ने बंद के समर्थन में सड़कें और रेलवे ट्रैक अवरुद्ध किए, लेकिन सामान्य जीवन बहुत हद तक अप्रभावित रहा क्योंकि बाजार और दुकानें खुली रहीं और सार्वजनिक परिवहन भी चले।
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ओडिशा में बाजार बंद रहे और सार्वजनिक परिवहन सड़कों से नादारद रहे जिस कारण सामान्य जीवन प्रभावित हुआ। कांग्रेस और वाम दलों के कार्यकर्ताओं सहित बंद का समर्थन कर रहे लोगों ने बारिश के बावजूद राज्य में जगह-जगह बंद लागू कराने का प्रयास किया।
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कांग्रेस नीत छत्तीसगढ़ में बंद का मिलाजुला प्रभाव रहा। राज्य के बड़े शहरों में ज्यादातर दुकानें और प्रतिष्ठान खुले रहे।
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भारत बंद का मध्य प्रदेश में सामान्य जीवन पर कोई प्रभाव नहीं हुआ और राज्य में सभी व्यावसायिक गतिविधियां सामान्य रूप से जारी रहीं।
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गुजरात में स्थिति कमोबेश शांतिपूर्ण रही, हालांकि कुछ जगहों से राजमार्ग बाधित होने के कारण यातायात प्रभावित होने की सूचना रही।
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महाराष्ट्र में भारत बंद के समर्थन में कई गैर-भाजपा पार्टियों द्वारा प्रदर्शन और बाइक रैलियां निकाले जाने के बावजूद व्यावसायिक प्रतिष्ठान और सार्वजनिक परिवहन सामान्य रूप से काम करते रहे, जन-जीवन पर कुछ खास प्रभाव नहीं पड़ा।
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तटवर्ती राज्य गोवा में सार्वजनिक परिवहन, बैंक, ट्रेन और व्यावसायिक प्रतिष्ठान सहित सभी सेवाएं सामान्य रूप से चलती रहीं, यहां बंद का कोई प्रभाव नहीं हुआ।
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पुडुचेरी में संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा आहूत भारत बंद का मिलाजुल प्रभाव देखने को मिला। सड़कों पर सिर्फ सरकारी बसें और बेहद कम यात्री दिखे, सरकारी स्कूलों में भी उपस्थिति सामान्य से कम रही।
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केरल में सत्तारूढ़ एलडीएफ और विपक्षी गठबंधन यूडीएफ समर्थित हड़ताल से सामान्य जीवन प्रभावित हुआ। हड़ताल के दौरान दुकानें बंद रहीं और सार्वजनिक परिवहन बंद रहे। सामान्य तौर पर बंद शांतिपूर्ण रहा, सिर्फ कोझिकोड जिले से हिंसा की एक घटना की सूचना है।
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केन्द्र के विवादित कृषि कानूनों के विरोध में आहूत भारत बंद का समर्थन करते हुए किसान संगठनों, श्रमिक संघों और सत्तारूढ़ द्रमुक तथा वामपंथी दलों द्वारा समर्थित संगठनों ने तमिलनाडु में प्रदर्शन किया।
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तेलंगाना में बंद के समर्थन में कांग्रेस, वाम दलों और तेदेपा सहित अन्य राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं द्वारा विभिन्न जगहों पर प्रदर्शनों का आयोजन किया गया।
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भारत बंद का कर्नाटक में शुरुआती घंटों में सामान्य जीवन पर कुछ खास असर नहीं हुआ, ज्यादातर व्यावसायिक प्रतिष्ठान खुले रहे और परिवहन सेवाएं उपलब्ध रहीं।
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आंध्र प्रदेश में वाईएसआर कांग्रेस नीत सरकार के समर्थन के बावजूद भारत बंद का असर बहुत प्रभावी नहीं रहा। तिरुपति, अनंतपुरम और कडपा सहित कुछ जगहों पर विपक्षी दलों ने कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया।