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फारुख अब्दुल्ला पर ED ने कसा शिकंजा, क्रिकेट घोटाले में 12 करोड़ की संपत्ति जब्त

हमें फॉलो करें फारुख अब्दुल्ला पर ED ने कसा शिकंजा, क्रिकेट घोटाले में 12 करोड़ की संपत्ति जब्त
, शनिवार, 19 दिसंबर 2020 (21:05 IST)
नई दिल्ली। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने जम्मू-कश्मीर क्रिकेट संघ में कथित वित्तीय अनियमितताओं से जुड़ी धनशोधन जांच के सिलसिले में नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) के संरक्षक एवं पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला और अन्य की 11.86 करोड़ रुपए मूल्य की संपत्तियां कुर्क की है। आधिकारिक सूत्रों ने शनिवार को यह जानकारी दी।
सूत्रों ने बताया कि एजेंसी ने धनशोधन निवारण अधिनियम के तहत एक अस्थायी अनुलग्नक आदेश जारी किया है और कुर्क की गई संपत्तियां जम्मू और श्रीनगर में स्थित हैं।
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उन्होंने बताया कि दो अचल संपत्तियां आवासीय हैं, एक व्यावसायिक संपत्ति है, जबकि तीन अन्य भूखंड भी प्रवर्तन निदेशालय द्वारा कुर्क किए गए हैं।
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उन्होंने बताया कि कुर्क की गई संपत्तियों का शुद्ध मूल्य (बुक वैल्यू) 11.86 करोड़ रुपये है जबकि बाजार मूल्य लगभग 60-70 करोड़ रुपए है। ईडी अब्दुल्ला (83) से इस मामले में कई बार पूछताछ कर चुकी है।
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उमर ने आदेश को बताया निराधार : जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने शनिवार को प्रवर्तन निदेशालय द्वारा उनके पिता की संपत्तियों की अस्थायी कुर्की के आदेश को 'निराधार' करार दिया और आश्चर्य जताया कि पैतृक संपत्ति को अपराध से हासिल संपत्ति के रूप में कैसे देखा जा सकता है।
 
नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने इस संबंध में कई ट्वीट किए, जिनमें उन्होंने कहा कि उनके पिता फारूक अब्दुल्ला इसको लेकर अपने वकीलों के संपर्क में हैं और इन सभी निराधार आरोपों से अदालत में लड़ेंगे। उन्होंने कहा कि सभी को लगता है कि वे निर्दोष हैं और मीडिया की अदालत या भाजपा के प्रबंधित सोशल मीडिया की अदालत के विपरीत वे निष्पक्ष जांच के हकदार हैं।

उमर ने आश्चर्य व्यक्त किया कि कुर्क की जाने वाली संपत्तियों में से अधिकतर 1970 के दशक के हैं, जिनमें सबसे हालिया निर्मित एक इमारत 2003 से पहले की है। उन्होंने कहा, कुर्की को सही नहीं ठहराया जा सकता। उन्होंने कहा कि उनके पिता को मीडिया के माध्यम से जेकेसीए मामले में चल रही जांच में उनकी संपत्तियों की कुर्की के बारे में पता चला। उन्होंने कहा कि कितने आश्चर्य की बात है कि उनके पिता को कोई आधिकारिक नोटिस या दस्तावेज मिलने से पहले ही मीडिया को जब्ती के बारे में बता दिया गया।

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