पाकिस्तान के परमाणु बम के जनक डॉ. अब्दुल कादिर खान का रविवार को निधन हो गया। वे 85 वर्ष के थे। डॉ. खान लंबे समय से बीमार चल रहे थे। उन्हें 26 अगस्त को कोविड संक्रमित होने के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था। मीडिया खबरों के अनुसार, इंफेक्शन बढ़ने के बाद उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था।
वे एके खान के नाम से भी जाने जाते थे। लेकिन आपको बता दें कि वे कोई साधारण वैज्ञानिक नहीं थे। यही नहीं आज हम आपको बताएंगे कि पाकिस्तान के इस वैज्ञानिक का कनेक्शन भारत में मध्यप्रदेश के भोपाल से भी रहा है।
दरअसल, अब्दुल कादिर खान पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम के जनक हैं। पेशे से इंजीनियर डॉ. खान एक दशक से अधिक वक्त तक परमाणु बम बनाने की तकनीक, मिसाइल बनाने के लिए यूरेनियम की एनरिचमेन्ट, मिसाइल में लगने वाले उपकरण और पुर्जों के व्यापार में काम कर चुके हैं।
यूरोप में सालों तक परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में पढ़ाई और काम करने के बाद चुके डॉ. खान को मिसाइल बनाने का तरीका भी आता था। डॉ. खान ने परमाणु तकनीक की जानकारी और अपनी सेवाएं पाकिस्तान, लीबिया, उत्तर कोरिया और ईरान को दीं। इन देशों के परमाणु कार्यक्रम में वो एक अहम नाम बनकर उभरे।
हालांकि पाकिस्तान में वे काफी लोकप्रिय हुए। 1980 से 1990 के दशक में डॉ खान को इस्लामाबाद के सबसे ताकतवर व्यक्ति माना जाता था। स्कूलों की दीवारों पर उनकी तस्वीरें दिखती थीं, उनकी तस्वीरें सड़कों-गलियों में पोस्टरों पर दिखती थीं। उन्हें दो बार देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान निशान-ए-इम्तियाज से भी नवाजा गया।
डॉ. अब्दुल कादिर खान का जन्म अविभाजित भारत के भोपाल में 1935 में एक साधारण परिवार में हुआ था। उस वक्त यहां ब्रिटेन की हुकूमत थी। जब भारत आजाद हुआ को खान परिवार पाकिस्तान में जाकर बस गया।
1960 में पाकिस्तान के कराची विश्वविद्यालय से धातु विज्ञान की पढ़ाई करने के बाद वे परमाणु इंजीनियरिंग करने के लिए जर्मनी, बेल्जियम और नीदरलैंड्स चले गए।