नई दिल्ली। दूरसंचार विभाग ने मोबाइल फोन सेवाओं के शुल्कों की न्यूनतम दर की कोई सीमा तय करने के विषय बारे में भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) से कोई राय-मशविरा नहीं मांगा गया है। ट्राई के चेयरमैन आरएस शर्मा ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।
शर्मा ने यह पूछे जाने पर कि क्या दूरसंचार विभाग ने शुल्क कम करने की कोई सीमा या मोबाइल सेवाओं का न्यूनतम शुल्क तय करने के लिए संपर्क किया है, कहा, हमें इस तरह की कोई चीज नहीं मिली है। सरकार ने पिछले महीने दूरसंचार क्षेत्र को राहत पैकेज के लिए सचिवों की समिति (सीओसी) गठित की थी।
उस समय आधिकारिक सूत्रों ने कहा था कि समानान्तर रूप से ट्राई वॉयस और डेटा सेवाओं के लिए न्यूनतम शुल्क की समीक्षा करेगा और क्षेत्र की दीर्घावधि की व्यवहार्यता और वित्तीय सेहत सुनिश्चित करेगा। वास्तव में यह पहली बार नहीं है जबकि दूरसंचार उद्योग में न्यूनतम शुल्क सीमा की चर्चा हो रही है।
2017 में भी कुछ दूरसंचार ऑपरेटरों ने वॉयस और डेटा सेवाओं के लिए शुल्क की न्यूनतम सीमा तय करने का सुझाव दिया था। उस समय ट्राई ने इस सुझाव को खारिज करते हुए कहा था कि उद्योग के बीच विचार-विमर्श के बाद यह राय बनी है कि यह ‘कार्ययोग्य विचार’ नहीं है।
उच्चतम न्यायालय के सांविधिक बकाया पर हालिया आदेश के बाद देश की 2 प्रमुख दूरसंचार कंपनियों वोडाफोन-आइडिया और भारती एयरटेल को सितंबर में समाप्त चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में सामूहिक रूप से 74,000 करोड़ रुपए का भारी-भरकम नुकसान हुआ है।
दूरसंचार विभाग के ताजा अनुमान के अनुसार, भारती एयरटेल पर करीब 62,187 करोड़ रुपए की देनदारी बनेगी। इसमें टाटा ग्रुप ऑफ कंपनीज तथा टेलीनॉर का हिस्सा भी शामिल है। वहीं वोडफोन-आइडिया को करीब 54,184 करोड़ रुपए का भुगतान करना पड़ सकता है।
उच्चतम न्यायालय ने प्रभावित दूरसंचार कंपनियों को यह राशि चुकाने के लिए 3 माह का समय दिया है। इससे पहले इसी सप्ताह सरकार ने दूरसंचार ऑपरेटरों को इसके भुगतान के लिए नोटिस भेजना शुरू कर दिया है।