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कोरोनरी एंजियोप्लास्टी से 85 साल के हार्ट अटैक के मरीज की जान बचाने में कामयाब हुए डॉक्‍टर्स

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, गुरुवार, 29 सितम्बर 2022 (12:18 IST)
नई दिल्ली, आकाश हेल्थकेयर सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, द्वारका में एक 85 वर्षीय (राज कुमार) को गंभीर रूप से हार्ट अटैक आने के बाद भी जिंदा बचाने में डॉक्‍टरों ने कामयाबी पाई है। बेहद गंभीर मरीज को बचाने एक चमत्कार की तरह था।

आकाश हेल्थकेयर की अनुभवी डॉक्टरों की एक टीम ने मरीज़ की कैल्सीफाइड आर्टरी को अनब्लॉक करने के लिए विशेष तकनीक और हार्डवेयर का उपयोग किया। हालांकि इस प्रक्रिया से मरीज़ के बचने की संभावना बहुत कम थी। मरीज को आकाश हेल्थकेयर में लाने से पहले पास के एक नर्सिंग होम में ले जाया गया, लेकिन वहां नाड़ी और ब्लड प्रेशर जैसी चीजों को भी मापा नहीं जा सका। इसके बार मरीज़ को तुरन्त इमरजेंसी कंडीशन में द्वारका के आकाश हॉस्पिटल में शिफ्ट किया गया।

आकाश हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने पाया कि हाइपोटेंशन के कारण मरीज का सेंसरियम (सेंसरी और ब्रेन फंक्शन) बदल गया था। इसके अलावा मरीज़ की ईसीजी की गई, जिसमे हार्ट रेट लगभग 20- 30/ मिनट पाई गई थी, जिससे पता चला कि बड़े पैमाने पर मरीज़ को हार्ट अटैक आया था।

आकाश हेल्थकेयर द्वारका के कार्डियोलॉजी- डायरेक्टर डॉ आशीष अग्रवाल ने इस केस के बारे में बताया, ‘इस तरह के केस मे मरीज़ को तत्काल कैथ लैब में एंजियोप्लास्टी के लिए ले जाया जाता है, और बिना समय गंवाए उसकी ब्लॉक हुई ब्लड वेसेल्स अनब्लॉक किया जाता है। इस केस में जब हमने एंजियोग्राफी की, तो पता चला कि दाहिनी कोरोनरी आर्टरी गंभीर रूप से प्रभावित थी। यह 100% ब्लॉक हो गई थी। सर्जरी के दौरान यह भी पाया गया कि वेसेल्स में भी समस्या थी। मरीज़ की हालत गंभीर थी और बीपी और पल्स दोनों का पता नहीं चल रहा था, इसलिए वेंटिलेटर पर ले जाया गया और उनका ब्लड प्रेशर बढ़ाने के लिए इंजेक्शन लगाया। इसके अलावा एक टेम्परेरी पेसमेकर भी लगाया गया।

उसके बाद हमने एक कॉम्प्लेक्स एंजियोप्लास्टी प्रक्रिया की और दाहिनी आर्टरी में 2 स्टेंट लगाए। कैल्सीफाइड और टोर्टुओस एनाटॉमी के कारण स्टेंट देना मुश्किल था। इसलिए गाइडलाइनर (मां और बच्चे वाली तकनीक) का सफलतापूर्वक उपयोग किया गया। सफल प्रक्रिया के बाद उनकी हृदय की धड़कन सामान्य हो गई और अस्थायी पेसिंग वायर भी हटा दिया गया। मरीज़ को 2 से 3 दिनों में पूरी तरह से ठीक होने के बाद हॉस्पिटल से छुट्टी दे दी गई।

डॉ अग्रवाल ने कहा कि इस तरह कि प्रक्रिया को अंजाम देना मुश्किल था, क्योंकि उनके आर्टरी में बहुत ज्यादा कैल्शियम जमा हो गया था जिसकी वजह से डॉक्टरों को स्टेंट लगाने में काफ़ी परेशानी का सामना करना पड़ा।
उन्होंने आगे बताया, एंजियोप्लास्टी प्रक्रिया इसलिए कॉम्प्लेक्स मानी जाती है, क्योंकि इसे करने मे बहुत सारी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है और इसमें खतरा भी बहुत रहता है। ऐसी स्थितियों में हम विशेष हार्डवेयर का उपयोग करते हैं, जो हमें स्टेंट लगाने में मदद करते है। इस केस में सफल एंजियोप्लास्टी के बाद मरीज को आईसीयू में शिफ्ट कर दिया गया, जहां वह 3 से 4 दिनों के लिए वेंटिलेटर पर थे। मरीज़ को वायर हटाने के 2 से 3 दिनों बाद डिस्चार्ज कर दिया गया। अभी वह अच्छे से उबर रहे हैं। डॉक्टरों के अनुसार उन्हे फॉलोअप के लिए आना पड़ेगा।

आकाश हेल्थकेयर द्वारका के मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ आशीष चौधरी ने हॉस्पिटल के उद्देश्यों के बारे में बताते हुए कहा, ‘हमारा उद्देश्य देश में एक ऐसा प्रमुख मेडिकल आर्गेनाइकेशन बनना है जो सभी प्रकार की हृदय से सम्बंधित बीमारियों का इलाज़ करने के लिए अत्याधुनिक सुविधाएं प्रदान करता हो। हम जो सेवाएं प्रदान करते हैं, उनमें कार्डियोवैस्कुलर समस्याओं का व्यापक प्रबंधन, कोरोनरी हार्ट बीमारी, सेरेब्रोवास्कुलर बीमारी, रूमेटिक हार्ट बीमारी और अन्य बीमारियां  शामिल हैं।‘
Edited: By Navin Rangiyal/ PR 

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