नई दिल्ली। सरकार पर बजट में निम्न और मध्यम वर्ग की पूरी तरह उपेक्षा करने का आरोप लगाते हुए कांग्रेस ने बुधवार को राज्यसभा में कहा कि उसके कार्यकाल में न तो आमदनी बढ़ी और न ही मजदूरी बढ़ी बल्कि केवल अमीर लोग ही और अधिक अमीर होते गए।
उच्च सदन में विनियोग (संख्यांक दो) विधेयक 2024 और जम्मू कश्मीर विनियोग (संख्यांक तीन) विधेयक 2024 पर चर्चा की शुरुआत करते हुए कांग्रेस के दिग्विजय सिंह ने कहा कि इस बजट में संविधान का उल्लंघन हुआ है।
उन्होंने दावा किया कि इस सरकार के कार्यकाल में अमीर वर्ग और अधिक अमीर हुआ जबकि गरीब वर्ग और अधिक गरीब हुआ है। उन्होंने कहा कि देश के एक प्रतिशत लोगों के पास 40 प्रतिशत संपत्ति और 24 प्रतिशत आमदनी पहुंच गई है। उन्होंने कहा कि यह समानता के अधिकार का उल्लंघन है।
कांग्रेस सदस्य ने कहा कि परिवार में अगर 100 रुपए आता है तो सबसे कमजोर बच्चे का पहले ध्यान रखा जाता है। इस देश में बजट पर पहला हक उन लोगों का होना चाहिए जिनके पास आमदनी का कोई जरिया नहीं है। उन्हें इस बजट में क्या मिला?
उन्होंने कहा कि आज देश के करीब 25 प्रतिशत लोग संसाधन विहीन हैं और हम वैश्विक भूख सूचकांक में हम 125 देशों में 111वें स्थान पर हैं।
सिंह के अनुसार, आर्थिक सर्वे में कहा गया है कि करीब 24 करोड़ लोग गरीबी रेखा से बाहर चले आए, लेकिन व्यक्ति के परिवार की आय में वृद्धि होने के कारण ये लोग गरीबी रेखा से बाहर आए। उन्होंने कहा कि यह कथन विरोधाभासी है।
उन्होंने कहा कि असलियत यह है कि निवल बचत लगातार घट रही है। इसका मतलब है कि गरीबी बढ़ रही है। इस वर्ग का कर्ज भी बढ़ता जा रहा है।
उन्होंने सरकार पर तंज करते हुए कहा कि आपके कार्यकाल में आमदनी वही है, मजदूरी वही है। यह मजदूरी दस साल में एक प्रतिशत से आगे नहीं बढ़ी है। गरीब वर्ग के पास संपत्ति ही नहीं है।
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री सिंह ने कहा कि सरकार ने 2015 से आज तक एक बार भी लेबर कॉन्फ्रेंस आयोजित नहीं की, लेकिन इस अवधि में उसने 44 श्रम कानून बदल दिए तथा चार श्रम अदालतें बनाई गईं लेकिन यह सब बिना किसी से चर्चा के हुआ।
सिंह ने आरोप लगाया कि किसान सम्मान निधि उन किसानों को दी जा रही है जिनके पास जमीन है और भूमिहीन किसान तो किसान सम्मान निधि से वंचित ही हैं।
उन्होंने कहा कि संप्रग सरकार के समय दी जाने वाले वृद्धावस्था पेंशन 200 रुपये प्रतिमाह थी और आज भी यही है। इसमें एक रुपया भी नहीं बढ़ाया गया। गरीब वर्ग के साथ साथ आज मध्यम वर्ग भी परेशान है। मध्यम वर्ग के 2.2 प्रतिशत लोग कर देते हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि मध्यम वर्ग का कर जहां बढ़ा है वहीं कारपोरेट जगत से आने वाला कर प्रत्यक्ष कर संग्रह से भी कम हो गया है।
सिंह ने कहा कि आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार 2020 से 2023 तक कारपोरेट जगत को चार गुना फायदा हुआ है। लेकिन सवाल यह है कि यह फायदा कहां गया?
उन्होंने कहा कि एक साल खरबपतियों की संख्या मोदी सरकार में सबसे अधिक बढ़ी है। उन्होंने सुझाव दिया कि 300 सबसे अमीर परिवारों पर दो प्रतिशत संपत्ति कर भी लगा दिया जाए तो देश का साल भर का बजट पूरा हो जाएगा। उन्होंने कहा कि लेकिन आप ऐसा करेंगे नहीं।
बेरोजगारी का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि सरकार ने बड़ी संख्या में रोजगार देने वाले टेक्सटाइल क्षेत्र को पूरी तरह उपेक्षित कर दिया वहीं बांग्लादेश और श्रीलंका में इस क्षेत्र पर पूरा ध्यान दिया गया है। ये देश टेक्सटाइल के क्षेत्र में आगे बढ़े हैं वहीं हम पीछे रह गए और हमारे यहां बेरोजगारी तो बढ़ ही रही है।
सिंह ने कहा कि कैंसर की सभी दवाओं, मशीनों को कस्टम ड्यूटी से मुक्त करना चाहिए तथा स्वास्थ्य बीमा पर से जीएसटी हटाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य और शिक्षा पर अधिक आवंटन देना चाहिए लेकिन दोनों मंत्रालयों का बजट कम कर दिया गया है।