देवेन्द्र फडणवीस के महाराष्ट्र दूसरे ऐसे मुख्यमंत्री रहे हैं, जिन्होंने 5 साल का अपना कार्यकाल पूरा किया। उनसे पहले सिर्फ वसंतराव नाईक ही अपना कार्यकाल पूरा कर पाए थे। इतना ही नहीं सबसे कम समय तक मुख्यमंत्री रहने का रिकॉर्ड भी उनके नाम पर ही दर्ज हो गया है। 1963 में पीके सावंत 9 दिन तक मुख्यमंत्री रहे थे, जबकि फडणवीस दूसरी पारी में मात्र 80 घंटे सीएम रहे।
हालांकि बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि शिवसेना के कांग्रेस और एनसीपी के साथ जाने के बाद ही ऐसा क्या हुआ कि बहुमत नहीं होने के बाद भी 105 विधायकों के नेता फडणवीस ने ताबड़तोड़ शपथ ले ली। लेकिन, देवेन्द्र के फिर मुख्यमंत्री बनने के पीछे एक बड़ा रहस्य छिपा हुआ है। दरअसल, उनका मुख्यमंत्री बनना एक बड़ी 'योजना' का हिस्सा था।
सोशल मीडिया में चल रहीं खबरों पर भरोसा करें तो यह मामला मुंबई से अहमदाबाद तक चलने वाली बुलेट ट्रेन से जुड़ा हुआ है। महाराष्ट्र में मोदी सरकार ने बुलेट ट्रेन के लिए जापान करार किया था, जिसके लिए जापान ने करोड़ों का फंड बिना ब्याज के देना तय किया गया था। ऐसा माना जा रहा है कि इस फंड पर कांग्रेस और एनसीपी की नजर थी। डर था कि ये पार्टियां इस फंड का दुरुपयोग कर सकती हैं। इस फंड को बचाने के लिए ही देवेन्द्र फडणवीस ने दूसरी बार शपथ ली।
फडणवीस का दूसरी बार शपथ लेना इसलिए भी आश्चर्यजनक है क्योंकि शिवसेना की बगावत के बाद भाजपा पहले ही कह चुकी थी कि उसके पास बहुमत का आंकड़ा नहीं है, अत: वह विपक्ष में बैठना पसंद करेगी। फिर भी बात में कितना दम है इसका कोई आधिकारिक सबूत फिलहाल नहीं है।
ऐसा भी कहा जा रहा है कि फडणवीस 80 घंटों में ही महाराष्ट्र के किसानों को 5380 करोड़ रुपए दे गए। उनका कर्ज माफ कर दिया। अपने दूसरे कार्यकाल में फडणवीस ने सीएम रिलीफ फंड से एक चेक कुसुम वेंगुर्लेकर नामक महिला को जारी किया था। ऐसा भी कहा जा रहा है कि अब जापान से बुलेट ट्रेन के लिए भी पैसा नहीं आएगा।
सोशल मीडिया पर चल रही इस खबर में कितनी सच्चाई है यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा, लेकिन फिलहाल तो इस मामले को एक बड़े फंड से जोड़कर देखा जा रहा है।