नोटबंदी के बाद संदिग्ध लेन-देन की सरकार ने जांच शुरू कर दी है। सरकार ने नोटबंदी के आखिरी 10 दिनों के दौरान नए खातों में जमा रकम के साथ लोन भुगतान के मामलों की जांच शुरू कर दी है। इसके अलावा ई-वॉलेट से हुए ट्रांसफर की भी जांच शुरू कर दी है।
नोटबंदी के 50 दिनों के दौरान बैंक और पोस्ट ऑफिस में जमा हुई पुरानी रकम की जांच करने के बाद सरकार ने टर्म डिपॉजिट और लोन खातों में जमा हुई रकम की जांच शुरू की है जिन्हें नोटबंदी की घोषणा होने के बाद खोला गया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 नवंबर को नोटबंदी की घोषणा करते हुए 500 और 1000 रुपये के नोटों को बैन कर दिया था।
सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'आयकर विभाग ने हर निजी खातों की जांच शुरू की है। विभाग को उम्मीद है कि आने वाले दिनों में आयकर भुगतान में इजाफा होगा और प्रत्यक्ष कर संग्रह में जबरदस्त तेजी आएगी।'
नोटबंदी के आखिरी 10 दिनों में नकदी जमा के मामलों की जांच की जा रही है। इसके अलावा आरटीजीएस और अन्य माध्यमों की मदद से किए गए इलेक्ट्रॉनिक ट्रांसफर के मामलों की भी जांच की जा रही है। अधिकारी ने कहा, 'आयकर विभाग और ईडी जैसी अन्य एजेंसियां इन मामलों की छानबीन कर रही हैं।'
जांच के दौरान 2 लाख रुपये से अधिक की रकम वाले 60 लाख से अधिक खातों की पहचान की गई है जिनमें कुल 7.34 लाख करोड़ रुपये की रकम जमा की गई। इसके साथ ही पूर्वोत्तर के राज्यों में विभिन्न खातों में नकद 10,700 करोड़ रुपये की रकम के मामलों की भी पहचान की गई है।
अधिकारी ने बताया कि आयकर विभाग और ईडी को सहकारी बैंकों में नकद 16,000 करोड़ रुपये की जमा रकम के बारे में जानकारी मुहैया कराई गई है। इसके साथ ही क्षेत्रीय बैंकों में 13,000 करोड़ रुपये की नकदी जमा रकम के बारे में भी आयकर विभाग और ईडी को सूचना मुहैया कराई गई है।