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किसानों की मार्मिक अपील, हमारी तो जान भी सस्ती है...

हमें फॉलो करें किसानों की मार्मिक अपील, हमारी तो जान भी सस्ती है...
नई दिल्ली , शुक्रवार, 30 नवंबर 2018 (14:06 IST)
नई दिल्ली। अपनी मांगों को लेकर राजधानी दिल्ली में डेरा डालने वाले किसानों ने एक पर्चे के माध्यम से मार्मिक अपील की है। उन्होंने आंदोलन के चलते होने वाली परेशानी के लिए जनता से माफी भी मांगी है, वहीं लोगों को हकीकत से भी रूबरू कराने की कोशिश की है।
 
इस पर्चे में लिखा गया है कि हम किसान हैं। आपको तंग करना हमारा मकसद नहीं है। हम खुद परेशान हैं। आपको अपनी बात सुनाने के लिए बहुत दूर से आए हैं। गौरतलब है कि कर्ज मुक्ति और फसल की लागत का डेढ़ गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य दिए जाने की मांग को लेकर किसान गुरुवार से दिल्ली में प्रदर्शन कर रहे हैं। 
 
सोशल मीडिया पर प्रसारित हो रहे इस वीडियो में किसानों ने यह भी बताया है कि उनके उत्पाद किस कीमत पर खरीदे जाते हैं और आम आदमी को वे किस कीमत पर मिलते हैं। इसमें उल्लेख है कि साबुत का मूंग का किसानों को 46 रुपए किलो दाम मिलता है, जबकि यही मूंग उपभोक्ताओं को 120 रुपए किलो मिलता है। हालांकि इसमें थोड़ी सच्चाई कम है। वर्तमान में साबुत मूंग का भाव 70 रुपए के आसपास है। 
 
इस पर्चे के मुताबिक किसानों का कहना है कि हमें दूध के दाम 20 रुपए लीटर मिलते हैं, जबकि आपको एक लीटर दूध के दाम 42 रुपए चुकाने होते हैं। इसी तरह इसमें सेब और टमाटर के दामों का भी उल्लेख किया गया है। इसमें कहा गया है कि हम हर चीज महंगी खरीदते हैं और सस्ती बेचते हैं। हमारी तो जान भी सस्ती है। पिछले 20 साल में तीन लाख से ज्यादा किसान मौत को गले लगा चुके हैं। 
 
उन्होंने पर्चे में आगे कहा है कि हमारी मुसीबत का चाबी सरकार के पास और सरकार हमारी सुनती नहीं है। सरकार की चाबी मीडिया के पास है और वो हमें देखता नहीं है और मीडिया की चाबी आपके (जनता) पास, आप हमारी सुनेंगे। इसमें कहा गया है कि हम चाहते हैं कि संसद का विशेष अधिवेशन किसानों की समस्याओं पर बुलाया जाए। इस अधिवेशन में किसानों के लिए दो कानून- किसानों की फसल का उचित दाम और किसानों को कर्ज मुक्त करने का कानून पारित किया जाए।
 
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इसमें आम आदमी से भी समर्थन मांगा गया है कि आप भी संसद मार्ग पर आएंगे तो हमारा हौसला बढ़ेगा। हालांकि सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे इस पर्चे पर प्रिंट लाइन नहीं है। इससे यह समझ में नहीं आ रहा है कि यह किसने प्रकाशित करवाया है। 

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