मुंबई । बदनाम कमाठीपुरा रेडलाइट एरिया में जन्मी लड़कियां दुनिया के सबसे बड़े आर्ट फेयर में स्टेज शो के जरिए अपनी कहानी सबके सामने रख रही हैं। ब्रिटेन पहुंची रेडलाइट एरिया की ये बेटियां वहां अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाने में सफल रही हैं। इनकी उम्र 15 से 22 साल के बीच है।
आर्ट फेयर के साथ ही ये लड़कियां ब्रिटेन के कम्यूनिटी सेंटर, थिएटर और मंदिरों में अपनी कला का प्रदर्शन करेंगी। मुंबई की इस सेक्स वर्कर्स की बस्ती से ईडनबर्ग फ्रिंज पहुंची 15 लड़कियों में शामिल हैं कविता होशमानी।
कविता ने आपबीती सुनाते हुए कहती हैं कि मैं सूफी सिंगर बनना चाहती थी लेकिन कमाठीपुरा में किसी ने मुझे सपॉर्ट नहीं किया। मैं 4 साल की थी जब मेरे पिता की मृत्यु हो गई। इसके बाद जो देखा और जिया उसे ही थिएटर के जरिए दुनिया को बताने का प्रयास किया है।
स्टेज पर खुद की कहानी परफॉर्म करने की बात पर कविता का कहना है 'पुलिसवालों द्वारा सेक्स करो या पैसे दो का सौदा से लेकर रेडलाइट एरिया में होने वाले हर तरह के अत्याचार को हमने देखा है। यह हमारे जीवन का हिस्सा है। ऐसे में थिएटर के जरिए दुनिया से अपने दर्द को साझा करने में हमें कोई दिक्कत नहीं है।'
इन लड़कियों को इस स्टेज तक पहुंचाने का का काम किया है कमाठीपुरा रेडलाइट एरिया में काम करने वाले एनजीओ 'क्रांति' ने। ये लड़कियां फ्रिंज सहित ब्रिटेन में 9 प्ले करेंगी। 'लालबत्ती एक्सप्रेस' ने फ्रिंज जाने से पहले लंदन में अपने शो का प्रीमियर किया, जिसमें उन लड़कियों की कहानी को दिखाया गया जो ट्रैफिकिंग का शिकार हुईं।
यूके में ये लड़कियां सेक्स वर्कर्स के यहां ही रुकीं। कविता कहती हैं 'यूके में सेक्स वर्कर्स से मुलाकात अच्छा अनुभव है। कई के मुंह से यह बात सुनकर अच्छा लगा कि वे सेक्स को इंजॉय करती हैं। यहां भी कई लड़कियों को जबरदस्ती इसमें धकेला गया है।' शो से हुए अनुभव के बारे में उनका कहना है कि 'ऑडियंस का हमें भरपूर साथ मिला।
किसी ने हमारे दर्द में सहानुभूति दिखाई तो कई दर्शक हमारी कहानी देखते हुए रो दिए।' 'लालबत्ती एक्सप्रेस' के अमेरिकन को-फाउंडर रॉबिन चौरसिया का कहना है कि 'हमारा उद्देश्य केवल रेडलाइट एरिया से जुड़ी लड़कियों की कहानी दिखाना नहीं है बल्कि हम उनके बारे में बनी समाज की स्टीरियो टाइप मानसिकता को भी चुनौती देना चाहते हैं।'
यूके गए ग्रुप में शामिल 16 साल की रानी कहती हैं कि मैं बहुत छोटी थी, जब मेरे पिता की मौत के कुछ घंटे बाद ही मेरी मां एक दूसरे आदमी को घर में लाकर मुझसे बोलीं कि अब ये तुम्हारे पिता हैं। उसके बाद हर रोज मार-पिटाई से घर का माहौल खराब रहने लगा इसलिए मैं घर से भाग आई और मुझे क्रांति के जरिए एक आश्रम में जगह मिली।
यहां आकर मैंने सीखा है कि माफी ही सबसे बेहतर उपहार है जो आप खुद को और दूसरों को दे सकते हैं। इस ग्रुप की सदस्य अश्विनी जल्द ही न्यू यॉर्क के लिए उड़ान भरने वाली हैं। अश्विनी वहां साइकोलॉजी की पढ़ाई करने जा रही हैं।
19 साल की अश्विनी का कहना है कि इस शो ने उनका आत्मविश्वास बढ़ाया है 'मैंने फ्रिंज में कई शो देखे हैं, इनमें कई शो में मैंने ऐसा कुछ देखा जो मुंबई में कभी नहीं देखा था। थिएटर हमारे घावों को भरने में हमारी मदद कर रहा है क्योंकि इसके जरिए हम अपनी भावनाओं को व्यक्त कर पा रहे हैं।'