नई दिल्ली। वैज्ञानिकों ने शुक्रवार को कहा कि बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में चक्रवाती तूफान जलवायु परिवर्तन के कारण अधिक तीव्र हो रहे हैं और लंबे समय तक टिक रहे हैं। अनुसंधानकर्ता वैश्विक औसत तापमान में वृद्धि का कारण कम दबाव का क्षेत्र बनने को मानते हैं, खासकर हिंद महासागर के ऊपर।
उत्तरी हिंद महासागर के ऊपर उष्णकटिबंधीय चक्रवातों की बदलती स्थिति शीर्षक वाले एक अध्ययन के अनुसार, अरब सागर में 1982 से 2019 की अवधि के दौरान चक्रवाती तूफानों की तीव्रता, आवृत्ति और अवधि एवं अत्यंत भीषण चक्रवाती तूफानों में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई।
अध्ययन के अनुसार, वर्ष 2001 से 2019 तक की अवधि के दौरान अरब सागर में चक्रवाती तूफानों की आवृत्ति में 52 प्रतिशत की वृद्धि पाई गई, जबकि बंगाल की खाड़ी में आठ प्रतिशत की कमी आई।
भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान के जलवायु वैज्ञानिक और जलवायु परिवर्तन पर अंतर सरकारी पैनल (आईपीसीसी) की रिपोर्ट के प्रमुख लेखक रॉक्सी मैथ्यू कोल ने कहा, चक्रवात आजकल काफी दिनों तक अपनी ऊर्जा बनाए रख सकते हैं।
इसका एक उदाहरण चक्रवात अम्फान था, जिसके परिणामस्वरूप बड़े पैमाने पर तबाही हुई थी। जब तक महासागर गर्म और हवाएं अनुकूल रहेंगी, तब तक चक्रवात अपनी तीव्रता को लंबी अवधि तक बनाए रखेंगे।
तेजी से एक भीषण चक्रवाती तूफान में बदले चक्रवात मोखा के 175 किमी प्रति घंटे तक की रफ्तार वाली हवाओं के साथ बांग्लादेश और पश्चिमी म्यांमार तट से टकराने का पूर्वानुमान है। विश्व मौसम विज्ञान संगठन ने बांग्लादेश में तेज हवाओं, बाढ़ और संभावित भूस्खलन और म्यांमा में निचले इलाकों में बाढ़ की चेतावनी दी है।
Edited By : Chetan Gour (भाषा)