'वायु' हुआ विकराल, गुजरात में 175 किमी प्रतिघंटे की गति से टकराएगा

Webdunia
बुधवार, 12 जून 2019 (12:21 IST)
गांधीनगर। अरब सागर में उठे चक्रवाती तूफान वायु ने और गंभीर स्वरूप धारण कर लिया है और इसके पूर्व में अनुमानित की तुलना में और अधिक तीव्रता से गुजरात के सौराष्ट्र के निकट कल सुबह जमीन से टकराने (लैंडफॉल) की आशंका है।
 
अहमदाबाद मौसम केंद्र के निदेशक जयंत सरकार ने बुधवार को बताया कि अब इसने अति गंभीर च्रकवाती तूफान का स्वरूप ले लिया है। सुबह यह गुजरात के वेरावल तट से लगभग 340 किमी दक्षिण में स्थित था। यह गुरुवार को सुबह पोरबंदर से महुवा के बीच वेरावल के आसपास जमीन से टकराएगा। उस समय इसकी गति पूर्व के अनुमानित 110 से 120 किलोमीटर प्रतिघंटा की तुलना में और अधिक 145 से 155 किमी प्रति घंटा रहने की संभावना है तथा इसके साथ कभी-कभी पवन की गति 175 किमी प्रति घंटा तक पहुंच जाएगी।
 
स्कूलों में छुट्‍टियां घोषित : इस बीच इसके मद्देजनर तटवर्ती जिलों व्यापक एहतियाती उपाय किए गए हैं। तटवर्ती 11 जिलों के स्कूलों में बुधवार और गुरुवार को अवकाश की घोषणा कर दी गई है। मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने केवल इसी विषय पर कैबिनेट की बैठक आहूत की है।

सभी प्रभारी मंत्रियों को उनके जिलों में रहने की ताकीद की गई है। इसके अलावा सभी सरकारी अधिकारियों की छुट्टियां रद्द कर दी गई हैं। हजारों की संख्या में मछुआरों की नौकाएं वापस लौट आई हैं, जबकि घोघा और दाहेज के बीच खंभात की खाड़ी में चलने वाली रो-रो फेरी सेवा को से तीन दिन के लिए बंद कर दिया गया है।
 
लगभग 408 तटवर्ती गांवों ओर निचले इलाकों से लोगों को स्थानांतरित करने का काम बुधवार को सुबह शुरू हो गया है। लगभग 3 लाख लोगों को स्थानांतरित किया जाएगा। राहत और बचाव कार्य के लिए सेना के तीनों अंगों को भी तैयार रखा गया है। एनडीआरएफ की तीस से अधिक टुकड़ियां इन इलाको में तैनात हैं।
 
तूफान के मद्देनजर तटवर्ती इलाकों में भारी वर्षा की आशंका भी व्यक्त की गई है। समुद्र तटों पर लोगों को नहीं जाने की सलाह दी गई है। उधर तटवर्ती इलाकों समेत राज्य के कई स्थानों पर आज बादलयुक्त वातावरण है और कई स्थानों पर बूंदाबांदी भी हुई है। समुद्र तट पर ऊंची लहरें उठ रही हैं।
 
गौरतलब है कि इससे पहले दो बार ऐसे तूफानों की चेतावनी अंत में फुस्स साबित हुई थी। वर्ष 2014 के अक्टूबर में नीलोफर तूफान और 2017 दिसंबर में ओखी तूफान गुजरात तट से टकराते समय महज निम्न दबाव के मामूली क्षेत्र में तब्दील हो गए ते। इनसे कोई नुकसान नहीं हुआ था जबकि इससे पहले इनसे निपटने के लिए व्यापक तैयारी की गई थी और सेना के तीनो अंगों को भी तैयार रखा गया था।

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