नई दिल्ली। 500 और 1,000 रुपए के नोट पर गत 8 नवंबर को लगे प्रतिबंध से सबसे अधिक लाभ ऑनलाइन पेमेंट की सेवा देने वाली 'डिजीटल वॉलेट' कंपनियों का हुआ है और कुछ ही दिनों में इनके उपभोक्ताओं की संख्या में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है।
उद्योग संगठन एसोचैम के ताजा अध्ययन से यह बात सामने आई है कि बाजार में नए नोटों की कमी और नकद निकालने की तय सीमा के कारण लोगों को रुझान अब नकदरहित भुगतान सुविधा देने वाले ऑनलाइन पेंमेंट प्लेटफॉर्म जैसे पेटीएम और फ्रीचार्ज की ओर हो गया है।
नोटबंदी के कारण अधिक से अधिक खुदरा विक्रेता को लेन-देन के लिए अब ऑनलॉइन पेंमेंट का इस्तेमाल करना पड़ रहा है। ऑनलाइन पेंमेंट सुविधा देने वाली प्रीपेड पेमेंट इंस्ट्रुमेंट (पीपीआई) के नाम से जाने जाने वाली लगभग 45 कंपनियां अपनी सेवाएं दे रही हैं लेकिन बस चंद ही कंपनियां अपने प्रचार के दम पर नाम बना पा रही हैं।
एसोचैम के महासचिव डीएस रावत के अनुसार इन मोबाइल वॉलेट कंपनियों के लिए नोटबंदी आगे बढ़ने के मौके के रूप में आई है। सिर्फ अभी नकदी की समस्या के होने तक ही नहीं, बल्कि आगे भी इनके कारोबार में वृद्धि होती रहेगी और घर के पास के किराना स्टोर भी इसका इस्तेमाल करते दिखने लगेंगे। इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि सड़क किनारे बने ढाबे भी मोबाइल वॉलेट से बिल का भुगतान करने लगेंगे।
भारतीय रिजर्व बैंक ने वस्तु एवं सेवा की खरीद के लिए ऑनलाइन भुगतान सुविधा देने वाले मोबाइल वॉलेट को मंजूरी दी है। एसोचैम का कहना है कि जिस तरह सरकार नकदरहित भुगतान को बढ़ावा दे रही है उसे देखते हुए ये कंपनियां अपने उत्पाद के नवाचार में ज्यादा निवेश करेंगी और ज्यादा से उपभोक्ताओं तथा व्यापारियों तक अपनी पहुंच बनाएंगी।
अध्ययन के अनुसार इन मोबाइल वॉलेट का इस्तेमाल करने वाले व्यापारियों को अधिक जागरूक रहने, साइबर सुरक्षा के प्रति सचेत रहने और प्रशिक्षण लेने की जरूरत है। मोबाइल वॉलेट के प्रचलन को देखकर अब बैंक भी लेन-देन के लिए ऐसी सेवाएं देने की इच्छुक होंगे। आरबीआई के अनुसार फिलहाल 67 बैंक 12 करोड़ उपभोक्ताओं को मोबाइल सेवा प्रदान कर रहे हैं। यह संख्या अब और तेजी से बढ़ रही है। (वार्ता)