'इक शहंशाह ने बनवा के हसीं ताज-महल
सारी दुनिया को मोहब्बत की निशानी दी है।'
यह नज्म मशूहर शायर शकील बदायूंनी ने आगरा में प्रेम के प्रतीक ताजमहल के लिए लिखी है। कहा जाता है कि शाहजहां ने आगरा में ताजमहल का निर्माण मुमताज के लिए करवाया था, जो विश्व के सातवां अजूबा भी कहा जाता है। दुनियाभर में मशहूर प्यार की निशानी ताजमहल अब विवादों में घिरता नजर आ रहा है। कुछ दिन पहले अयोध्या के जगद्गुरु आचार्य परमहंस ने ताजमहल को तेजोमहालय बताते हुए भूमिपूजन करना चाहा था, भगवा वस्त्र धारण करने के कारण उनको ताजमहल में प्रवेश से रोक दिया गया।
हिन्दू मूर्तियां होने का दावा : अब अयोध्या के भाजपा से जुड़े नेता डॉ. रजनीश सिंह ने इलाहाबाद हाईकोर्ट लखनऊ बेंच में 4 मई को एक याचिका दायर करते हुए ताजमहल के बंद 22 कमरों को खोलने की मांग की है। डॉ. रजनीश की इस याचिका में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को आगरा में ताजमहल के अंदर बंद 22 कमरों को खोलने का निर्देश देने की अनुमति मांगी गई है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि इन बंद कमरों में हिन्दू मूर्तियां और शिलालेख तो छिपे हुए तो नहीं हैं।
10 मई को होगी सुनवाई : माना जा रहा है कि इस याचिका को स्वीकार करते हुए 10 मई को सुनवाई हो सकती है। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ में दायर एक याचिका दायर होने की जानकारी मिलते ही हिन्दू अनुयायी की इन 22 कमरों को लेकर उत्सुकता बढ़ गई है। यदि हाईकोर्ट में यह याचिका स्वीकृत हो जाती है और 22 कमरों को खोला जाता है। हो सकता है इन कमरों से कोई चौंकाने वाला रहस्य बाहर निकल आए।
88 साल पहले खुले थे दरवाजे : इतिहास के जानकारों के मुताबिक आज से 88 साल पहले ताजमहल के इन 22 कमरों को खोला गया था। वर्ष 1934 में यह 22 कमरे खोले गए थे, अब ताजमहल के इन बंद कमरों में खोलने और इनकी जांच के लिए समिति गठित करने की मांग को लेकर याचिका दायर की गई। यदि ताजमहल के 22 कमरे अब खुलते हैं तो नए रहस्य जरूर सामने आएंगे।
ताजमहल के बंद इन 22 कमरों को खोलने और वीडियोग्राफी कराने की एक याचिका आगरा न्यायालय में भी लंबित है। इतिहासकार राजकिशोर राजे का कहना है कि इन कमरों को यदि खोला जाएगा तो कुछ चौंकाने वाले तथ्य जरूर बाहर आएंगे।
क्या कहते हैं इतिहासविद : इतिहासविद राजकिशोर राजे ने बताया कि ताजमहल में मुख्य मकबरे और चमेली फर्श के नीचे 22 कमरे बने हैं जिन्हें बंद कर दिया गया है, चमेली फर्श पर यमुना किनारे की तरफ बेसमेंट में नीचे जाने के लिए दो जगह सीढ़ियां बनी हुई हैं। इनके ऊपर लोहे का जाल लगाकर बंद कर दिया है। 40 से 45 वर्ष पूर्व तक सीढ़ियों से नीचे जाने का रास्ता खुला हुआ था, लेकिन अब वह बंद है। इन कमरों को 88 साल पहले 1934 में खोला गया था।
2015 में सामने आई थी जानकारी : हालांकि वर्ष 2015 में गोपनीय रूप से इन कमरों के मरम्मत कराने की जानकारी मिली थी। आखिर इन कमरों में ऐसा क्या है, जिन्हें सार्वजनिक तौर पर नही खोला गया है, यदि याचिका स्वीकार होती है तो अवश्य कमरे खुलेंगे, निष्पक्ष जांच में कोई रहस्य उद्घाटन जरूर होगा।
याचिका में याची डॉ. रजनीश ने अदालत से राज्य सरकार को एक समिति गठित करने का आदेश देने की मांग की है, जो इन 22 बंद कमरों की खोल कर जांच करे और वहां हिन्दू मूर्तियों या धर्मग्रंथों से संबंधित किसी भी सबूत की तलाश करे।
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में दाखिल याचिका के अंदर इतिहासकार पीएन ओक की किताब ताजमहल का हवाला देते हुए कहा गया है कि ताजमहल वास्तव में तेजोमहालय है, जिसका निर्माण 1212 एडी में राजा परमार्दी देव द्वारा कराया गया था। बाद में जयपुर के महाराजा मानसिंह ने इसका संरक्षण किया। यह भी कहा गया है कि मुगल शासक शाहजहां ने मानसिंह से इस महल को हड़प लिया था।
क्या सुलझेगा विवाद : रजनीश सिंह के वकील रूद्र विक्रमसिंह का कहना है कि 1600 ईसवीं में आए तमाम यात्रियों ने अपने यात्रा वृत्तांत में मानसिंह के महल का जिक्र किया है। याचिका में अयोध्या के जगद्गुरु आचार्य परमहंस के भगवा वस्त्र धारण करके ताजमहल में भूमिपूजन के विवाद का भी हवाला दिया गया है। याचिका में कहा गया है कि यदि ताजमहल के 22 बंद कमरों को खोलने का निर्देश न्यायालय देता और जांच कमेटी के गहनता से अध्ययन करती है तो ताजमहल के संबंध हो रही राजनीति और सभी विवाद अपने आप सुलझ जाएंगे।