Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

पूर्वोत्तर में वैज्ञानिक शोध की अलख जगाएंगे सीडीआरआई और नाइपर

हमें फॉलो करें पूर्वोत्तर में वैज्ञानिक शोध की अलख जगाएंगे सीडीआरआई और नाइपर
, शनिवार, 7 अगस्त 2021 (13:48 IST)
नई दिल्ली, वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) की लखनऊ स्थित प्रयोगशाला सेंट्रल ड्रग रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीडीआरआई) और गुवाहाटी स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मास्यूटिकल एजुकेशन ऐंड रिसर्च (नाइपर) अब पूर्वोत्तर के विकास के लिए साथ मिलकर काम करेंगे।

पूर्वोत्तर भारत में अनुसंधान एवं विकास परियोजनाओं को बढ़ावा देने और मानव संसाधन विकास के लिए दोनों संस्थानों के बीच बुधवार को एक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए हैं।

इस समझौते पर नाइपर के निदेशक डॉ यू.एस.एन. मूर्ति और सीडीआरआई के निदेशक प्रोफेसर तापस कुंडू द्वारा हस्ताक्षर किए गए हैं।

नाइपर-गुवाहाटी, फार्मास्यूटिकल्स विभाग (डीओपी), रसायन और उर्वरक मंत्रालय, भारत सरकार का पूर्वोत्तर में वर्ष 2008 में स्थापित पहला फार्मा शिक्षा और अनुसंधान संस्थान है। वहीं, सीएसआईआर-सीडीआरआई विगत सात दशकों से देश का एक अग्रणी औषधि अनुसंधान संस्थान है। सीडीआरआई में जीएलपी सुविधाओं सहित एसएआर, क्यूएसएआर, कॉम्बिनेटरियल सिंथेसिस, जैव सूचना विज्ञान, प्रोटिओमिक्स, जीनोमिक्स, नियामक विष-विज्ञान, फार्माकोलॉजी, फार्माकोकाइनेटिक्स आदि की महत्वपूर्ण सुविधाओं सहित नयी दवाओं के विकास हेतु कांसेप्ट से कमर्शियलाइजेशन तक सभी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध हैं।

इन दोनों संस्थानों के बीच किए गए ताजा समझौते का एक प्रमुख उद्देश्य संयुक्त रूप से पारस्परिक हित के सहयोगी अनुसंधान कार्यक्रमों के संचालन के लिए विशिष्ट क्षेत्रों की पहचान, छात्रों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रमों की रूपरेखा तैयार कर उनका आयोजन, फैकल्टी एक्सचेंज प्रोग्राम्स का संचालन और इन्स्ट्रूमेंटेशन सुविधाओं को साझा करना है।

इसके अलावा, इस अनुबंध के अनुसार चयनित अनुसंधान परियोजना प्रस्तावों को संयुक्त रूप से डीबीटी, सीएसआईआर, डीएसटी, आईसीएमआर या किसी अन्य फंडिंग एजेंसियों को अतिरिक्त फंडिंग के लिए प्रस्तुत किया जा सकता है।

सीएसआईआर-सीडीआरआई के निदेशक प्रोफेसर तापस कुमार कुंडू ने कहा है कि “दोनों संस्थानों के मध्य यह अनुबंध, अकादमिक/वैज्ञानिक उत्थान हेतु ज्ञान साझा करने तथा मूल्यवर्द्धन (वैल्यू एडिशन) और बौद्धिक भागीदारी (साइंटिफिक इनपुट) के माध्यम से महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

इस पहल से, समृद्ध जैव-विविधता वाले पूर्वोत्तर भारत के हितग्राहियों (स्टेकहोल्डर्स) को एक-दूसरे के साथ सहयोग करने का अवसर मिलेगा और अंत में वे पारस्परिक रूप से विज्ञान की बेहतरी में सहभागिता कर सकते हैं।” (इंडिया साइंस वायर)

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

No Kissing Zone: ये मुंबई है, यहां किस करना मना है