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कोरोनरी और सेरेब्रल धमनी रोगों की दवा विकसित करने के लिए नई साझेदारी

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, शनिवार, 12 जून 2021 (11:24 IST)
नई दिल्ली, वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) की लखनऊ स्थित घटक प्रयोगशाला केंद्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान (सीडीआरआई) और मार्क लेबोरेटरीज लिमिटेड, इंडिया दिल के दौरे और स्ट्रोक के लिए नई सुरक्षित दवा विकसित करने के लिए एक साथ आए हैं। कोरोनरी और सेरेब्रल धमनी रोगों के लिए दवा विकसित करने के लिए दोनों साझेदारों के बीच हाल में एक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए हैं।

मार्क लेबोरेटरीज उत्तर प्रदेश स्थित एक युवा प्रगतिशील उद्यम है, जिसका संचालन आधार 13 अन्य राज्यों में है। सीएसआईआर-सीडीआरआई और मार्क लेबोरेटरीज के बीच यह समझौता एक सिंथेटिक यौगिक एस-007-867 आधारित एक महत्वपूर्ण दवा के विकास का मार्ग प्रशस्त कर सकता है।

यह दवा विशेष रूप से ब्लड कौग्लूशन कैस्केड (रक्त के थक्के जमने की प्रक्रिया) के मॉड्यूलेटर के रूप में एवं कोलेजन प्रेरित प्लेटलेट एकत्रीकरण के अवरोधक के रूप में कार्य करती है।

इस संबंध में, सीएसआईआर-सीडीआरआई द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि कोरोनरी और सेरेब्रल धमनी रोगों (हार्ट अटैक एवं स्ट्रोक) के इलाज में यह दवा मददगार हो सकती है।

आर्टेरीयल थ्रोम्बोसिस (धमनी घनास्त्रता), एक गंभीर जटिलता है, जो एथेरोस्क्लेरोसिस (धमनियों के कठोर एवं संकीर्ण हो जाने) की वजह से बने घावों पर विकसित होती है। इसके कारण हार्ट अटैक (हृदयघात) और स्ट्रोक (मस्तिष्कघात) होता है। इसलिए, इंट्रावास्कुलर थ्रोम्बोसिस के इलाज हेतु "प्लेटलेट-कोलेजन इंटरैक्शन का निषेध" को एक आशाजनक चिकित्सीय रणनीति के रूप में देखा जा रहा है। सीडीआरआई द्वारा तैयार यौगिक S-007-867, कोलेजन मध्यस्थ प्लेटलेट सक्रियण को रोकता है, और उसके बाद COX1 एन्जाइम के सक्रियण के माध्यम से सघन कणिकाओं और थ्रोम्बोक्सेन A2 से एटीपी के मुक्त होने को कम करता है।

इस प्रकार यह प्रभावी रूप से रक्त प्रवाह के वेग को बनाए रखता है, और वेस्कुलर ओक्लुजन (आमतौर पर थक्के की वजह से होने वाली रक्त वाहिका की अवरुद्धता) में देरी करता है, और हेमोस्टेसिस से समझौता किए बिना थ्रोम्बोजेनेसिस (रक्त के थक्के के गठन) को रोकता है।

शोधकर्ताओं का कहना है कि कोरोनरी और सेरेब्रल धमनी रोगों के लिए वर्तमान में मौजूदा उपचारों की तुलना में इस दवा में रक्तस्राव का जोखिम कम है। प्रयोगशाला जंतुओं पर हुए प्रयोगों में, इस यौगिक ने न्यूनतम रक्तस्राव की प्रवृत्ति के साथ मौजूदा मानकों की तुलना में बेहतर एंटीथ्रॉम्बोटिक सुरक्षा का प्रदर्शन किया है। संस्थान को दवा के लिए फ़ेज-I चिकित्सीय (क्लीनिकल) परीक्षण करने की अनुमति प्राप्त हो चुकी है।

कोविड-19 बीमारी में, खासतौर पर एआरडीएस वाले गंभीर रोगियों में उच्च डी-डाइमर होता है, तथा प्रोथ्रोम्बिन टाइम (पीटी) कम होता है, जो प्रो-थ्रोम्बोटिक अवस्था को दर्शाता है। इसके अलावा, इन रोगियों में परिसंचारी न्यूट्रोफिल, इन्फ्लेमेट्रि मध्यस्थ/साइटोकाइन, सीआरपी एवं लिम्फोसाइटोपेनिया की संख्या अधिक होती है। इसलिए, इस अवस्था में प्लेटलेट प्रतिक्रियाशीलता और न्यूट्रोफिल सक्रियण को कम करने वाली दवाएं फायदेमंद हो सकती हैं।

इन्हीं मानदंडों/तथ्यों (उच्च सुरक्षा और रक्तस्राव अवधि पर निम्न प्रभाव) के आधार पर इस दवा का कोविड-19 के कारण उत्पन्न हुई जटिलताओं में रोग के इलाज हेतु एक बेहतर विकल्प के रूप में देखा जा रहा है।

प्रोफेसर तपस के. कुंडू, निदेशक (सीडीआरआई) ने कहा है कि "सीएसआईआर-सीडीआरआई, जो कि देश का प्रमुख औषधि विकास एवं अनुसंधान संस्थान है, के लिए यह एक गौरवशाली क्षण है कि हम ‘सभी के लिए सस्ती स्वास्थ्य सेवा’ की अपनी प्रतिबद्धता का पालन करते हुए अपने ही संस्थान में निर्मित एक नई औषधि को आगे विकसित करने के लिए फार्मा कंपनी को लाइसेंस कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें आशा है कि मानवता को स्वास्थ्य लाभ पहुंचाने के लिए यह दवा शीघ्र ही बाजार में उपलब्ध हो जाएगी।"

मार्क लेबोरेटरीज के चेयरमैन श्री प्रेम किशोर ने कहा है कि "सीएसआईआर-सीडीआरआई के साथ मार्क का जुड़ाव दोनों पक्षों के लिए फायदेमंद होगा और वे इस यौगिक को आगे ले जाने के लिए कड़ी मेहनत करेंगे, ताकि यह जल्द ही सभी के लिए उपलब्ध हो सके।" (इंडिया साइंस वायर)

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