INX Media Case : अदालत का आदेश, जेल में चिदंबरम को मिलेगा घर का खाना, बोतलबंद पानी और मच्छरदानी

Webdunia
शुक्रवार, 1 नवंबर 2019 (22:01 IST)
नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय को शुक्रवार को बताया गया कि पूर्व वित्तमंत्री पी. चिदंबरम को अस्पताल में भर्ती कराए जाने की आवश्यकता नहीं है लेकिन अदालत ने तिहाड़ जेल अधिकारियों को उनके स्वास्थ्य के लिए कई कदम उठाने के निर्देश दिए हैं जिसमें बोतलबंद पानी और मच्छरों से बचाव के उपाय शामिल हैं।
 
चिदंबरम आईएनएक्स मीडिया मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की हिरासत में हैं और वे लगभग 10 सप्ताह से न्यायिक हिरासत में हैं। ईडी द्वारा दर्ज आईएनएक्स मीडिया मनी लॉन्ड्रिंग मामले में चिदंबरम ने अदालत से चिकित्सकीय आधार पर अंतरिम जमानत देने का अनुरोध किया है।
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चिदंबरम ने कहा है कि उनकी सेहत खराब हो रही है और उन्हें संक्रमणरहित वातावरण में रहने की जरूरत है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने एम्स मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट पढ़ी और न्यायमूर्ति सुरेश कैत को बताया कि चिकित्सकों ने सुबह कांग्रेस नेता की जांच की थी और उन्हें संक्रमणरहित वातावरण (अस्पताल के) की जरूरत नहीं है।
 
चिदंबरम की स्वास्थ्य स्थिति की जांच के लिए अदालत के आदेश पर एम्स मेडिकल बोर्ड का गठन किया गया है। चिदंबरम की अंतरिम जमानत याचिका की सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति कैत ने तिहाड़ जेल के अधीक्षक को 74 वर्षीय चिदंबरम को स्वच्छ परिवेश, मिनरल वॉटर, घर का बना भोजन और मच्छरदानी उपलब्ध कराने के निर्देश दिए।
 
अदालत ने कहा कि उन्हें 'फेस मास्क' उपलब्ध कराए जाने चाहिए ताकि जरूरत पड़ने पर वे इसे पहन सकें। इसके अलावा अदालत ने निर्देश दिए कि चिदंबरम के रक्तचाप पर नियमित निगरानी रखी जाए। अदालत ने यह भी निर्देश दिए कि चिदंबरम की नियमित स्वास्थ्य जांच की जाए।
 
चिदंबरम की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि उन्हें किसी और निर्देश की आवश्यकता नहीं है। इसके बाद अदालत ने याचिका का निस्तारण कर दिया। उच्च न्यायालय ने गुरुवार को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के निदेशक से एक मेडिकल बोर्ड का गठन करके चिदंबरम के स्वास्थ्य पर जानकारी देने के लिए कहा है। चिदंबरम आंतों से जुड़ी बीमारी 'क्रोहन' से पीड़ित हैं। आंतों से जुड़ी क्रोहन बीमारी के लक्षणों में पेट में दर्द, दस्त और वजन घटना शामिल है।
 
सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि हैदराबाद के गैस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट नागेश्वर रेड्डी समेत 7 सदस्यीय बोर्ड का गठन किया गया और उन्होंने कहा है कि इलाज जारी रखना चाहिए और उन्हें स्वच्छ वातावरण दिया जाना चाहिए। चिकित्सकों का यह भी कहना है कि उन्हें अस्पताल में भर्ती कराए जाने की जरूरत नहीं है और बाह्य रोगी के रूप में उनका इलाज किया जाना चाहिए।
 
उच्च न्यायालय ने कहा था कि चिदंबरम के स्वास्थ्य की जानकारी देने वाले मेडिकल बोर्ड में हैदराबाद के गैस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट नागेश्वर रेड्डी को शामिल किया जाए। रेड्डी चिदंबरम का उपचार कर रहे हैं। चिदंबरम ने 6 दिन के लिए अंतरिम राहत मांगी थी जिससे कि वे हैदराबाद में एशियन इंस्टीट्यूट ऑफ गैस्ट्रोएंट्रोलॉजी (एआईजी) में अपने चिकित्सक रेड्डी से जांच करवा सकें और परामर्श ले सकें।
 
उन्होंने दावा किया है कि उन्हें 2017 में क्रोहन रोग का पता चला था और इस वर्ष 5 अक्टूबर से उन्हें पेट में लगातार बहुत अधिक दर्द बना हुआ है जिसके लिए तत्काल चिकित्सीय उपचार की आवश्यकता है। अदालत को बताया गया था कि चिदंबरम का वजन 73 किलोग्राम से घटकर 66 किलोग्राम रह गया है, जो कि यह दिखाता है कि हिरासत में उनकी हालत खराब हुई है।
 
अदालत ने अपने आदेश में एम्स के मेडिकल बोर्ड को निर्देश दिया था कि वह चिदंबरम की सेहत के बारे में अपनी राय दे, खासतौर पर इस बारे में कि उन्हें अस्पताल के संक्रमणरहित माहौल में भर्ती करने की जरूरत है या नहीं? अदालत ने एम्स के निदेशक को कहा था कि वह अपराह्न 4 बजे तक एक बोर्ड का गठन करें और चिकित्सकों के उस दल में रेड्डी को शामिल करें।
 
अंतरिम जमानत याचिका के मुताबिक 7 अक्टूबर को एम्स में उनकी जांच हुई थी जिसमें उन्हें एंटीबायोटिक और दर्दनिवारक दवाएं दी गईं। इसके बाद उनका दर्द कम हुआ। इसके बाद 22 अक्टूबर को उन्हें फिर समस्या हुई और 23 अक्टूबर को एम्स में उनकी जांच हुई तथा उन्हें नई दवाइयां दी गईं। लेकिन उसके बाद दर्द में राहत नहीं मिली।
 
चिदंबरम की 24 और 26 अक्टूबर को एम्स में फिर से जांच की गई। इसके बाद 28 अक्टूबर को राममनोहर लोहिया अस्पताल में उनकी जांच की गई। आईएनएक्स मीडिया भ्रष्टाचार मामले में सीबीआई द्वारा 21 अगस्त को चिदंबरम को गिरफ्तार किया गया था। एक निचली अदालत ने आईएनएक्स मीडिया मनी लॉन्ड्रिंग मामले में बुधवार को चिदंबरम को 13 नवंबर तक तिहाड़ जेल भेज दिया था।
 
यह मामला 2007 में वित्तमंत्री के रूप में चिदंबरम के कार्यकाल में विदेशी निवेश संवर्द्धन बोर्ड (एफआईपीबी) द्वारा आईएनएक्स मीडिया को 305 करोड़ रुपए का विदेशी निवेश प्राप्त करने की मंजूरी में हुई कथित अनियमितताओं से संबंधित है।

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