बिना लक्षणों वाले बढ़ते कोरोना पॉजिटिव केसों से अब सामुदायिक संक्रमण का खतरा !
80 फीसदी कोरोना पॉजिटिव केस में कोई लक्षण नहीं : ICMR
भारत में कोरोना वायरस अब पूरी रफ्तार से लोगों को अपनी चपेट में ले रहा है। देश में कोरोना पॉजिटिव मरीजों की संख्या 20 हजार के करीब पहुंच गई है तो दूसरी ओर अब तक 600 से अधिक लोग संक्रमण की चपेट में आकर अपनी जान गवां चुके है। इस बीच बिना लक्षणों वाले नए कोरोना पॉजिटिव केसों ने संक्रमण के फैलने का खतरा और बढ़ा दिया है।
उधर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के प्रमुख टेड्रॉस ए. गेब्रियेसस ने चेताया है कि अभी कोरोना महामारी को लेकर इससे बुरा वक्त आना बाकी है। उन्होंने साफ कहा कि कोरोना वायरस के प्रकोप का सबसे खराब समय आना अभी बाकी है।
डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक ने कहा कि कोरोना वायरस को लोग अब तक समझ नहीं पा रहे है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुखिया इस बयान ने भारत सहित पूरे दुनिया की चिंता बढ़ा दी है। दावा यह भी किया जा रहा हैं कि कोरोना वायरस अब अपना रूप बदल रहा है हलांकि भारत में अभी कोरोना वायरस के रुप बदलने के कोई पुख्ता प्रमाण नहीं मिले है लेकिन पिछले दिनों देश में जो कोरोना पॉजिटिव के नए केस सामने आए है उसमें बहुत से लोग ऐसे संक्रमित पाए गए है जिनमें कोरोना के कोई लक्षण ही नहीं थे।
उदाहरण के तौर पर महाराष्ट्र में जिन पचास से अधिक पत्रकारों में कोरोना पॉजिटिव पाया गया था उसमें से अधिकांश में कोरोना के कोई लक्षण नहीं थे यानि वह सर्दी,जुकाम या खांसी जैसी बीमारी से नहीं पीड़ित थे। इस तरह कोरोना के हॉटस्पॉट जयपुर में बिना लक्षण वाले पांच सौ से अधिक लोगों की जांच करने पर चार सौ से अधिक लोग कोरोना पॉजिटिव मिले है। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में भी कई ऐसे मामले सामने आए है जिसमें ऐसे लोगो कोरोना पॉजिटिव पाए गए जिनमेंं बीमारी के कोई लक्षण नहीं थे।
स्वास्थ्य मंत्रालय और ICMR के मुताबिक देश में कोरोना पॉजिटिव ऐसे केस बड़ी संख्या में सामने आ रहे है जिनमें बीमारी को लेकर किसी भी प्रकार के लक्षण नहीं दिखाई दे रहे है। ICMR में महामारी और संक्रामक रोग विभाग के प्रमुख डॉक्टर रमण आर गंगाखेड़कर के मुताबिक कोरोना के 100 पॉजिटिव मरीजों में से 80 मामले ऐसे सामने आ रहे है जिनमें सर्दी,जुखाम और बुखार जैसे कोई लक्षण ही नहीं पाए गए है।
कोरोना के बिना लक्षण वाले केस ने सरकार की चिंता और बढ़ा दी है। कोरोना संक्रमण के इलाज में जुटे डॉक्टरों के मुताबिक जानलेवा वायरस कोरोना से संक्रमित होने पर कोई लक्षण नहीं दिखने पर ऐसे लोगों की पहचान कर उन्हें आइसोलेट करने का काम या तो बहुत मुश्किल हो जाता है या जब तक पीड़ित मरीज में बीमारी के लक्षण दिखाई देते है तब तक वह संक्रमण उसके संपर्क में आने वाले लोगों में बहुत तेजी से फैलना शुरु हो जाता है। ऐसे में कोरोना के सामुदायिक संक्रमण फैलने का अंदेशा बहुत बढ़ जाता है।
कोरोना महामारी के समय लोगों को सोशल डिस्टेंसिंग के प्रति जागरूक करने में जुटे डॉक्टर सत्यकांत त्रिवेदी कहते हैं कि जब तेजी से बिना लक्षणों वाले कोरोना पॉजिटिव केस सामने आ रहे है तब बीमारी से बचने का एक मात्र उपाय सोशल डिस्टेंसिंग और खुद को आगे बढ़कर आइसोलेट करना है नहीं तो बीमारी के सामुदायिक संक्रमण का खतरा बहुत बढ़ जाएगा।
डॉक्टर सत्यकांत ऐसे समय कोरोना की टेस्टिंग को और बढ़ाने पर जोर देते हुए कहते हैं कि ऐसे में पॉजिटिव व्यक्ति कब करियर बनकर अन्य लोगों को संक्रमित कर देता है उसको खुद ही नहीं पता चलता है। पिछले कुछ समय में कोरोना के खिलाफ जंग में जुटे डॉक्टरों और पुलिसकर्मियों के बड़े पैमाने पर संक्रमित होने की वजह भी उनका ऐसे ही लोगों के संपर्क में आना पाया गया है जिसमें कोरोना के कोई लक्षण नहीं दिखाई दिए थे। इन परिस्थितियों में हमारे फ्रंट लाइन के योद्धाओं को बुहत सतर्क रहने की जरूरत है और उनको WHO की गाइडलाइन का पूरी तरह से पालन करना चाहिए।