हरिद्वार, ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरुपानंद सरस्वती के निधन के बाद उनके शिष्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद को शंकराचार्य घोषित किए जाने को लेकर विवाद पैदा हो गया है। सभी सात दशनामी सन्यासी अखाड़ों ने स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद को ज्योतिषपीठ का शंकराचार्य मानने से इंकार कर दिया है।
निरंजनी अखाड़े के सचिव और अखिल भारतीय अखाडा परिषद के अध्यक्ष महंत रविंद्रपुरी ने अविमुक्तेश्वरानंद को ज्योतिषपीठ का शंकराचार्य घोषित किए जाने को नियम विरुद्ध बताया और कहा कि जल्द ही सभी सन्यासी अखाड़ों की इस मुद्दे पर बैठक कर नए शंकराचार्य के बारे मे रणनीति तय की जाएगी।
ज्योतिषपीठ और द्वारका शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के निधन के बाद ज्योतिषपीठ पर उनकी वसीयत के आधार पर उनके शिष्य सुबूद्धानंद ने अविमुक्तेश्वरानंद को ज्योतिषपीठ का नया शंकराचार्य घोषित किया था।
अविमुक्तेश्वरानंद को शंकराचार्य घोषित किए जाने से सभी दशनामी सन्यासी अखाड़े नाराज हैं। महंत रविंद्र पुरी ने कहा कि शंकराचार्य की नियुक्ति की एक प्रक्रिया है और सन्यासी अखाड़ों की सहमति के बाद काशी विद्वत परिषद शंकराचार्य की नियुक्ति करती है।
उन्होंने कहा की स्वरुपानंद के ब्रह्मलीन होने के बाद उनकी जगह अविमुक्तेश्वरानंद को जल्दबाजी मे सन्यासी अखाड़ों से विचार विमर्श किए बिना ही ज्योतिषपीठ का शंकराचार्य नियुक्त किया गया। पुरी ने कहा कि वह अविमुक्तेश्वरानंद को शंकराचार्य नहीं मानते है।
पुरी ने कहा कि वैसे भी ज्योतिषपीठ दशनामी सन्यासियों में गिरी नामक सन्यासी परम्परा के सन्यासी को ही पीठ पर नियुक्त किया जाता है। उन्होंने कहा कि जल्द ही सभी सन्यासी अखाड़ों की बैठक मे ज्योतिषपीठ के नए शंकराचार्य का नाम तय करने के लिए रणनीति बनाई जाएगी। (भाषा)