Construction work case : राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) ने केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जुलवायु परिवर्तन मंत्रालय के क्षेत्रीय कार्यालय समेत अन्य अधिकारियों से चंडीगढ़ की परिधि में उन व्यापक निर्माण गतिविधियों से संबंधित मामले में जवाब मांगा है जो स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र को खतरे में डाल रही हैं।
अधिकरण एक मामले की सुनवाई कर रहा था जिसमें उसने पंजाब वन विभाग की ओर से गतिविधियों को लेकर चिंता जताए जाने के संबंध में एक अखबार की खबर पर स्वत: संज्ञान लिया था। एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव की पीठ ने एक अक्टूबर के एक आदेश में कहा, लेख के अनुसार, पंजाब वन विभाग ने मिर्जापुर, जयंती माजरी, करोरन, भारोनजियन, सिसवान और नाडा गांवों में कई स्थलों को चिह्नित किया है जहां हाल ही में वन दर्जे से हटाई गई भूमि पर निर्माण कार्य चल रहा है।
आरोप है कि डेवलपर्स इन क्षेत्रों में फार्म हाउस बनाने के साथ और अन्य निर्माण के लिए भूखंड चिह्नित कर रहे हैं, जो वन भूमि की सूची से बाहर की गई भूमि को लेकर दिए गए उच्चतम न्यायालय के दिशानिर्देशों का उल्लंघन है। ये जमीन, जिन्हें पहले वन भूमि के रूप में वर्गीकृत किया गया था, अब वृहद मोहाली क्षेत्र विकास प्राधिकरण (जीएमएडीए) के अधिकार क्षेत्र में आती हैं।
पीठ में न्यायिक सदस्य अरुण कुमार त्यागी और विशेषज्ञ सदस्य अफरोज अहमद और ए सेंथिल वेल भी शामिल हैं। पीठ ने कहा कि खबर में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि इस तरह के निर्माण स्थानीय वनस्पतियों और जीवों सहित स्थानीय जैव विविधता को खतरे में डाल रहे हैं। (भाषा)
Edited By : Chetan Gour