Consensual sex between teenagers case : उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को उस जनहित याचिका पर केंद्र से जवाब मांगा, जिसमें सहमति से यौन संबंध बनाने पर 16 से 18 साल के किशोरों के खिलाफ अक्सर लगाए जाने वाले वैधानिक बलात्कार पर कानून को अपराध की श्रेणी से बाहर करने का निर्देश देने की मांग की गई है।
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने वकील हर्ष विभोर सिंघल द्वारा उनकी व्यक्तिगत क्षमता में दायर जनहित याचिका पर ध्यान दिया। पीठ ने केंद्रीय कानून और न्याय मंत्रालय तथा गृह मामलों व राष्ट्रीय महिला आयोग सहित कुछ अन्य वैधानिक निकायों को नोटिस जारी किया है।
जनहित याचिका वैधानिक बलात्कार कानूनों की वैधता को चुनौती देती है जो 16 वर्ष से अधिक और 18 वर्ष से कम उम्र के किशोरों के बीच सहमति से यौन संबंध को इस आधार पर अपराध घोषित करते हैं कि ऐसे कृत्यों के लिए उनकी सहमति वैधानिक रूप से अमान्य है।
याचिका में कहा गया, अनुच्छेद 32 या रिट की प्रकृति के अनुरूप अन्य निर्देश के तहत एक परमादेश रिट पारित करें और 16 वर्ष से अधिक तथा 18 वर्ष से कम उम्र के किशोरों के बीच या 18 साल से ज्यादा उम्र के किसी अन्य के साथ स्वैच्छिक सहमति से यौन संपर्क के सभी मामलों पर लागू वैधानिक बलात्कार के कानून को कम करने के लिए अनुच्छेद 142 के तहत अपनी शक्तियों का प्रयोग करें।
Edited By : Chetan Gour (भाषा)