Nehru Museum Controversy : दिल्ली के तीन मूर्ति भवन परिसर में स्थित नेहरू स्मारक संग्रहालय एवं पुस्तकालय सोसाइटी (एनएमएमएल) का नाम बदलकर 'प्रधानमंत्री संग्रहालय एवं पुस्तकालय सोसाइटी' कर दिया गया है। इसको लेकर विपक्षी कांग्रेस और सत्तारूढ़ भाजपा के बीच वाकयुद्ध छिड़ गया है। इस बीच भाजपा और कांग्रेस ने एक-दूसरे पर पलटवार किया है।
जहां कांग्रेस ने इस मुद्दे पर केंद्र सरकार पर संकीर्ण सोच और प्रतिशोध से काम करने का आरोप लगाया, वहीं सत्तारूढ़ भाजपा ने इस कदम की आलोचना करने के लिए कांग्रेस पर पलटवार करते हुए कहा कि विपक्षी पार्टी देश के प्रधानमंत्री के रूप में सेवा देने वाले अपने नेताओं का भी अपमान करने से नहीं हिचकती।
गौरतलब है कि सोसाइटी का नाम बदले जाने से एक साल पहले देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू का आधिकारिक आवास रहे तीन मूर्ति भवन परिसर में प्रधानमंत्री संग्रहालय का उद्घाटन किया गया था। संस्कृति मंत्रालय ने शुक्रवार को बताया कि एनएमएमएल की एक विशेष बैठक में इसका नाम बदलने का फैसला किया गया है।
उसने बताया कि सोसाइटी के उपाध्यक्ष रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने इस बैठक की अध्यक्षता की। बयान में बताया गया है कि सिंह ने बैठक को संबोधित करते हुए नाम में बदलाव के प्रस्ताव का स्वागत किया, क्योंकि अपने नए प्रारूप में यह संस्थान जवाहरलाल नेहरू से लेकर नरेन्द्र मोदी तक सभी प्रधानमंत्रियों के योगदान और उनके सामने आई विभिन्न चुनौतियों के दौरान उनकी प्रतिक्रियाओं को दर्शाता है।
सिंह ने प्रधानमंत्रियों को एक संस्था बताते हुए और विभिन्न प्रधानमंत्रियों की यात्रा की इंद्रधनुष के विभिन्न रंगों से तुलना करते हुए इस बात पर जोर दिया कि इंद्रधनुष को सुंदर बनाने के लिए उसके सभी रंगों का उचित अनुपात में प्रतिनिधित्व किया जाना चाहिए। इसमें कहा गया, इसलिए प्रस्ताव में एक नया नाम दिया गया है, हमारे सभी पूर्व प्रधानमंत्रियों का सम्मान किया गया है और इसकी सामग्री लोकतांत्रिक है।
सोसाइटी की बैठक के दौरान कार्यकारी परिषद के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा ने नाम में बदलाव की आवश्यकता के बारे में बताते हुए कहा कि प्रधानमंत्री संग्रहालय देश की लोकतंत्र के प्रति गहरी प्रतिबद्धता व्यक्त करता है और इसीलिए संस्था का नाम अपने नए रूप को प्रतिबिंबित करना चाहिए।
कांग्रेस ने एनएमएमएल का नाम बदले जाने को लेकर केंद्र सरकार पर संकीर्ण सोच और प्रतिशोध से काम करने का आरोप लगाया और कहा कि इमारतों के नाम बदलने से विरासतें नहीं मिटा करतीं। पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने दावा किया कि सरकार के इस कदम से भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की ओछी मानसिकता और तानाशाही रवैए का परिचय मिलता है। उन्होंने कहा कि ऐसे कदम से पंडित नेहरू की शख़्सियत को कम नहीं किया जा सकता।
खरगे ने ट्वीट किया, जिनका कोई इतिहास ही नहीं है, वे दूसरों के इतिहास को मिटाने चले हैं। नेहरू स्मारक संग्रहालय एवं पुस्तकालय का नाम बदलने के कुत्सित प्रयास से आधुनिक भारत के शिल्पकार व लोकतंत्र के निर्भीक प्रहरी पंडित जवाहरलाल नेहरू जी की शख़्सियत को कम नहीं किया जा सकता। इससे केवल भाजपा-आरएसएस की ओछी मानसिकता और तानाशाही रवैए का परिचय मिलता है। उन्होंने दावा किया, मोदी सरकार की बौनी सोच, 'हिन्द के जवाहर' का भारत के प्रति विशालकाय योगदान कम नहीं कर सकती।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने ट्वीट किया, संकीर्णता और प्रतिशोध का दूसरा नाम मोदी है। नेहरू स्मारक संग्रहालय और पुस्तकालय 59 वर्ष से अधिक समय से एक वैश्विक बौद्धिक ऐतिहासिक स्थल और पुस्तकों एवं अभिलेखों का ख़ज़ाना रहा है। अब से इसे प्रधानमंत्री स्मारक और सोसाइटी कहा जाएगा।
उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री मोदी, भारतीय राष्ट्र-राज्य के शिल्पकार के नाम और विरासत को विकृत करने, नीचा दिखाने और नष्ट करने के लिए क्या नहीं करेंगे। अपनी असुरक्षाओं के बोझ तले दबा एक छोटे कद का व्यक्ति स्वघोषित विश्वगुरु बना फिर रहा है।
कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा कि इमारतों के नाम बदलने से विरासतें नहीं मिटतीं। कांग्रेस के प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने कहा, आप (जवाहरलाल नेहरू का) नाम बोर्ड से हटा सकते हैं, लेकिन इस देश के लोग उनका जो सम्मान करते हैं, आप उसे नहीं मिटा सकते।
वहीं भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष जेपी नड्डा ने नेहरू स्मारक संग्रहालय एवं पुस्तकालय का नाम बदले जाने की कांग्रेस की ओर से की जा रही आलोचनाओं के बीच शुक्रवार को कहा कि नया प्रधानमंत्री संग्रहालय एवं पुस्तकालय सोसाइटी राजनीति से परे एक प्रयास है और विपक्षी दल के पास इसे महसूस करने के लिए दृष्टि की कमी है।
खरगे के ट्वीट को टैग करते हुए भाजपा अध्यक्ष ने उनकी टिप्पणी को राजनीतिक अपच का उत्कृष्ट उदाहरण बताया और कहा कि वह (कांग्रेस) इस सच्चाई को स्वीकार करने में अक्षम है कि एक परिवार से परे भी ऐसे नेता हैं, जिन्होंने हमारे राष्ट्र की सेवा की और उसका निर्माण किया है।
उन्होंने एक के बाद एक सिलसिलेवार ट्वीट में कहा, प्रधानमंत्री संग्रहालय राजनीति से परे एक प्रयास है और कांग्रेस के पास इसे महसूस करने के लिए दृष्टि की कमी है। उन्होंने कहा, इस मुद्दे पर कांग्रेस का दृष्टिकोण विडंबनापूर्ण है, क्योंकि उसका एकमात्र योगदान सभी पिछले प्रधानमंत्रियों की विरासत को मिटाना है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि केवल एक परिवार की विरासत बच सके।
नड्डा ने दावा किया कि प्रधानमंत्री संग्रहालय में हर प्रधानमंत्री को सम्मान मिला है और पंडित जवाहरलाल नेहरू से संबंधित हिस्सों में कोई बदलाव नहीं किया गया है। उन्होंने कहा, इसके विपरीत, इसकी प्रतिष्ठा बढ़ाई गई है। एक ऐसी पार्टी के लिए जिसने 50 साल से अधिक समय तक भारत पर शासन किया, उनकी क्षुद्रता वास्तव में दुखद है। यही कारण है कि लोग उन्हें अस्वीकार कर रहे हैं।
नेहरू स्मारक संग्रहालय एवं पुस्तकालय का नाम बदले जाने की आलोचना करने के लिए कांग्रेस पर पलटवार करते हुए भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता और राज्यसभा सदस्य सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि विपक्षी पार्टी देश के प्रधानमंत्री के रूप में सेवा देने वाले अपने नेताओं का भी अपमान करने से नहीं हिचकती।
त्रिवेदी ने कहा कि कांग्रेस आरोप लगा रही है, जबकि उसके नेताओं ने अभी तक यह देखने के लिए संग्रहालय का दौरा नहीं किया है कि कैसे प्रौद्योगिकी के उपयोग के साथ प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और उनके उत्तराधिकारियों के योगदान और उपलब्धियों को बेहतर तरीके से प्रदर्शित किया गया है। उन्होंने कहा कि संग्रहालय में लाल बहादुर शास्त्री, इंदिरा गांधी, पीवी नरसिंह राव, राजीव गांधी और कांग्रेस के मनमोहन सिंह सहित सभी पूर्व प्रधानमंत्रियों के योगदान और उपलब्धियों को प्रदर्शित किया गया है।
उन्होंने कहा, मैं जानबूझकर उनके अपने प्रधानमंत्रियों का नाम ले रहा हूं। मैं समझ सकता हूं कि नरसिंह राव के साथ उनकी कुछ कड़वाहट थी, लेकिन मैं जानना चाहता हूं कि इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, लाल बहादुर शास्त्री और मनमोहन सिंह की उपलब्धियों से उन्हें क्या समस्या है, जिनके प्रधानमंत्री के रूप में कार्यकाल को संगठित तरीके से प्रदर्शित किया गया है।
उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विरोध में वे अपने ही नेताओं का अपमान करने से भी नहीं हिचकते। वे अपनी नजरों में मोदी के विरोध के 'मोदियाबिंद' के कारण अपने ही नेताओं और अन्य लोगों के बीच अंतर नहीं कर पा रहे हैं। उन्होंने कहा, मैं हैरान हूं और (इस मामले में कांग्रेस की प्रतिक्रिया से) थोड़ा परेशान भी हूं।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने भी एक ट्वीट कर खरगे को निशाना बनाया। उन्होंने कहा कि जिन लोगों को एक परिवार के अलावा कुछ और दिखाई ही नहीं देता, उनके द्वारा इस तरह का बड़बोलापन उनकी ओछी मानसिकता व पाखंड की पराकाष्ठा है।
उन्होंने कहा, सिर्फ एक परिवार के महिमा मंडन में कांग्रेस ने न जाने कितने देशभक्त बलिदानियों के समर्पण को कभी इतिहास के पन्नों में आने ही नहीं दिया। खरगे साहब की मजबूरी है वरना उनको भी पता है कि बाबू जगजीवन राम, सीताराम केसरी और नरसिंह राव जैसे अनेक कांग्रेस नेताओं तक को इस परिवार के अहंकार की वजह से अपने ही दल में अपमान का दंश झेलना पड़ा। ब्रिटिश काल में बना तीन मूर्ति भवन स्वतंत्रता के बाद देश के पहले प्रधानमंत्री का आधिकारिक आवास था।
आजादी का अमृत महोत्सव की वेबसाइट के अनुसार, पंडित नेहरू 27 मई, 1964 को अपने निधन तक 16 से अधिक साल तक यहां रहे। यह इमारत जवाहरलाल नेहरू के नाम से इतनी लोकप्रिय थी कि तीन मूर्ति हाउस और जवाहरलाल नेहरू कमोबेश पर्यायवाची बन गए, इसलिए उनके निधन के बाद, भारत सरकार ने ज्ञान की सीमाओं को बढ़ाने और मानव मस्तिष्क को समृद्ध करने के नेहरू के शाश्वत उत्साह को बनाए रखने के लिए इस आवास को एक उपयुक्त स्मारक में बदलने का फैसला किया।
Edited By : Chetan Gour (भाषा)