नई दिल्ली। प्रधान न्यायाधीश एन.वी. रमण ने अदालतों में महत्वहीन याचिकाएं दाखिल किए जाने पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि जनहित याचिका की अवधारणा अब निजी हित याचिका में बदल गई है। कभी-कभी परियोजनाओं को रोकने या सार्वजनिक प्राधिकारियों पर दबाव बनाने के लिए इनका इस्तेमाल किया जा रहा है।
प्रधान न्यायाधीश ने शनिवार को मुख्यमंत्रियों और उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीशों के संयुक्त सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि कानून और संविधान का पालन करना सुशासन की कुंजी है।
प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि महत्वहीन याचिकाओं की बढ़ती संख्या चिंता का विषय है। उदाहरण के लिए, जनहित याचिका की अर्थपूर्ण अवधारणा कभी-कभी निजी हित याचिका में बदल जाती है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि जनहित याचिका ने जनहित में बहुत काम किया है। हालांकि, कभी-कभी परियोजनाओं को रोकने या सार्वजनिक प्राधिकरणों पर दबाव बनाने के लिए इसका दुरुपयोग किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि आजकल, जनहित याचिका उन लोगों के लिए एक औजार बन गई है, जो राजनीतिक मामलों या कॉरपोरेट प्रतिद्वंद्विता को सुलझाना चाहते हैं। दुरुपयोग की आशंका को समझते हुए, अदालतें अब इस पर विचार करने में अत्यधिक सतर्क हैं। (भाषा)