Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

citizenship amendment bill : 7 घंटे की चर्चा के बाद लोकसभा में नागरिकता संशोधन बिल पास

हमें फॉलो करें citizenship amendment bill : 7 घंटे की चर्चा के बाद लोकसभा में नागरिकता संशोधन बिल पास
, मंगलवार, 10 दिसंबर 2019 (01:01 IST)
नई दिल्ली। लोकसभा ने आज नागरिकता संशोधन विधेयक को मंजूरी दे दी जिसमें अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से धार्मिक प्रताड़ना के कारण भारत आए हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के लोगों को भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन करने का पात्र बनाने का प्रावधान है। विधेयक के पक्ष में 311 मत और विरोध में 80 मत पड़े।

निचले सदन में विधेयक पर सदन में 7 घंटे से अधिक समय तक चली चर्चा का जवाब देते हुए गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि यह विधेयक लाखों-करोड़ों शरणार्थियों के यातनापूर्ण नरक जैसे जीवन से मुक्ति दिलाने का साधन बनने जा रहा है। ये लोग भारत के प्रति श्रद्धा रखते हुए हमारे देश में आए, उन्हें नागरिकता मिलेगी।

शाह ने कहा, मैं सदन के माध्यम से पूरे देश को आश्वस्त करना चाहता हूं कि यह विधेयक कहीं से भी असंवैधानिक नहीं है और संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन नहीं करता। अगर इस देश का विभाजन धर्म के आधार पर नहीं होता तो मुझे विधेयक लाने की जरूरत ही नहीं पड़ती। उन्होंने कहा कि नेहरू-लियाकत समझौता काल्पनिक था और विफल हो गया और इसलिए विधेयक लाना पड़ा।
webdunia

शाह ने कहा कि देश में एनआरसी आकर रहेगा और जब एनआरसी आएगा तब देश में एक भी घुसपैठिया बच नहीं पाएगा। उन्होंने कहा कि किसी भी रोहिंग्या को कभी स्वीकार नहीं किया जाएगा। मंत्री के जवाब के बाद सदन ने कुछ सदस्यों के संशोधनों को खारिज करते हुए नागरिकता संशोधन विधेयक को मंजूरी दे दी। विधेयक के पक्ष में 311 मत और विरोध में 80 मत पड़े।

विपक्ष के कुछ संशोधनों पर मत विभाजन भी हुआ और उन्हें सदन ने अस्वीकृत कर दिया। विधेयक पारित होने के बाद रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, कृषिमंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी, खाद्य प्रसंस्करण मंत्री हरसिमरत कौर बादल समेत भाजपा तथा उसके सहयोगी दलों के विभिन्न सदस्यों ने गृहमंत्री अमित शाह के पास जाकर उन्हें बधाई दी।

इससे पहले अमित शाह ने अपने जवाब में कहा कि 1947 में पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की आबादी 23 प्रतिशत थी। 2011 में 23 प्रतिशत से कम होकर 3.7 प्रतिशत हो गई। बांग्लादेश में 1947 में अल्पसंख्यकों की आबादी 22 प्रतिशत थी जो 2011 में कम होकर 7.8 प्रतिशत हो गई।
webdunia

शाह ने कहा कि भारत में 1951 में 84 प्रतिशत हिंदू थे जो 2011 में कम होकर 79 फीसदी रह गए, वहीं मुसलमान 1951 में 9.8 प्रतिशत थे, जो 2011 में 14.8 प्रतिशत हो गए। उन्होंने कहा कि इसलिए यह कहना गलत है कि भारत में धर्म के आधार पर भेदभाव हो रहा है। उन्होंने कहा कि धर्म के आधार पर भेदभाव न हो रहा है और न आगे होगा।

शाह ने कहा कि यह विधेयक किसी धर्म के खिलाफ भेदभाव वाला नहीं है और 3 देशों के अंदर प्रताड़ित अल्पसंख्यकों के लिए है जो घुसपैठिए नहीं, शरणार्थी हैं। शाह ने कहा कि हमारी अल्पसंख्यकों को लेकर अवधारणा संकुचित नहीं है जैसा कि विपक्ष के सदस्यों ने आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि वे यहां के अल्पसंख्यकों की बात ही नहीं कर रहे। यह उन 3 देशों के अल्पसंख्यकों की बात है।

उन्होंने कहा कि इस देश में इतनी बड़ी आबादी मुस्लिमों की है। कोई भेदभाव नहीं हो रहा। तस्वीर ऐसी बनाई जा रही है कि अन्याय हो रहा है। शाह ने कहा, हमें एनआरसी की पृष्ठभूमि बनाने की जरूरत नहीं। हमारा रुख साफ है कि इस देश में एनआरसी लागू होकर रहेगा। हमारा घोषणा पत्र ही पृष्ठभूमि है। उन्होंने कहा कि कहा कि हमें मुसलमानों से कोई नफरत नहीं है और कोई नफरत पैदा करने की कोशिश भी न करे।

गृहमंत्री ने कहा कि पूर्वोत्तर राज्यों के दलों ने विधेयक का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि सिक्किम को भी संरक्षण प्राप्त है और चिंता करने की जरूरत नहीं है। इससे पहले, विधेयक रखते हुए शाह ने कहा कि अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान ऐसे राष्ट्र हैं जहां राज्य का धर्म इस्लाम है।

शाह ने कहा कि आजादी के बाद बंटवारे के कारण लोगों का एक-दूसरे के यहां आना-जाना हुआ। इस समय ही नेहरू-लियाकत समझौता हुआ जिसमें एक-दूसरे के यहां अल्पसंख्यकों को सुरक्षा की गारंटी देने की प्रतिबद्धता व्यक्त की गई थी।

उन्होंने कहा कि हमारे यहां तो अल्पसंख्यकों को सुरक्षा प्रदान की गई लेकिन अन्य जगह ऐसा नहीं हुआ। हिन्दुओं, बौद्ध, सिख, जैन, पारसी और ईसाई लोगों को धार्मिक प्रताड़ना का शिकार होना पड़ा। अमित शाह ने कहा कि इस विधेयक के माध्यम से इन 3 देशों से आए 6 धार्मिक अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने की बात कही गई है।

अमित शाह ने पूर्वोत्तर क्षेत्र की सामाजिक एवं भाषाई विशिष्टता के संरक्षण की मोदी सरकार की प्रतिबद्धता दोहराते हुए कहा कि अब मणिपुर को भी इनर लाइन परमिट व्यवस्था में शामिल किया जाएगा। इसके बाद ही विधेयक को अधिसूचित किया जाएगा। विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि ऐसे अवैध प्रवासियों को जिन्होंने 31 दिसंबर 2014 की निर्णायक तारीख तक भारत में प्रवेश कर लिया है, उन्हें अपनी नागरिकता संबंधी विषयों के लिए एक विशेष शासन व्यवस्था की जरूरत है।

विधेयक में हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के प्रवासियों को भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन करने से नहीं वंचित करने की बात कही गई है। इसमें कहा गया है कि यदि कोई ऐसा व्यक्ति नागरिकता प्रदान करने की सभी शर्तों को पूरा करता है तब अधिनियम के अधीन निर्धारित किए जाने वाला सक्षम प्राधिकारी, अधिनियम की धारा 5 या धारा 6 के अधीन ऐसे व्यक्तियों के आवेदन पर विचार करते समय उनके विरुद्ध अवैध प्रवासी के रूप में उनकी परिस्थिति या उनकी नागरिकता संबंधी विषय पर विचार नहीं करेगा।

भारतीय मूल के बहुत से व्यक्ति जिनमें अफगानिस्तान, बांग्लादेश, पाकिस्तान के उक्त अल्पसंख्यक समुदायों के व्यक्ति भी शामिल हैं, वे नागरिकता अधिनियम 1955 की धारा 5 के अधीन नागरिकता के लिए आवेदन करते हैं, किंतु यदि वे अपने भारतीय मूल का सबूत देने में असमर्थ हैं, तो उन्हें उक्त अधिनियम की धारा 6 के तहत 'देशीयकरण' द्वारा नागरिकता के लिए आवेदन करने को कहा जाता है। यह उनको बहुत से अवसरों एवं लाभों से वंचित करता है।

इसमें कहा गया कि इसलिए अधिनियम की तीसरी अनुसूची का संशोधन करने का प्रस्ताव किया गया है, जिसमें इन देशों के उक्त समुदायों के आवेदकों को 'देशीयकरण' द्वारा नागरिकता के लिए पात्र बनाया जा सके। इसके लिए ऐसे लोगों मौजूदा 11 वर्ष के स्थान पर पांच वर्षों के लिए अपनी निवास की अवधि को प्रमाणित करना होगा।

इसमें वर्तमान में भारत के कार्डधारक विदेशी नागरिक के कार्ड को रद्द करने से पूर्व उन्हें सुनवाई का अवसर प्रदान करने का प्रस्ताव किया गया है। विधेयक में संविधान की छठी अनुसूची के अंतर्गत आने वाले पूर्वोत्तर राज्यों की स्थानीय आबादी को प्रदान की गई संवैधानिक गारंटी की संरक्षा करने और बंगाल पूर्वी सीमांत विनियम 1973 की आंतरिक रेखा प्रणाली के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों को प्रदान किए गए कानूनी संरक्षण को बरकरार रखने के मकसद से है।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

जब तक मोदी प्रधानमंत्री हैं, किसी भी धर्म के लोगों को डरने की जरूरत नहीं