ट्रंप चाल से परेशान चीन ने भारत की ओर बढ़ाया दोस्ती का हाथ
चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने कहा- भारत और चीन साथ आ जाएं तो दुनिया में व्यापारिक समीकरण बदले जा सकते हैं
China Foreign Minister Wang Yi on China India Friendship: अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप के फिर से राष्ट्रपति बनने के बाद दुनिया में टैरिफ युद्ध (Tariff War) की शुरुआत हो गई है, जिसका असर भारत, चीन और अन्य देशों पर पड़ा है। इस बीच, चीन ने भारत की ओर दोस्ती का हाथ बढ़ाया है। चीन का कहना है कि यदि भारत और चीन आपस में प्रतिस्पर्धा करने के बजाय एक साथ मिलकर काम करें, तो वैश्विक व्यापारिक समीकरणों में बड़ा बदलाव आ सकता है। चीन के विदेश मंत्री वांग यी (Wang Yi) ने यह भी कहा कि दोनों देशों को एक-दूसरे की सफलता में साझीदार बनना चाहिए।
चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने शुक्रवार अपने वार्षिक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि भारत और चीन के संबंधों में सकारात्मक प्रगति हुई है और पूर्वी लद्दाख में 4 साल से अधिक समय तक चले सैन्य गतिरोध के पिछले वर्ष समाप्त होने के बाद सभी स्तरों पर उत्साहजनक नतीजे प्राप्त हुए हैं। दरअसल, उनसे पूछा गया था कि दोनों देशों के बीच संबंधों में लंबे समय तक चले गतिरोध को समाप्त करने के बाद चीन द्विपक्षीय संबंधों को किस तरह देखता है।
2020 में हो गए थे तनावपूर्ण संबंध : उन्होंने कहा कि इसके बाद, दोनों पक्षों ने नेताओं के बीच बनी आम समझ का ईमानदारी से पालन किया। सभी स्तरों पर आदान-प्रदान और व्यावहारिक सहयोग को मजबूत किया तथा कई सकारात्मक परिणाम हासिल किए। जून 2020 में गलवान घाटी में हुई भीषण झड़प के बाद, दोनों देशों के बीच संबंध तनावपूर्ण हो गए थे। प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति जिनपिंग ने पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर गश्त और सैनिकों को पीछे हटाने पर भारत-चीन समझौते का पिछले साल 23 अक्टूबर को समर्थन किया था तथा विभिन्न द्विपक्षीय वार्ता तंत्र को बहाल करने के निर्देश जारी किये थे।
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राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और वांग यी ने गत 18 दिसंबर को विशेष प्रतिनिधि वार्ता (एसआर डायलॉग) के दौरान सार्थक चर्चा की थी। संबंधों को बेहतर बनाने के लिए सीमा पर शांति बनाए रखने के महत्व पर भारत द्वारा जोर दिए जाने का स्पष्ट संदर्भ देते हुए वांग ने चीन के इस रुख को दोहराया कि सीमा या अन्य मुद्दों पर मतभेदों से समग्र द्विपक्षीय संबंधों पर असर नहीं पड़ना चाहिए।
सफलता में बनें साझेदार : वांग के मुताबिक, चीन का मानना है कि दोनों देशों को एक-दूसरे की सफलता में साझेदार बनना चाहिए। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच सहयोगात्मक साझेदारी ही दोनों पक्षों के लिए एकमात्र सही विकल्प है। वांग ने कहा कि दोनों देशों को एक दूसरे के साथ मिलकर काम करना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमें द्विपक्षीय संबंधों को कभी भी सीमा के सवाल या विशिष्ट मतभेदों से परिभाषित नहीं होने देना चाहिए, जिससे हमारे द्विपक्षीय संबंधों की समग्र तस्वीर प्रभावित हो।
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उन्होंने अमेरिका के स्पष्ट संदर्भ में कहा कि ग्लोबल साउथ के महत्वपूर्ण सदस्यों के रूप में, हमारे पास आधिपत्यवाद का विरोध करने में अग्रणी भूमिका निभाने की जिम्मेदारी है। ग्लोबल साउथ से तात्पर्य उन देशों से है, जिन्हें अक्सर विकासशील, कम विकसित या अविकसित कहा जाता है और जो मुख्य रूप से अफ्रीका, एशिया और लैटिन अमेरिका में स्थित हैं।
यदि भारत-चीन हाथ मिलाते हैं तो... : वांग ने कहा कि हमें न केवल अपने देशों के वैध अधिकारों और हितों की रक्षा करनी चाहिए, बल्कि अंतरराष्ट्रीय संबंधों को नियंत्रित करने वाले बुनियादी मानदंडों को भी बनाए रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि चीन और भारत हाथ मिलाते हैं, तो अंतरराष्ट्रीय मामलों में अधिक लोकतांत्रिक व्यवस्था और मजबूत ग्लोबल साउथ की संभावना में काफी सुधार होगा। वांग ने कहा कि 2025 में चीन-भारत राजनयिक संबंधों की 75वीं वर्षगांठ होगी।
उन्होंने कहा कि चीन भारत के साथ मिलकर काम करने के लिए तैयार है ताकि चीन-भारत संबंधों को मजबूत और स्थिर विकास के पथ पर तेजी से आगे बढ़ाया जा सके। (भाषा/वेबदुनिया)
Edited by: Vrijendra Singh Jhala