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डरपोक कौन, चिदंबरम या मोदी-शाह?

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वेबदुनिया न्यूज डेस्क

, बुधवार, 21 अगस्त 2019 (19:27 IST)
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम 350 करोड़ रुपए के आईएनएक्स मीडिया मामले में दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा अग्रिम जमानत याचिका खारिज होने के बाद 'लापता' हैं। चिदंबरम पर गिरफ्तारी की तलकार लटकी है और सीबीआई, ईडी ने उनके घर पर दस्तक भी दे दी है।

सुप्रीम कोर्ट से भी उन्हें राहत नहीं मिली है। हां, एक बात जरूर है कि उनकी पार्टी कांग्रेस उनके साथ पूरी मजबूती के साथ खड़ी है। होना भी चाहिए क्योंकि चिदंबरम कांग्रेस के पुराने और वरिष्ठ नेता हैं। 
 
दरअसल, कोर्ट के फैसलों को आमतौर पर सही ठहराने वाले कांग्रेस के नेताओं ने इस मामले में न सिर्फ मोदी सरकार बल्कि मीडिया को भी अपने निशाने पर ले लिया है। ऐसा लगता है कि उन्हें देश की न्याय व्यवस्था पर ही भरोसा नहीं रहा है।

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ट्‍विटर पर कमेंट किया है कि मोदी सरकार ईडी, सीबीआई और मीडिया का गलत इस्तेमाल कर पी. चिदंबरम की छवि को नुकसान पहुंचा रही है। मैं मोदी सरकार के द्वारा सत्ता के इस गलत इस्तेमाल की कड़ी निंदा करता हूं।
 
अब सवाल यह भी उठता है कि क्या मोदी सरकार हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट का भी इस्तेमाल कर रही है? क्योंकि चिदंबरम की अग्रिम जमानत याचिका पर हाईकोर्ट ने रोक लगाई है, जबकि सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें कोई राहत नहीं दी है। ऐसे में सरकार को कठघरे में खड़ा करना कहां तक उचित है? सीबीआई और ईडी जैसी एजेंसियां सरकार के इशारे पर चल सकती हैं, लेकिन कोर्ट कैसे ऐसा कर सकता है।  
 
दअरसल, सवाल तो उस कार्रवाई पर उठाया जा सकता है कि जब 2010 में जब पी. चिदंबरम केन्द्र में गृहमंत्री थे और सीबीआई ने सोहराबुद्दीन फर्जी मुठभेड़ मामले में अमित शाह को जेल में डाला दिया था। बाद में कानूनी प्रक्रिया के जरिए ही शाह इस मामले से बाहर आए। अब इसे करिश्मा ही कहेंगे कि करीब 8 साल बाद अमित शाह केन्द्र में गृहमंत्री हैं और निशाने पर पी. चिदंबरम हैं। 
 
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी चिदंबरम का पुरजोर समर्थन करते हुए कहा है कि चिदंबरम ने पूरी वफादारी के साथ  वित्तमंत्री और गृहमंत्री के रूप में देश की सेवा की है। उन्हें शर्मनाक तरीके से निशाना बनाया जा रहा। क्योंकि सच डरपोक लोगों को रास नहीं आता। हम सच्चाई के लिए लड़ते रहेंगे, फिर परिणाम चाहे जो भी है। 
 
डरपोक कौन है, यह फैसला तो अदालत या जनता जनार्दन करेगी, लेकिन कोर्ट के फैसले के बाद जिस तरह से चिदंबरम गायब हैं, सवाल तो उठते ही हैं। 

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