केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने मंगलवार को कहा कि प्रोजेक्ट चीता के 2 साल चुनौतीपूर्ण रहे हैं। इसमें चीतों के आवास समायोजन से लेकर शावकों का जीवन बचाने तक कई बाधाओं को सफलतापूर्वक पार किया गया। यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा परिकल्पित यह परियोजना वैश्विक स्तर पर एक अग्रणी प्रयास है, जो लुप्तप्राय वन्यजीवों और पारिस्थितिकी तंत्र को सफलतापूर्वक बहाल किए जाने को लेकर उम्मीदों का संकेत है।
उन्होंने सोशल मीडिया मंच एक्स पर लिखा कि यह रास्ता आसान नहीं था। आवास समायोजन से लेकर जंगल में शावकों के अस्तित्व को सुनिश्चित करने तक कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा।
उन्होंने कहा कि आज, जब दुनिया इन चीता शावकों को उनके प्राकृतिक आवास में फलते-फूलते देख रही है, तब हम न केवल उनके जीवित रहने की खुशी मना रहे हैं, बल्कि इन बड़े प्रयासों में शामिल सभी लोगों के समर्पण का भी जश्न मना रहे हैं।
मंत्री ने कहा कि यह हमारे पारिस्थितिकी तंत्र में संतुलन बहाल करने की शुरुआत मात्र है तथा आगे और भी कई मील के पत्थर स्थापित करने हैं। चीतों के पहले अंतरमहाद्वीपीय स्थानांतरण के तहत अब तक 20 चीतों को मध्य प्रदेश के कुनो राष्ट्रीय उद्यान में लाया गया है। सितंबर 2022 में नामीबिया से आठ और फरवरी 2023 में दक्षिण अफ्रीका से 12 चीतों को लाया गया।
भारत लाए जाने के बाद से आठ वयस्क चीते - तीन मादा और पांच नर - मर चुके हैं। भारत में 17 शावकों का जन्म हुआ है, जिनमें से 12 जीवित हैं, जिससे कुनो में शावकों सहित चीतों की कुल संख्या 24 हो गई है। प्रोजेक्ट चीता के मंगलवार को दो वर्ष पूरे हो गए। इनपुट भाषा