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Air India की बोली के लिए नियम बदले, जानिए कौन लगा सकेगा बोली...

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, सोमवार, 27 जनवरी 2020 (17:50 IST)
नई दिल्ली। एयर इंडिया (Air India) के विनिवेश को अधिक आकर्षक बनाने के लिए सरकार ने इस बार बोलियां लगाने के नियम 2018 की तुलना में आसान बनाए हैं। अब 3,500 करोड़ रुपए की नेटवर्थ वाले समूह भी कंपनी के लिए बोली लगा सकेंगे। वहीं किसी समूह में उसके अलग-अलग भागीदारों की न्यूनतम हिस्सेदारी 10 प्रतिशत तय कर दी गई है। विनिवेश के बाद भी मूल ब्रांड ‘एयर इंडिया’ बना रहेगा। अभिरुचि पत्र जमा कराने की अंतिम तिथि 17 मार्च रखी गई है।

वर्ष 2018 में जब सरकार ने एयर इंडिया की 76 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने की निविदा जारी की थी, तब किसी संभावित खरीदार की नेटवर्थ 5,000 करोड़ रुपए और बोली लगाने वाले समूह में शामिल भागीदारों की न्यूनतम हिस्सेदारी 26 प्रतिशत रखी गई थी।

सरकार ने कर्ज बोझ से दबी एयर इंडिया में 100 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने के लिए प्राथमिक सूचना ज्ञापन (पीआईएम) सोमवार को जारी कर दिया। सरकार ने इच्छुक पक्षों से 17 मार्च तक आरंभिक बोलियों के रुचि पत्र मंगाए हैं। एयर इंडिया के रणनीतिक विनिवेश के तहत एयरलाइन की सस्ती विमानन सेवा ‘एयर इंडिया एक्सप्रेस’ में भी 100 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचेगी।

पीआईएम की जानकारी रखने वाले एक व्यक्ति ने बताया कि कोई कंपनी अपनी ‘मातृ कंपनी की ताकत’ के आधार पर भी बोली लगा सकती है। पहले इसका प्रावधान नहीं था। यर इंडिया की विनिवेश प्रक्रिया के तहत कोई समूह भी बोली लगा सकता है।

समूह में हर प्रतिभागी की हिस्सेदारी कम से कम 10 प्रतिशत और कुल 3500 करोड़ रुपए की नेटवर्थ के 10 प्रतिशत के बराबर होना चाहिए। समूह का नेतृत्व करने वाले सदस्य की हिस्सेदारी भी कम से कम 26 प्रतिशत होनी चाहिए। व्यक्तिगत निवेशक समूह का हिस्सा बनकर निवेश कर सकते हैं।

इसके अलावा यदि कोई घरेलू विमानन कंपनी बोली लगाती है तो वह बिना नेटवर्थ के 51 प्रतिशत तक हिस्सेदारी रख सकती है, जबकि सहयोगी कंपनी को 3,500 करोड़ रुपए की नेटवर्थ की योग्यता पूरी करनी होगी। इससे पहले वर्ष 2018 में सरकार ने एयर इंडिया की 76 प्रतिशत हिस्सेदारी बिक्री और प्रबंधकीय नियंत्रण निजी क्षेत्र को सौंपने की निविदा जारी की थी।

विनिवेश के बाद भी बना रहेगा ब्रांड एयर इंडिया, निविदा जारी : सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र की विमान सेवा कंपनी एयर इंडिया के शत-प्रतिशत विनिवेश के लिए सोमवार को निविदा जारी कर दी और अभिरुचि पत्र जमा कराने की अंतिम तिथि 17 मार्च रखी गई है।

नागरिक उड्डयन मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि विनिवेश के बाद भी मूल ब्रांड ‘एयर इंडिया’ बना रहेगा। एयर इंडिया एक प्रकार से ऋण के जाल में फंस गई है जिसे उबारने के लिए सरकार के पास पर्याप्त वित्तीय संसाधन नहीं हैं, इसलिए इसका निजीकरण अनिवार्य हो गया था।

उन्होंने कहा कि एयर इंडिया की शत-प्रतिशत हिस्सेदारी के अलावा उसकी इकाइयों एयर इंडिया एक्सप्रेस और एयर इंडिया सैट्स एयरपोर्ट सर्विसेज लिमिटेड की भी पूरी हिस्सेदारी बेची जाएगी। एयर इंडिया एक्सप्रेस एयर इंडिया की पूर्ण स्वामित्व वाली विमान सेवा कंपनी है जबकि एयर इंडिया सैट्स एयरपोर्ट सर्विसेज में उसकी 50 फीसदी हिस्सेदारी है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इच्छुक निवेशक 28 जनवरी से 11 फरवरी तक अपने संदेह तथा प्रश्न भेज सकेंगे। सरकार 25 फरवरी तक प्रश्नों का जवाब देगी और 17 मार्च तक अभिरुचि पत्र जमा कराए जा सकेंगे। अभिरुचि पत्र जमा कराने वाले पात्र निवेशकों को 31 मार्च तक सूचित कर उनसे अंतिम वित्तीय बोली आमंत्रित की जाएगी।

गौरतलब है कि सरकारी विमान सेवा कंपनी के विनिवेश के लिए गृहमंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में बने मंत्रियों के समूह ने इस महीने के आरंभ में एयर इंडिया के विनिवेश की शर्तों को मंजूरी दी थी। यह 2 साल में एयर इंडिया के विनिवेश का दूसरा प्रयास है। मई 2018 में किसी भी खरीदार के सामने नहीं आने से विनिवेश का प्रयास विफल रहा था।

पुरी ने दावा किया कि इस बार विनिवेश की शर्तें निवेशकों को ज्यादा आकर्षित कर सकेंगी। पिछली बार 76 प्रतिशत हिस्सेदारी बेची जानी थी जबकि इस बार शत-प्रतिशत हिस्सेदारी को बिक्री के लिए रखा गया है। इसके अलावा संभावित खरीदारों के लिए पात्रता और कंसोर्टियम बनाने की शर्तों को भी आसान किया गया है। खरीदार कंपनी या कंसोर्टियम का नेटवर्थ 3,500 करोड़ रुपए या अधिक होना चाहिए।

जबकि कंसोर्टियम के माध्यम से बोली लगाने वाली कंपनी के लिए कंसोर्टियम में कम से कम 10 प्रतिशत की हिस्सेदारी होनी जरूरी है। इसका मतलब है कि किसी कंपनी का नेटवर्थ 350 करोड़ रुपए होने पर भी वह कंसोर्टियम के माध्यम से बोली लगा सकेगी। 

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