नई दिल्ली। नासा (NASA) के पूर्व अंतरिक्ष यात्री जेरी लिनेंगर ने चंद्रयान-2 (Chandrayaan-2) मिशन के तहत विक्रम लैंडर की चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग कराने की भारत की ‘साहसिक कोशिश’ से मिला अनुभव भविष्य के मिशन में सहायक होगा।
वर्ष 1986 से 2001 तक पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित रूसी अंतरिक्ष केंद्र मीर में लिनेंगर पांच महीने तक रहे थे। वे शुक्रवार को नेशनल जियोग्राफिक चैनल पर चंद्रयान-2 (Chandrayaan-2) की लैंडिंग के लाइव कार्यक्रम में शामिल हुए थे।
लिनेंगर ने कहा कि हमें इससे हताश नहीं होना चाहिए। भारत कुछ ऐसा करने की कोशिश कर रहा है जो बहुत ही कठिन है। लैंडर से संपर्क टूटने से पहले सबकुछ योजना के तहत था। लिनेंगर ने इंगित किया कि दुर्भाग्यवश लैंडर चंद्रमा की सतह से 400 मीटर की ऊंचाई पर स्थित होवर प्वाइंट तक नहीं पहुंच सका।
उन्होंने कहा कि अगर वह उस बिंदु पर पहुंच जाता और उसके आगे असफल होता तब भी बहुत लाभ होता क्योंकि रडार अल्टीमीटर और लेजर का प्रशिक्षण हो जाता, लेकिन जब आप पीछे मुड़़कर बड़ी तस्वीर देखते हैं, तो यह कोशिश निश्चित तौर पर आने वाले अभियानों के लिए लाभदायक होगी। एक अंतरिक्ष यात्री और विशेषज्ञ के तौर पर लिनेंगर ने कहा कि मिशन बहुत ही सफल रहा।
उन्होंने कहा कि ऑर्बिटर अगले एक साल तक बहुमूल्य जानकारी देना जारी रखेगा। ऑर्बिटर से आ रहे संकेत बता रहे हैं कि सभी प्रणालियां ठीक से काम कर रही हैं। उन्होंने इसरो को इस मुश्किल मिशन के लिए बधाई दी।