मुंबई। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने बुधवार को बंबई उच्च न्यायालय में कहा है कि सुशांत सिंह राजपूत (Sushant Singh Rajput) की बहनों के खिलाफ दिवंगत अभिनेता के लिए जाली दवा का पर्चा हासिल करने के रिया चक्रवर्ती (Rhea Chakraborty) के आरोप काल्पनिक हैं। ऐसी अटकलों पर प्राथमिकी दर्ज (FIR) नहीं की जा सकती है।
सीबीआई ने यह बात राजपूत की बहन प्रियंका सिंह और मीतू सिंह की याचिका के जवाब में कही है। इस याचिका में दोनों बहनों ने मुंबई पुलिस द्वारा उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को निरस्त करने का आग्रह किया है।
राजपूत की लिव-इन-पार्टनर चक्रवर्ती ने आरोप लगाया था कि जून 2020 में अभिनेता के खुदकुशी करने से कुछ दिन पहले दवा के फर्जी पर्चे से एनडीपीएस कानून में प्रतिबंधित दवाइयों को लेने में राजपूत की मदद की गई थी। सीबीआई ने कहा, मौजूदा प्राथमिकी में अधिकतर आरोप अनुमान और अटकलों की प्रकृति के हैं।
सीबीआई ने यह भी कहा कि वह राजपूत के पिता के के सिंह की ओर से चक्रवर्ती और उनके परिवार के खिलाफ दर्ज कराई गई शिकायत की जांच कर रही है। यह शिकायत 34 वर्षीय अभिनेता को कथित रूप से खुदकुशी के लिए उकसाने को लेकर है। राजपूत की बहनों ने छह अक्टूबर को वकील माधव थोराट के जरिए याचिका में बांद्रा पुलिस द्वारा उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने की फरियाद की थी।
सीबीआई ने कहा कि पुलिस को प्राथमिकी दर्ज करने से पहले शुरुआती जांच करनी चाहिए थी। केंद्रीय एजेंसी ने कहा, यह स्थापित कानून है कि एक ही कृत्य के लिए दो प्राथमिकियां दर्ज नहीं की जा सकती हैं... सीबीआई सुशांत सिंह राजपूत की मौत से संबंधित कारणों और इससे जुड़े सभी पहलुओं की पहले से ही जांच कर रही है।
सीबीआई ने कहा, इसके मद्देनजर, मुंबई पुलिस से यह अपेक्षा की गई थी कि वह खुद मामला दर्ज करने के बजाय रिया चक्रवर्ती से मिली शिकायत सीबीआई को भेज देती।
एजेंसी ने कहा, लिहाजा एक ही तथ्यों और कृत्य पर प्राथमिकी दर्ज करना अवांछित है और कानून के तहत इसकी इजाजत नहीं है। उसने कहा कि इसलिए यह प्राथमिकी अनुचित है और कानून की नजर में खराब है।
सीबीआई ने कहा कि अगर चक्रवर्ती को जून 2020 में राजपूत और उनकी बहन प्रियंका के बीच मोबाइल पर हुई बातचीत के बारे में जानकारी थी, जिसमें प्रियंका ने कथित रूप से अभिनेता को दवा का पर्चा भेजा था, तो अभिनेत्री को सितंबर तक चुप नहीं रहना चाहिए था।
इस प्राथमिकी में राजपूत की दो बहनों और दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल के डॉक्टर तरूण कुमार का नाम है जिन्होंने कथित रूप से दवा के पर्चे पर हस्ताक्षर किए थे। उच्च न्यायालय चार नवंबर को याचिका पर सुनवाई करेगा।