नई दिल्ली। कांग्रेस ने सोमवार को कहा कि देश में हर 10 साल पर होने वाली जनगणना जल्द कराई जाए और व्यापक जाति आधारित जनगणना को इसका अभिन्न हिस्सा बनाने के साथ ही आरक्षण की 50 प्रतिशत सीमा खत्म की जाए। पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर यह आग्रह किया। दूसरी ओर, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि जातिगत जनगणना से गरीबों को फायदा होगा।
खरगे ने 16 अप्रैल की तारीख वाले इस पत्र में प्रधानमंत्री से कहा है कि मैं एक बार फिर जाति आधारित नवीनतम जनगणना कराने का आग्रह करता हूं। मेरे सहयोगियों और मैंने संसद के दोनों सदनों में कई बार यह मांग उठाई है। अन्य विपक्षी दलों ने भी इस मांग को रखा है।
उन्होंने कहा कि आप जानते हैं कि संप्रग सरकार ने पहली बार 2011-12 के दौरान करीब 25 करोड़ परिवारों को कवर करते हुए सामाजिक, आर्थिक और जातिगत जनगणना कराई थी। मई, 2014 में आपकी सरकार आने के बाद कांग्रेस और अन्य सांसदों ने इसे जारी करने की मांग की, लेकिन कई कारणों से जातिगत आंकड़े जारी नहीं किए गए।
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि मुझे आशंका है कि नवीनतम जातिगत जनगणना के अभाव में सामाजिक न्याय और सशक्तिकरण कार्यक्रमों विशेष रूप से ओबीसी के उत्थान के लिए बेहद आवश्यक डाटा बेस अधूरा है। यह जनगणना केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है। उन्होंने आग्रह किया कि जनगणना जल्द कराई जाए और जाति आधारित जनगणना को इसका हिस्सा बनाया जाए।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कर्नाटक के बीदर में एक चुनावी सभा में आरक्षण की 50 प्रतिशत सीमा हटाने को लेकर अपना रुख सोमवार को फिर दोहराया और कहा कि 2011 की जनगणना के जातिगत आंकड़ों को सार्वजनिक किया जाए, ताकि अन्य पिछड़ा वर्गों को उचित प्रतिनिधित्व मिल सके तथा अनुसूचित जाति एवं जनजाति समुदायों को उनकी आबादी के अनुपात में आरक्षण दिया जा सके।
उन्होंने कहा कि मोदी जी, ओबीसी के बारे में सिर्फ खोखली बात मत करिए। जनगणना के जातिगत आंकड़े जारी करिए और 50 प्रतिशत की सीमा को हटाइए, दलित और आदिवासी की जितनी आबादी है, उनको उतना आरक्षण दीजिए। अगर आप नहीं कर सकते तो हट जाइए, हम करते हैं।
कांग्रेस नेता कन्हैया कुमार ने कहा कि सरकार जनगणना के जातिगत आंकड़े को जारी करने में हिचकिचाहट क्यों दिखा रही है... प्रधानमंत्री खुद को ओबीसी बताते हैं, जाति की राजनीति करते हैं, लेकिन संख्या नहीं गिनेंगे। जब पेड़, पशु और शिशु गिन लेते हैं, तो जाति गिनने में क्या दिक्कत है?
कुमार ने सवाल किया कि अगर बिहार की सरकार जातिगत सर्वेक्षण करवा सकती है, तो केंद्र सरकार जातिगत जनगणना क्यों नहीं करवा सकती? उन्होंने कहा, 2021 में जनगणना होनी थी, लेकिन अभी तक शुरू नहीं हो पाई। हमारी मांग है कि जनगणना शुरू की जाए और यह सामाजिक, आर्थिक और जाति पर आधारित हो।
कुमार ने यह भी कहा कि इस मामले पर भाजपा को अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए। उल्लेखनीय है कि 2021 में प्रस्तावित जनगणना कोरोना वायरस महामारी के कारण नहीं हो सकी थी। (एजेंसी/वेबदुनिया)